Skip to main content

Posts

Showing posts from February 4, 2009

बहस मनोरंजक होती जा रही है!

प्रिय श्री संजय ग्रोवर, (www.samwaadghar.blogspot.com) ,   सबसे पहले तो आपको आपकी उत्कृष्ट लेखन शैली के लिये बधाई दिये बिना मैं रह नहीं पा रहा हूं।   मुझे लगता है कि यदि आप किसी को गाली भी देते होंगे तो उसे उसमे भी सुवाली जैसा ही आनंद आता होगा।   जैसा कि मैने पहले भी जिक्र किया था , मैं ब्लॉग्स की दुनिया में नया - नया बाशिंदा हूं । अभी एक ब्लॉग पर देखा कि उसके स्वामित्वाधिकार को लेकर मार - काट मची हुई है। लोग मिलते जुलते नाम वाले कई सारे ब्लॉग बनाने में जुटे हैं। ऐसे में आपने जिस प्रकार भूमिका बांधते हुए मेरी टिप्पणी को पोस्ट की तरह प्रकाशित किया तो मुझे लगा कि जरूर यह कोई विशेष घटना है।   शायद आम तौर पर ऐसा नहीं होता होगा।   इसीलिये आपकी दरियादिली की तारीफ में कुछ कह बैठा था ।   यदि कुछ अनुचित लिख बैठा था तो क्षमा प्रार्थी हूं ।   डी - सेक्सुअलाइज़ेशन शब्द मैने आपके ही कॉलम में पढ़ा था ।   हो सकता है , आपकी पोस्ट के उत्तर में आई हुई टिप्पणियों में से किसी एक में रहा हो ।   पर शब्द न भी सही , विचार तो आपके यही हैं न ? " स्त्री को अपनी कई समस्याओं से जूझने-निपटने क

लिव-इन रिलेशन पर खुली चर्चा के मूड मे सरकार

महाराष्ट्र सरकार चाहती है कि क़ानूनों को इस तरह से बदल दिया जाए जिससे बिना विवाह किए पर्याप्त समय से साथ रह रही महिला को पत्नी जैसी मान्यता मिल सके. महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र सरकार को यह प्रस्ताव भेजा है कि भारतीय दं ड संहिता (सीआरपीसी) में इस तरह से संशोधन किया जाए जिससे ‘पर्याप्त समय’ से चल रहे ‘लिव-इन’ को विवाह जैसी मान्यता मिल सके. हालांकि महाराष्ट्र सरकार ने इस ‘पर्याप्त समय’ को परिभाषित नहीं किया है. लेकिन यदि क़ानून में यह संशोधन हो जाता है तो ‘लिव-इन’ में रह रही महिला को विवाह टूटने की स्थिति में मिलने वाली सारे अधिकार हासिल हो जाएंगे जिसमें गुज़ारा भत्ता और बच्चों की परवरिश शामिल है. ‘लिव-इन’ ऐसा रिश्ता है जिसमें वयस्क लड़का और लड़की आपसी सहमति से बिना विवाह किए एक साथ रहते हैं और पति-पत्नी जैसा व्यवहार करते हैं. महानगरों में कामकाजी लोगों के बीच ऐसे संबंधों का प्रचलन लगातार बढ़ रहा है. ‘लिव-इन’ संबंध जब टूटते हैं तो अक्सर महिला साथी को परेशानी का सामना करना पड़ता है. एक तो यह कि इन संबंधों को कोई क़ानूनी मान्यता नहीं है इसलिए वो अपने पुरुष साथी से किसी तरह के हर्ज़ाने की मा

'समलैंगिक रिश्ते बनाओ, वरना निकाल दूंगा...'

मुंबई। एक ऐसा मैनेजर जो अपने सहयोगियों पर दबाव डालता था उसके साथ समलैंगिक रिश्ते बनाने के लिए। मुंबई के एक म ल्टीप्लेक्स थिएटर के असिस्टेंट मैनेजर जो अपने सहयोगियों को देता था धमकी। समलैंगिक रिश्ते बनाओ वरना नौकरी से निकाल दूंगा। उसकी इसी धमकी ने ले ली उसकी जान। अंधेरी के वर्सोवा इलाके में सोमवार देर रात एक लाश मिली। लाश के गले और पेट पर चाकू के घाव ने यह तो साफ कर दिया की यह एक हत्या का मामला है। लेकिन पुलिस को अब तक इस बात का पता नहीं था की आखिर इस हत्या के पीछे किसका और क्या मकसद हो सकता था। लाश की तलाशी से पता चला की यह शव वर्सोवा सिनेमैक्स के असिस्टेंट मैनेजर मंदर पाटिल का है। पुलिस पुछताछ के लिए मंदर के ऑफिस पहुंची। यहीं से पुलिस के हाथ इस हत्या के आरोपियों तक पहुंचे। ऑफिस में पुलिस ने कुछ लोगों से पूछताछ की जिसमें 3 लोगों ने अपने जुर्म को कबूले। सूत्रों के मुताबिक मंदार गिरफ्तार किए गए लोगों को आए दिन समलैंगिक रिश्ते न बनाने पर उन्हें नौकरी से निकाल देने की धमकी दिया करता था। और उसकी इन्ही धमकियों से तंग आकर रची गई उसकी मौत की साजिश। अपनी साजिश के तहत उन लोगों ने सोमवार की रात
सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

