कमाल है ना , नए एचआरडी मंत्रीजी आए नहीं कि ढिंढोरा पीटना शुरू कर दिया। इसको बदलो , उसको बदलो। बोर्ड के एक्जाम हटा दो , यूजीसी हटा दो , नई रेग्यूलेटरी बॉडी बना दो , 100 दिन में यशपाल कमेटी को लागू कर दो। ऐसा शोर मच रहा है कि पता नहीं हायर एजुकेशन का क्या उद्धार होने वाला है। हलचल जरूर है , लेकिन क्या कोई सही मुद्दा समझ रहा है ? एक बात पर सबके कान खड़े हो गए। जबरदस्त बहस छिड़ गई। मंत्रीजी ने फरमाया कि क्लास टेंथ यानी दसवीं के बोर्ड एक्जाम खत्म कर दो। बोर्ड एक्जाम से कोई फायदा तो होता नहीं , उलटे स्टूडेंट्स पर स्ट्रेस पड़ता है। दिलो दिमाग पर इतना बोझ और तनाव डालने की भला क्या जरूरत। ( मजे की बात यह कि स्ट्रेस - फ्री या तनाव - रहित शिक्षा बड़ी चलन में है आजकल। गोया कि लोग अपने बच्चों के लिए स्कूल नहीं चाहते , बल्कि स्पा या आश्रम चाहते हैं। ) इधर मंत्रीजी ने फरमाया और उधर देखते ही देखते ही मीडिया की बांछें खिल गईं। उसने मंत्रीजी की बात