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Showing posts from March 16, 2009

प्रधानमंत्री का फैसला चुनाव के बाद: मायावती

बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने आज साफ कर दिया है कि तीसरे मोर्चे में शामिल होने के बदले में उन्होंने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होने की शर्त नहीं रखी है। मायावती ने आज दिल्ली में तीसरे मोर्चे के नेताओं को डिनर पर बुलाया है। इससे पहले उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का फैसला चुनाव के बाद होगा। मायावती के इस बयान ने तीसरे मोर्चे में बीएसपी की भागेदारी मयावती को प्रधानमंत्री बनाने की शर्त पर की खबर की हवा निकाल दी। पर मायावती ने ये जरूर बता दिया कि उनकी नजर केन्द्र की सरकार पर ही है कांशीराम के सपने को सच करने के लिए मायावती ने जिन राजनीतिक दलों पर निशाना साधा है वो भी साफ करता है कि मायावती की नजर है तो पीएम की गद्दी पर ही। पीएम बनने की बात मुंह में भले ही मायावती जी न लायी हों पर उनका हर शब्द चिल्ला रहा था कि मुझे देश का प्रधानमंत्री बना दो। वैसे ये महज इत्तिफाक नहीं था कि कांशीराम जी के जन्मदिन पर मायावती ने उनका सपना बताया केन्द्र पर कब्जा और उसी दिन उन्होंने अपनी जीवनी का अंग्रेजी तर्जुमा भी जारी किया और ऐन उसी दिन उन्होंने दिल्ली में अपने नए पते का ऐलान किया जो कि संसद के पिछवाड़े है और उ

बलात्कारियों को मौत की सज़ा !

इस्लामी क़ानून में बलात्कार की सज़ा मौत है बहुत से लोग इसे निर्दयता कह कर इस दंड पर आश्चर्य प्रकट करते हैं| कुछ का तो कहना है कि इस्लाम एक जंगली धर्म है | मैंने उन जैसे कई व्यक्तियों से एक सवाल पूछा था - सीधा और सरल | कोई आपकी माँ या बहन के साथ बलात्कार करता है और आपको न्यायधीश बना दिया जाये और बलात्कारी को सामने लाया जाये तो उस दोषी को आप कौन सी सज़ा सुनाएँगे ? मुझे प्रत्येक से एक ही जवाब सुनने को मिला- उसे मृत्यु दंड दिया जाये | कुछ ने कहा कि उसे कष्ट दे दे कर मारना चाहिए | मेरा अगला प्रश्न था अगर कोई व्यक्ति आपकी माँ, पत्नी अथवा बहन के साथ बलात्कार करता है तो आप उसे मृत्यु दंड देना चाहते हैं लेकिन यही घटना किसी और कि माँ, पत्नी या बहन के साथ होती है तो आप कहते हैं मृत्युदंड देना जंगलीपन है| इस स्तिथि में यह दोहरा मापदंड क्यूँ? पश्चिमी समाज औरतों को ऊपर उठाने का झूठा दावा करता है औरतों की आज़ादी का पश्चिमी दावा एक ढोंग है, जिनके सहारे वो उनके शरीर का शोषण करते हैं, उनकी आत्मा को गंदा करते हैं और उनके मान सम्मान को उनसे वंचित रखते हैं | पश्चिमी समाज दावा करता है की उसने औरतों को ऊप

और आजादी .....

..... और आजादी चाहिये ..... इतनी कम पड़ रही है ... सबको आजादी नही मिली ..... सम्मान से जीने की आजादी तो बिल्कुल नही मिली । राम राज्य का सपना साकार नही हुआ । विदेशी ताकतों की जगह अब देशी लुटेरे ही जनता का हक़ मार रहे है ..... ये अधूरी आजादी है .... हमें पुरी चाहिए । धीरे -धीरे ही सही लेकिन चाहिए ....चुप नही बैठने वाले ....लड़ कर लेगे ।बच्चे थे तो सोचते थे .... लड्डू खाना ही आजादी है ...... आज सोचते है काश सबको रोटी मिलती ..... आजादी लड्डू से नही ,रोटी से मिलेगीरोटी पाना आज भी ...... गांधी के राज में दुर्लभ है ...... आम आदमी कहने को तो रास्त्रपति और प्रधानमन्त्री बन सकता है ..... लेकिन सिर्फ़ कागज के टुकडों पर ...... हकीकत कौन नही जानता ..... सत्ता पर किन लोगों का कब्जा है ......देश की बुनियाद में ही कुछ गड़बड़ है .... सोचना होगा .......