लालकृष्ण आडवानी जी कभी प्रधान मंत्री नहीं बन सकते

भारतीय देश के प्रधानमंत्री पद के इतिहास पर नजर डाली ,जो तथ्य सामने आया सभी के सामने रखने की कोशिश कर रहा हूँ..ये कलयुग है और सतयुग हुआ करता था जब राम भगवन सत्ताधारी बने थे तो उसे रामराज कहा जाता था.या यूँ कहे की राम राज कहा जाता है जी हाँ दोस्तों इसे कायनात का करिश्मा कहे या और कुछ की आज भी देश के प्रधानमंत्री पद को राम राज की पदवी से नवाजा जाता है ..ऐसा मुझे लगता है ..आगे आप अपने विचार रख सकते है !!मैन ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्यों की जब देश का प्रथम प्रधानमंत्री हुआ तो उसके नाम में ''र'' या ''म'' शब्द आता था इसके बाद जब भी कोई प्रधानमंत्री बना तो उसके नाम में ''र'' या ''म''जरुर आता था या फिर भगवन की मर्ज़ी कहे बह उसे ही मौका देता था जिसके नाम में ''र'' या ''म'' हो क्यों की ''र'' या ''म'' से आज भी राम राज की उम्मीद की जाती है ...इस अजूबा को एक अपबाद मिला विश्ब प्रताप सिंह के रूप में लेकिन इसे कुदरत का करिश्मा ही कहे की बह केवल कुछ महीने की कुर्सी संभल सके..इसके

भगवान राम तात्विक स्वरूप

विनय बिहारी सिंह सीता जी की खोज में जब भगवान राम वन में भटक रहे थे और हा सीते, हा सीते कर रहे थे तो माता पार्वती ने भगवान शंकर से पूछा कि आप तो भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम और सबका आराध्य कहते हैं। लेकिन वे तो पत्नी के लिए इतने व्याकुल हैं जैसे कोई सामान्य व्यक्ति। फिर इनका ईश्वरीय स्वरूप कहां बिला गया? भगवान शंकर ने कहा कि यह उनकी मनुष्य अवतार की लीला है। अगर मनुष्य में जन्म लिया है तो पीड़ा, दुख, सुख औऱ वे सभी भाव तो दिखाने पड़ेंगे जो एक मनुष्य में होती हैं। लेकिन वे यह सब नाटक के रूप में कर रहे हैं। भगवान शंकर ने कहा कि अगर विश्वास न हो तो तुम खुद परीक्षा ले लो। मां पार्वती ने हू- ब- हू सीता का रूप धरा और सीधे राम के सामने खड़ी हो गईं। भगवान राम ने पूछा- मां, पार्वती आप यहां क्यों खड़ी हैं? शंकर जी कहां हैं। कथा है कि मां पार्वती लज्जित हो गईँ। अब आइए तात्विक चर्चा पर। मां सीता स्वयंवर में जाने के पहले मां पार्वती के ही मंदिर में प्रार्थना करने गई थीं कि राम से मेरा विवाह हो जाए। वही मां पार्वती भगवान राम की परीक्षा लेने कैसे पहुंच गईं? वे तो सर्वदर्शी हैं। संतों ने इसकी बहुत रो

