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Showing posts from March 6, 2010

लो क सं घ र्ष !: बजट नीतियाँ लीक से हटने की दरकार - 3

सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री श्री कमल नयन काबरा की शीघ्र प्रकाशित होने वाली पुस्तक ' आम आदमी - बजट और उदारीकरण ' प्रकाशन संस्थान नई दिल्ली से प्रकाशित हो रही है जिसकी कीमत 250 रुपये है उसी पुस्तक के कुछ अंश नेट पर प्रकाशित किये जा रहे हैं । - सुमन इस पर गर्व करने वाले यह भुला देते हैं कि लगभग 52 लाख करोड़ रूपयों की वर्तमान चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय का यह खर्च बमुश्किल पाँचवा हिस्सा ही है और कुछ अरसे पहले तक देखे गये तीस प्रतिशत के स्तर से गिरावट दिखाता है। वैश्विक मन्दी, भारत पर इसके कुप्रभाव, राष्ट्रीय दीर्घकालीन समस्याओं के जटिलतर और व्यापक होते आयामों , सरकारी खर्चं की घटती प्रभावशीलता तथा इसमें हो रहे बड़े-बड़े सुराख, जनाकांक्षाओं में वृद्धि तथा मूल्यगत स्तर पर स्वयं सरकारों और शासक दलों की घोषित प्रतिबद्धताएँ और नीतियाँ यह रेखांकित करती है कि सरकारी भूमिका सापेक्ष तथा निरपेक्ष दोनों स्तरों पर बढ़े। यहाँ तक कि राष्ट्रीय आय में सार्वजनिक क्षेत्र का हिस्सा गिरकर 25 प्रतिशत के 2000 के अंक से जब करीब 21 प्रतिशत रह गया है। जाहिर है निजीकरण तथ