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Showing posts from May 13, 2009

ग़ज़ल

बहुत खूबसूरत हो तुम बहुत खूबसूरत हो तुमकभी जो मै कह दू मोहब्बत है तुमसे तो मुझको खुदारा ग़लत मत समझना की मेरी ज़रूरत हो तुम बहुत खूबसूरत हो तुम है फूलों की डाली यह बाहें यह बाहें तुम्हारी है खामोश जादू निगाहें तुम्हारी जो काटें हो सब अपने दामन में रख लू सजाऊ मै कलियों से राहें तुम्हारी नज़र से ज़माने की ख़ुद को बचाना किसी और से देखो दिल न लगाना की मेरी अमानत हो तुम बहुत खूबसूरत हो तुम है चेहरा तुम्हारा की दिन है सुनेहरा और उसपर यह काली घटाओं का पहरा गुलाबों से नाज़ुक महकता बदन है यह लब है तुम्हारे की खिलता चमन है बिखेरो जो जुल्फे तो शर्माए बादल यह "अलीम" तो हो जाए पागल वोह पाकीजा मूरत हो तुम बहुत खूबसूरत हो तुम जो बन के मुस्कुराती है अक्सर शबे हिज्र में जो रुलाती है अक्सर जो लम्हों ही लम्हों में दुनिया बदल दे जो शायर को दे जाए पहलु ग़ज़ल की छुपाना जो चाहे छुपाई न जाए भुलाना जो चाहे भुलाई न जाए वोह पहली मोहब्बत हो तुम बहुत खूबसूरत हो तुम बहुत खूसूरत हो तुम अलीम आज़मी

गीत (माँ)

अम्बर की यह ऊंचाई धरती की यह गहराई तेरे मन में है समाई , माई वो माई तेरा मन अमृत का का प्याला येही "काबा" येही "शिवाला" तेरी ममता पवन दाई, माई वो माई जी चाहे जो तेरे साथ रहू मै बन के तेरा हमजोली तेरे हाथ न आऊ छुप जाऊ यह खेलु आँख मिचोली पर्यियों की कहानी सुना के कोई मीठी लोरी कर दे सुना के सुख दाई , माई वो माई जाड़ो की ठंडी रातों में घर लौट के जब मै आऊ हलकी सी दस्तक पर अपनी तुझे जागता मै पाउ सर्दी से जो मै तिठुरता जाऊ तो मै रजाई अपने ऊपर पौ लेकिन ठंडा सतर अपनाई, माई वो माई अम्बर की यह .......धरती की .............. तेरे मन में है समाई ...........माई वो माई .

Loksangharsha: बेबस हम है...

(हिन्दुस्तान अखबार से साभार ) पुलिस का मानवीय चेहरा उत्तर प्रदेश में पुलिस का मानवीय चेहरा यह है कि पुलिस जुर्माने से दंडनीय अपराधो में थानों में लाकर जबरदस्त पिटाई करती है और पैसा वसूलती है कानून यह कहता है कि जुर्माने से दंडनीय अपराधो में मौके पर (जहाँ गिरफ्तारी दिखाई जाती है) जमानत दे दी जानी चाहिए लेकिन पुलिस रुपया वसूलने के लिए थानों में थर्ङ डिग्री का इस्तेमाल करती है । शासन प्रशासन और उच्च अधिकारियो का संरक्षण थानों कि पुलिस को प्राप्त होता है और हिस्सेदारी होती है । हमारी न्यायपालिका स्थानीय स्तर पर खामोश रहती है । कोई व्यक्ति विरोध नही कर सकता है न्याय पालिका के पास अवमानना से करने का मजबूत डंडा है । आम आदमी उत्पीडन से बचने का लिए जाए तो जाए कहाँ ? बेबस हम है । सुमन

