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Showing posts from August 15, 2009

लो क सं घ र्ष !: तुम्हारी नजरो में हमने देखा....

स्वतंत्रता दिवस पर विशेष मुर्ख अशिक्षित धनपशुओं की, मंडप में लगती बोली। सुंदर शिक्षित बालाओ की, डोली में जलती होली ॥ यह लोकतंत्र है भरी बाजार दुशासन खींचै, विवश द्रोपती की साड़ी। निशदिन सीता हरण होय, औ पुलिस मस्त पीकर ताडी॥ यह लोकतंत्र है जनता के रक्षक लगे हुए है, हत्या लूट डकैती में। गुंडागर्दी, अपहरण, फिरौती, शामिल इनकी ड्यूटी में ॥ यह लोकतंत्र है माननीयों की कृपा हो तो, डकैत की भी चांदी है। माफिया, मिलावटखोर, चोर , नेता, चमचे कट्टाधारी ॥ यह लोकतंत्र है अधिकारी और माफिया मिल , अरबो का राशन खाय रहे। असहाय गरीब मरें भूखे, चोरकटवे मौज उडाय रहे ॥ यह लोकतंत्र है गरम मसाला खोया नकली नकली तेल , दवा नकली सुअर की चर्बी से देशी घी, नकली दूध, दही नकली ॥ यह लोकतंत्र है बिना दूध देशी घी खोया, माया राज की माया। गैया भैसी के बिना दूध, बुधवा मुस्काया ॥ यह लोकतंत्र है रक्षा का जिन पर भार, लिप्त है हत्या रिश्वतखोरी में । थाने में धुत्त दरोगा जी, मातहत वसूली चोरी में॥ यह लोकतंत्र है सत्य अहिंसा की धरती पर राक्षस नंगे नाच रहे। साधू भेष में छिपे भेडिये, बैठे गीता बांच रहे॥ यह लोकतंत्र

लो क सं घ र्ष !: आयोग एक दवा और एक मर्ज भी!

tor" content="Microsoft Word 11"> हमारा देश कई प्रधान देश है। कृषि प्रधान तो था ही। क्रिकेट प्रधान तो है ही। होते होते देश अब आयोग प्रधान भी हो गया है। देश की आने और जाने वाली सरकार भी करें तो क्या करेंे। बिना आयोग के सरकारे नहीं चला करती। नई सरकार का नये आयोग गठन किए बिना गुजारा नहीं। वो सरकार ही क्या जो अपने कार्यकाल में आयोग का योगासन न करे। कितने आयोगों का गठन हो चुका! उनका हमारे लोंकतंत्र में क्या योगदान है इसका योग यहां पर किया जा रहा है। आयोग बेराजगारी दूर करने का साधन। आयोग की इस देश को बहुत आवश्यकता है। सरकार किसी गंभीर,पेचीदगीभरी मुद्दे पर स्वेच्छा से या अनिच्छा से आयोग का गठन करती है। वो आयोग का गठन कर एक तरह से बेरोजगारी कम करती है। आयोग रिटायर व्यक्ति को काम देता है। सेवानिवृत्त होने के बाद खाली बैठना बेराजगारी नहीं तो क्या है! आप इसे बेराजगारी न माने तो अर्धबेरोजगारी तो है ही। अब आप इसे मानने से इंकार न करीएगा। करीएगा तो करीएगा। हम तो सेवानिवृत्त अधिकारी को बेराजगार ही कहेंगे। आयोग अवकाश की पुन:प्रात्ति का एक फरमान। आयोग का गठन कर सरकार कई पुर

आज का सवाल

आज का सवाल :- क्या हम आजादी का पर्व परंपरा में मानते है, पवित्र मन से ? "मानवता का हो गया अस्त, फिर भी १५ अगस्त " आपके विचार आमंत्रित है cg4bhadas.com यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

ग़ज़ल

वो जो मिलता रहा बहाने से पास आता नही बुलाने से लाख छुपने की कोशिशें कर लें प्यार छुपता नही छुपाने से वो मिलता रहा अकेले में अब बताता फिरे ज़माने से मुझसे रूठा तो पास था मेरे दूर होने लगा मनाने से जाम पीता था होश रहता था बा ख़बर हूँ मै ना पिलाने से उसके दरपर जो सर झुके "अलीम" अब उठता नही उठाने से

ग़ज़ल

जी में आए मुझे वोह सज़ा दीजिये पर मेरी खता पहले बता दीजिये । कौन कहता है दवा भी पिला दीजिये आप जीने की दिल से दुआ दीजिये । आप मुलजिम भी आप मुंसफ भी है सोच कर यह ज़रा फैसला कीजिये । आप मेरी हैं मेरी रहेंगी सदा सारी दुनिया को इतना बता दीजिये । जाम मीना सुराही से क्या वास्ता आप आँखों से अपनी पिला दीजिये । बात करती हो मेरी जान ऐसे करो मत किसी गैर का वास्ता दीजिये ।