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Showing posts from July 21, 2010

मै भ्रष्टाचारी का चोला हूँ॥

मै भ्रष्टाचारी का चोला हूँ॥ जो घर घर पूजा जाता हूँ॥ बाए हाथ से घूंस हूँ लेता॥ राज़ की बात बताता हूँ॥ दस लाख कतली देते है॥ पांच लाख तक चोर॥ अगर बात आगे बढ़ जाती... मच जाता है शोर॥ खड़े खड़े लोगो की बाते॥ अपने कान ओनाता हूँ... मै भ्रष्टाचारी का चोला हूँ॥ जो घर घर पूजा जाता हूँ॥ नयी सोच के लडके आते ॥ लेके नोटों की पेटी॥ नौकरी हमहू का चाहि साब॥ लगवा दो मेरी रोज़ी॥ दर्द सहन कर लेते है सब॥ उनकी व्यथा सुनाता हूँ॥ दौलत की दुनिया भूखी हो गयी। सच की कही नहीं है बात॥ सब धामन थामे है उसका॥ सब करते अपने से घात॥ बैठ महल में भजन मै करता॥ फ़ोकट का माल लोताता हूँ॥ मै भ्रष्टाचारी का चोला हूँ॥ जो घर घर पूजा जाता हूँ॥

तुम उपज हमारी हो..

तुम उपज हमारी हो॥तुम्हे बहलाऊगी॥ तेल मालिश करके तुम्हे नहलऊगी॥ समय आने पर मेरे बेटे वह बात बताऊगी॥ जिस दिशा की सच्ची लय हो॥ उसी दिशा को जाना है॥ लय प्रलय में मेरे लल्ला ॥ मान नहीं डिगाना है॥ सही समय आने वाला है॥ रचि रचि स्वाद चखौगी॥ तुम उपज हमारी हो॥तुम्हे बहलाऊगी॥ सुभ समय का होगा आना॥ शुभ शुभ बीते गी रात॥ नाम हमारा अमर करोगे॥ शुभ करोगे कार्य ॥ सपना सच मेरे हो जाए॥ मै भी मंगल गाऊगी॥ तुम उपज हमारी हो॥तुम्हे बहलाऊगी॥ दुःख तकलीफ तुम्हे नहीं होगी॥ छुपा के रख लू आँचल में॥ टोना टोटका दूर करूगी॥ माथ सजादू काजल से॥ सद्बुद्धि की गंगा मै तो॥ तेरे लिए ले आऊगी॥ तुम उपज हमारी हो॥तुम्हे बहलाऊगी॥

कुवारा लागल मरबय॥

बीत गय जवानी अब आयी बूढाई हो॥ कुवारा लागल मरबय॥कुवारा लागल मरबय॥ जिया उबियाय हो॥ कुवारा लागल मरबय॥ सोलह की उमरिया मा खेले गुल्ली डंडा॥ अखिया गवाय के होय गये अंधा॥ अतिया मा निंदिया करय उपहास हो॥ कुवारा लागल मरबय॥ घर कय गरीब रहिय्ले भइल न eइलाज॥ देशी दवाई कय कीन्हा उपचार॥ दाहिनी आँख आंधर भैले नइखे देखायहो॥ कुवारा लागल मरबय॥ चश्मा पहिन जब चलली सड़किया॥ पीछे से सीटी बजावै लड़किया॥ असली रूप देख के लगे उकिलाय हो॥ कुवारा लागल मरबय॥ मन टूट गइला मनवा अधीर भा ॥ माया मोह छुटट नाही जायी कहा॥ दिन मा दिनौधि होय केहका बतायी हो॥ कुवारा लागल मरबय॥