जागोरे.कॉम - डाटा डकारने का महाघोटाला

टीवी पर आनेवाले विज्ञापन में आनेवाला वह नौजवान चाय पिलाकर लोगों को जगाता है. अच्छे-भले जीते जागते लोगों को सोता हुआ साबित करके वह मजबूर करता है कि अगर आप इलेक्शन के दिन वोट नहीं कर रहे हो तो आप सो रहे हो. कमाल की बात है. लोकतंत्रिक प्रक्रिया में किसी बड़ी कंपनी का इससे बढ़िया योगदान और क्या हो सकता है? लेकिन रूकिये. टाटा की इस दरियादिली और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने की नीयत को समझने से पहले कुछ बातें और जान लीजिए. राजनीति में युवाओं और खासकर शहरी युवावर्ग की भागीदारी हो इसकी चिंता इस विज्ञापन में साफ दिखती है. टाटा का जागोरे अभियान क्या केवल लोकतंत्र को मजबूत करने की कवायद है या फिर इसके पीछे का इरादा कुछ और है? मेरे मन में इस अभियान को लकेर एक सवाल लगातार बना हुआ था. इसी सवाल को ध्यान में रखकर कई दिनों तक मैंने इस वेबसाईट का हर पहलू से परीक्षण किया है. अपने परीक्षण के दौरान मैंने पाया कि टाटा समूह जागोरे.कॉम के जरिए डाटा इकट्टा करने का महाघोटाला कर रहा है. जागोरे.कॉम का सारा प्रयास ज्यादा से ज्यादा डाटा इकट्ठा करना है. सब जानते हैं कि आज के इस आधुनिक तकनीकि युग में डाटा सोने

ओबामा 'इस्तीफा' भेजें तो खोलकर मत देखना!

अगर आपको अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के इस्तीफे संबंधी कोई ई-मेल मिलता है तो सावधान हो जाइए क्योंकि यह आपके कंप्यूटर को नुकसान पहुंचाने वाला ट्रोजन वायरस हो सकता है। एंटीवायरस बनाने वाली प्रयोगशाला सोफोज ने बताया है कि ओबामा के अचानक इस्तीफे संबंधी इन संदेशों का एकमात्र उद्देश्य उपभोक्ता के कंप्यूटर में वायरस डालना होता है और ऐसे संदेशों को किसी भी सूरत में नहीं खोलना चाहिए। अगर आप इस लिंक को खोलते हैं तो यह आपको एक ऐसी वेबसाइट पर ले जाता है जो बिल्कुल ओबामा की आधिकारिक साइट की तरह दिखती है। इसके साथ ही ट्रोजन नामक वायरस आपके कंप्यूटर में प्रवेश कर जाता है। सोफोस के मुताबिक यह पहला मौका नहीं है जब साइबर जगत के अपराधियों ने ओबामा की लोकप्रियता का लाभ उठाने की कोशिश की है बल्कि नवंबर 2008 में राष्ट्रपति पद के चुनावों के तत्काल बाद भी ऐसा एक वीडियो जारी करने की कोशिश की गई थी। आगे पढ़ें के आगे यहाँ

प्रतियोगिता में भाग लेने का आज अन्तिम दिन!!

''कलम का सिपाही'' प्रतियोगिता मे भाग लेने का आज अंतिम दिन! तो जल्दी से लिख भेजिए अपनी कविता और जीतिए १००० रुपए का नगद इनाम!!प्रतियोगिता के शर्तों और अधिक जानकारी के लिए देखें!! http://yaadonkaaaina.blogspot.com/2009/01/2009_17.html

माँ का मंथन .....

एक माँ कि पीडा ...जो ना तो अपने बच्चो से कुछ कहे सकती है ......और ना ही अपने बडो को .... बड़े जो सब कुछ जानते हुए भी कुछ समझना नहीं चाहते, और .......बच्चे कुछ समझते नहीं है ......बस...ये ही सब कहने कि चेष्टा..कि है मैंने .......... ................................................................................. दिल में उठे तूफान को ,कैसे मै शांत करू .... वजूद पे उठे प्रश्नों का कैसे मै समाधान करू ...... ये तो हर रात का किस्सा है , हर बात में मेरा भी हिस्सा है , हर रात कि मौत के बाद ....सुबह के जीने में मेरा भी हिस्सा है , फिर भी जीने से कोसो दूर हू मै.. दर्द और तकलीफ लिए चलती चली .... नयी और पुराणी पीढी ,के विचारो का कैसे...मै .. मेल करू..... दो भिन्न धारायो का, कैसे मै मिलन करवाऊ , इन रिश्तो कि भीड़ में ...... दो किनारों के बीच देखो.......मै सेतु बनी ........ आदान प्रदान ..की प्रक्रिया मे.. फिर एक माँ समंदर बनी .... दिल मै दफ़न किये हर बात ... देखो मै जीती चली ......... क्या कहू और किस से कहू ... कि मै ..चिलचिलाती धूप में भी ........ सिर्फ एक बूंद पसीने .............को भी तरसी .. ....