दिल से निकली प्रार्थना को भगवान जरूर सुनते हैं

विनय बिहारी सिंह पिछले रविवार को योगदा मठ में पूरे दिन रहा। वहां के एक सन्यासी ने कहा- अगर दिल से प्रार्थना की जाए तो भगवान जरूर सुनते हैं। लेकिन जरूरी यह है कि प्रार्थना करने वाले के मन में ईश्वर के प्रति गहरी आस्था होनी चाहिए। यह आस्था कैसी होनी चाहिए? जब आप प्रार्थना कर रहे हों तो आपके मन में पूरा भरोसा हो कि आपकी बात ईश्वर सुन रहे हैं। और यह कल्पना की बात नहीं है। जिसने यह समूची सृष्टि बनाई है, वह आप क्या कह रहे हैं, नहीं सुनेगा? वह तो हमारे एक एक पल की जानकारी रखता है। हमारी हर बात सुनता है। मन में यह दृढ़ विश्वास होना चाहिए कि ईश्वर मुझे गौर से सुन रहा है। आप दिल खोल कर उससे अपनी बात कहिए। जैसे आप कोई बात अपने किसी अत्यंत प्रिय व्यक्ति से करते हैं। भगवान उसका जवाब देते हैं। लेकिन अगर आपके मन में जरा भी शक है कि क्या पता भगवान सुन भी रहे हैं कि नहीं, तो फिर आपको ईश्वर की तरफ से जवाब नहीं मिलेगा। दुनिया के सभी धर्मों के जितने भी धर्मग्रंथ हैं, सभी स्पष्ट रूप से कह रहे हैं- हम ईश्वर की संतान हैं। ईश्वर ही हमारा माता- पिता है। हमें उसकी शरण में जाना चाहिए। लेकिन यह बात पढ़ कर, सुन

बांग्लादेश भारत के लिए खतरा बनता जा रहा है ....

आज बांग्लादेश सुलग रहा है । वहां जिस तरह बांग्लादेश राइफल के जवानों ने अपने अधिकारिओं और अन्य जवानों की हत्या की उसकी आंच हमपर भी आएगी । बांग्लादेश रायफल में विद्रोह इस उपमहाद्वीप में नई प्रवृति की शुरुआत कर सकता है । कई साल पहले पिर्दिवाह की घटना के समय ही बी डी आर का असली चेहरा खुलकर सामने आ गया था । अब पर्दाफाश भी हो गया । इस विद्रोह की दो प्रमुख वजहें बताई जा रही हैं। बीडीआर के जवान सेना के जवानों जैसा वेतन और अन्य सुविधाएं नहीं मिलने और बीडीआर के सभी उच्च पदों पर सेना के अफसरों की तैनाती से नाराज थे। उनकी नाराजगी की दूसरी बड़ी वजह यूएन पीस मिशन पर बीडीआर के जवानों को नहीं भेजा जाना बताई जा रही है। पर ये दोनों इतनी बड़ी वजहें नही है की वे अधिकारियों के घरों में घुसकर लूटपाट करते और उनकी पत्नियों से बलात्कार कर डालते। कई अफसरों को जिन्दा जमीं में गाड़ देते । यह बगावत अचानक नहीं हुई है । ऐसे संकेत और सबूत हैं कि इस नरसंहार के लिए लंबे समय से तैयारी की जा रही थी। खुफिया जा

