मै भ्रष्टाचारी का चोला हूँ॥ जो घर घर पूजा जाता हूँ॥ बाए हाथ से घूंस हूँ लेता॥ राज़ की बात बताता हूँ॥ दस लाख कतली देते है॥ पांच लाख तक चोर॥ अगर बात आगे बढ़ जाती... मच जाता है शोर॥ खड़े खड़े लोगो की बाते॥ अपने कान ओनाता हूँ... मै भ्रष्टाचारी का चोला हूँ॥ जो घर घर पूजा जाता हूँ॥ नयी सोच के लडके आते ॥ लेके नोटों की पेटी॥ नौकरी हमहू का चाहि साब॥ लगवा दो मेरी रोज़ी॥ दर्द सहन कर लेते है सब॥ उनकी व्यथा सुनाता हूँ॥ दौलत की दुनिया भूखी हो गयी। सच की कही नहीं है बात॥ सब धामन थामे है उसका॥ सब करते अपने से घात॥ बैठ महल में भजन मै करता॥ फ़ोकट का माल लोताता हूँ॥ मै भ्रष्टाचारी का चोला हूँ॥ जो घर घर पूजा जाता हूँ॥