बहुत खूबसूरत हो तुम बहुत खूबसूरत हो तुमकभी जो मै कह दू मोहब्बत है तुमसे तो मुझको खुदारा ग़लत मत समझना की मेरी ज़रूरत हो तुम बहुत खूबसूरत हो तुम है फूलों की डाली यह बाहें यह बाहें तुम्हारी है खामोश जादू निगाहें तुम्हारी जो काटें हो सब अपने दामन में रख लू सजाऊ मै कलियों से राहें तुम्हारी नज़र से ज़माने की ख़ुद को बचाना किसी और से देखो दिल न लगाना की मेरी अमानत हो तुम बहुत खूबसूरत हो तुम है चेहरा तुम्हारा की दिन है सुनेहरा और उसपर यह काली घटाओं का पहरा गुलाबों से नाज़ुक महकता बदन है यह लब है तुम्हारे की खिलता चमन है बिखेरो जो जुल्फे तो शर्माए बादल यह "अलीम" तो हो जाए पागल वोह पाकीजा मूरत हो तुम बहुत खूबसूरत हो तुम जो बन के मुस्कुराती है अक्सर शबे हिज्र में जो रुलाती है अक्सर जो लम्हों ही लम्हों में दुनिया बदल दे जो शायर को दे जाए पहलु ग़ज़ल की छुपाना जो चाहे छुपाई न जाए भुलाना जो चाहे भुलाई न जाए वोह पहली मोहब्बत हो तुम बहुत खूबसूरत हो तुम बहुत खूसूरत हो तुम अलीम आज़मी