मै चाँद बनना चाहता हू

मै चाँद बनना चाहता हू , सुनकर आश्चर्य हुआ आपको , नही होना चाहिए अगर आप भी शादी शुदा है ऊपर से हिन्दू और आपका दिल कही किसी पर आजाये ,नहीं गलती हो गई , आपको प्यार करने का मन करने लगे ,कोई आपको अच्छा लगता है तब तो बहुत मुश्किल हो गई पर घबराइये नही अब ये सब संभव है रास्ते आपके सामने है बिलकुल बस आवश्यकता है इस प्यार को पूरा करने के लिए लड़की की .बस फिर आप भी पहली पत्नी के होते हुए चाँद मोहम्म्द याफिर कुछ और नाम के साथ जब तक जी करे अपने प्यार को परवान चढा सकते है कोई मुझसे ये करने कहता तो एक क्यों मुस्लिम में तो कम से कम चार की इजाजत है तो मै ३ और को इसमें शामिल कर ही सकता था बाद में भले पहली को छोड़ कर सबको तलाक़ दे देता . तो बस आप सोचिये मत आपका मन अल्पकालीन समय के लिए इश्क मोहबत करना चाहता है तो आप ऐसा कर सकते है ये मै नहीं चाँद , चाँद मोहम्द और फिजा ,उनके न्यूज़ चैनेलो में चर्चित खबरों को देख कर तो ऐसा ही लगता है. मैने ये वाकया टीवी में आने वाले सीरियल भंवर में देखा था पर ये इस धटना के पहले कि बात है टीवी सीरियल भंवर १९८४ -८५ में बना होगा सच्ची घट्नवों पर आधारित इस सीरियल में ऐसे ही एक स

हीर रांझा के मुल्‍क में फिजा और चाँद

अब फिजा में चाँद नहीं रहेगा। यूँ तो फिजा और चाँद की दूरियां पिछले कुछ दिनों से लगातार बढ़ ही रही थीं लेकिन अब चाँद ने तलाक ले लिया है। चाँद और फिजा के बारे में अब तक बहुत कुछ सुना जा चुका है ओर उतना ही लिखा जा चुका है। दोनों के बीच जो भी हुआ कुछ तेज हुआ, तेजी परवान चढ़ी। हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन, चांद मुहम्मद और अनुराधा बाली फिजा बन गए। सब कुछ बड़ी जल्‍दी में हुआ। दोनों ने इसे प्‍यार इश्‍क और मोहब्‍बत का नाम दिया और एक दूसरे से ब्‍याह रचा दिया। समाचार चैनलों, अखबारों में धड़ाधड़ फोटो छपे, बयान आए। चाँद उस फिजा में मुस्‍करा रहा था, और फिजा भी बेहद खुश थी। अब खबर है कि चाँद ने लंदन से ही फोन पर फिजा को तलाक दे दिया है। हाथों की मेंहदी सूखी भी न थी कि चाँद को चंद्रमोहन का परिवार याद आ गया। उसे पहली पत्‍नी ओर बच्‍चे याद आने लगे। आने भी चाहिए थे, आखिर परिवार तो परिवार है। वैसे ये नितांत व्‍यक्‍तिगत मामला है और कोई भी आदमी प्‍यार करने घर बसाने के लिए पूरी तरह से आजाद है। औरत हो या आदमी, राजा हो या रंक, हर किसी को अपनी जिंदगी पूरी तरह से और अपने तरीके से जीने का अधिकार है और आ

गोल्डन ब्रिज को बचाने के लिए एक पेंटर की मुहिम

भरूच। अबास रोशन पेंटर हैं और अंकलेश्वर के 150 साल पुराने गोल्डन ब्रिज को बचाने की कोशिश में जुटे हैं। इस पुल को खतरा है इस पर गुजरने वाले वाहनों से और प्रशासन के लापरवाही भरे रवैये से। भरूच को अंकलेश्वर से जोड़ने वाला ये पुल 150 साल पुराना है। 1870 में नर्मदा नदी पर बने इस ब्रिज को सरकार ने ऐतिहासिक धरोहर तो घोषित किया लेकिन इस पुल की खस्ता हालत को प्रशासन नजरअंदाज करता रहा। भरूच और अंकलेश्वर दोनों औद्योगिक शहर हैं। हर दिन इस पुल से करीब 3000 गाड़ियां गुजरती हैं। इन भारी वाहनों के गुजरने से पुल को नुकसान होता है और ये कमजोर होता जा रहा है। पुल को जर्जर होने से बचाने के लिए 1978 में भरूच प्रशासन ने 2000 किलो से ज्यादा वजन वाले वाहनों के इस पुल से गुजरने पर रोक लगा दी। लेकिन इस नियम की खुलेआम अनदेखी हो रही है। पुल की निगरानी के लिए दोनों तरफ पुलिस गश्त लगाती है लेकिन गैरकानूनी रूप से गुजर रहे वाहनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती। भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाने के लिए 1976 में यहां एक weight bridge बनाया गया लेकिन आज इसकी हालत बेहद खराब हैं। अब ये कचरा पेटी बन गया है। इसे दोबारा शु