तालिबान ही इस्लाम का असली दुश्मन

सलीम अख्तर सिद्दीकी अब इस बहस के कोई मायने नहीं रहे कि तालिबान को अमेरिका ने पाकिस्तान की मदद से अपने स्वार्थ की खातिर पाला-पोसा था। अब तल्ख हकीकत यह है कि तालिबान इस आधुनिक युग में मध्ययुगीन परम्पराएं थोप रहा है। आवाम पर जुल्म कर रहा है। वह पाकिस्तान के एक बड़े भाग पर पर इस्लाम के नाम पर गैरइस्लामी परम्पराओं को मुसल्लत कर रहा है। अभी पिछले दिनों दुनिया ने टीवी पर देखा कि कैसे स्वात में कुछ पुरुष एक लड़की के हाथ-पैर बांधकर उसके कथित गुनाह की सजा कोड़े मार कर दे रहे थे। हैरत की बात यह थी कि एक लड़की को पुरुष सजा दे रहे थे। इन तालिबानियों से पूछा जाना चाहिए कि पुरुषों द्वारा एक लड़की को सजा देना कौनसा इस्लाम है ? स्वात घाटी में शरीया लागू करने के बाद वहां की औरतों का जीना हराम कर दिया गया है। लड़कियों के स्कूल जाने पर पाबंद आयद कर दी गयी है। इस्लाम तालीम हासिल करने के लिए चीन तक जाने की नसीहत देता है। लेकिन तालिबान की नजर में आधुनिक तालीम गुनाह है। वह कहता है कि सिर्फ दीनी तालीम हासिल करो। पाकिस्तान सरकार ने यह सोचकर स्वात में शरीया लागू करने की इजाजत दी थी कि वहां शांति हो जाएगी। लेकिन यह सोच

Loksangharsha: जहाँ जीव की माफ़ होती खताएं...

कभी कामना कामना को लजाये॥ चलो तृप्ति के द्वार डोली सजाएं॥ मुझे आइना जो दिखाने लगे वो- कई सूरतो में दिखी लालसायें॥ तटों को बहाने चली धार मानी मिटी रेत के गांव की भावनाएँ॥ उडे आंधियो के सहारे -सहारे - मिटाती रही जिंदगी वासनाएं॥ उसी राह को खोज ले पस्त ''राही'' जहाँ जीव की माफ़ होती खताएं॥ डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल ''राही''

सपा को दहकाते रामपुर के शोले

विवेक अवस्थी समाजवादीपार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की परेशानियां उनकी बौखलाहट में तब्दील हो गई हैं। शायद चुनावों में नतीजों का पूर्वानुमान उन्हें अभी से सता रहा है। पिछली बार 39 सांसदों को लोकसभा भेजने वाली समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष का आत्मविश्वास लगता है काफी डगमगा गया है। नेताजी परेशान हैं लेकिन आज से नहीं चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई तभी से। वह सबसे पहले बरसे मैनपुरी के जिलाधिकारी मिनिस्टी दिलीप पर। आरोप लगाया कि प्रशासन की मिलीभगत से राज्य सरकार उनके कार्यकर्ताओं को सता रही है। और क्योंकि जिलाधिकारी महिला हैं इसलिए वो उन्हें माफ कर रहे हैं। वोटिंग के दिन मुलायम का गुस्सा फिर सातवें आसमान पर था। वो भिड़ गए ओवजर्वर निलय नीतेश से। इस बार मुद्दा था राशन कार्ड। ओब्जर्वर का कहना था कि राशन कार्ड फर्जी है जबकि मुलायम का कहना था कि राशन कार्ड असली है क्योंकि इस पर जिलाधिकारी के हस्ताक्षर हैं। ... आगे पढ़ें के आगे यहाँ

Loksangharsha: ''खुदा भी मुस्कुरा देता था जब हम प्यार करते थे ''

प्रेम का इतना पवित्र वर्णन मख्दूम ही कर सकते थे । यहाँ पर खुदा का मुस्कुरा देना कवि की मासूमियत की पुष्टि करता है । यह कहा जा सकता है की माख्दूम का कवि जितना अवामी लडाइयो में मुब्तला था,निजामशाही साम्राज्य को उखाड़ फेकने की जिसने तहरीक चलाई थी ,वहीं उसने अपने क्रन्तिकारी साथियों के साथ भारत की स्वतंत्रता के लिए जान बाजी पर लगा थी। मख्दूम के सर पर उस वक्त पाँच हजार का इनाम था । मख्दूम भूमिगत थे। वे सशस्त्र घुमते थे। '' एक होकर दुश्मनों पर वार कर सकते है हम '' एक अन्य शेर में वे कहते है '' पानी में लगी आग परेशान है मछली कुछ शोला बदन उतरे है पानी में नहाने ...'' इसी तरह तेलंगना की नारी को संबोधित ''तेलंगना '' शीर्षक की कविता ग्रामीण युवती के भोलेपन को उसकी लज्जा को ख़ुद में स्वर देती है- '' फिरने वाली खेत की मेङों पर बलखाती हुई नर्मो शिरी कहकहों के फूल बरसाती हुई कंगनों से खेलती औरो से शर्माती हुई अजनबी को देखकर न खुश मत हो गए जा हां तेलंगना गाए जा , बांकी ते