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Showing posts from September 4, 2025

सितंबर ४, बाल कविता, तुहिना-दादी, मुक्तिका, सॉनेट, नर्मदा, दोहा,

सलिल सृजन सितंबर ४ विश्व ताइक्वांडो दिवस * सलिल दोहावली शील न रोने में तनिक, शील धरे मन धैर्य। शुभ के प्रति आश्वस्त हो, करें अशुभ से वैर्य।। • गत की कम चर्चा करें, आगत की हो फिक्र। जो मन में हरदम रहे, वह न चाहता जिक्र।। • मैं तुम हम होकर करें, चुप हो उसकी याद। जिसकी सुधियों को रखा, निशि-वासर आबाद।। • बीता समय न लौटता, यही सृष्टि का सत्य। प्रभु दर्शन देते नहीं, भक्त सुमिरते नित्य।। • नए दिवस का अवतरण, अर्ध रात्रि के बाद। उषा भोर होती प्रगट, लेकर शुभ संवाद।। • सरला मति होती भ्रमित, सच लगता संसार। कहते हैं मतिमान सब, है संसार असार।। • सुख का नित सुमिरन करें, सके न दुख तब व्याप। दुख की माला फेरकर, सुख खोते हम आप।। • सुख के पल जितने मिले, वे प्रभु कृपा प्रसाद। कृष्ण कांत संतोष दें, बिसरे कभी न याद।। • सदानंद थाती मिली, रूप पर्व-त्यौहार। नव पीढ़ी को साथ ले, मना लुटाएँ प्यार।। • श्वास श्वास सिंगार कर, आस आस मनुहार हास बना पाथेय लें, उन्नत रखें लिलार।। • बसा आत्म परमात्म जो, वह सर्वथा सुशील। लीन आप में आप है, जला याद कंदील।। • अश्रु पात कर मत करें, ईश्वर का अपमान। होनी को स्वीकार कर, रखें दैव ...

प्रसंग चित्रण, चित्र पर कविता

प्रसंग चित्रण प्रसंग है एक नवयुवती छज्जे पर क्रोधित मुख मुद्रा में है जैसे वह छत से कूदकर आत्महत्या करने वाली है। विभिन्न कवियों से अगर इस पर लिखने को कहा जाता तो वो कैसे लिखते ? ० मैथिली शरण गुप्त अट्टालिका पर एक रमणी अनमनी सी है अहो किस वेदना के भार से संतप्त हो देवी कहो? धीरज धरो संसार में, किसके नही दुर्दिन फिरे हे राम! रक्षा कीजिए, अबला न भूतल पर गिरे। ___________________________________ रामधारी सिंह दिनकर दग्ध ह्रदय में धधक रही, उत्तप्त प्रेम की ज्वाला, हिमगिरी के उत्स निचोड़, फोड़ पाताल, बनो विकराला, ले ध्वन्सों के निर्माण त्राण से, गोद भरो पृथ्वी की, छत पर से मत गिरो, गिरो अम्बर से वज्र सरीखी. __________________________________ श्याम नारायण पांडे ओ घमंड मंडिनी, अखंड खंड मंडिनी वीरता विमंडिनी, प्रचंड चंड चंडिनी सिंहनी की ठान से, आन बान शान से मान से, गुमान से, तुम गिरो मकान से तुम डगर डगर गिरो, तुम नगर नगर गिरो तुम गिरो अगर गिरो, शत्रु पर मगर गिरो। __________________________________ गोपाल दास सक्सेना 'नीरज' रूपसी उदास न हो, आज मुस्कुराती जा मौत में भी जिन्दगी, के फूल...

जीएसटी दरें, सरकार के लिए चुनौती, जनता को राहत

लेख- सरकार का जीएसटी घटाने का निर्णय सही है या नहीं, यह इस पर निर्भर करता है कि इसे किस पर लागू किया गया और किस आर्थिक स्थिति में किया गया। अगर जीएसटी आवश्यक वस्तुओं (जैसे खाद्यान्न, दवा, शिक्षा सेवाएँ, एमएसएमई को आवश्यक कच्चा माल) पर घटाया गया है तो यह आम जनता और छोटे व्यवसायों के लिए राहतकारी है। टैक्स कम करने से खपत और उत्पादन बढ़ता है, जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलती है। अगर दरें घटाकर अनुपालन आसान होता है और अधिक व्यापारी जीएसटी नेटवर्क में आते हैं तो लंबे समय में सरकार का टैक्स कलेक्शन भी बढ़ सकता है। अगर जीएसटी लक्ज़री वस्तुओं या गैर-जरूरी वस्तुओं पर घटाया गया है तो इसका लाभ आम जनता तक नहीं पहुँचता और सरकार की कमाई घट जाती है। अगर सरकार पहले से ही राजकोषीय घाटे से जूझ रही हो तो टैक्स घटाने से उसकी वित्तीय स्थिति और बिगड़ सकती है। अगर बिना रणनीति के सिर्फ़ राजनीतिक दबाव में टैक्स घटाया गया हो तो यह स्थायी समाधान नहीं है। अगर सरकार ने आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी घटाया है तो यह बिल्कुल सही कदम है क्योंकि इससे जनता, उद्योग और अर्थव्यवस्था, तीनों को लाभ होगा। लेकिन अगर यह कमी गैर-...