सलिल सृजन सितंबर ४ विश्व ताइक्वांडो दिवस * सलिल दोहावली शील न रोने में तनिक, शील धरे मन धैर्य। शुभ के प्रति आश्वस्त हो, करें अशुभ से वैर्य।। • गत की कम चर्चा करें, आगत की हो फिक्र। जो मन में हरदम रहे, वह न चाहता जिक्र।। • मैं तुम हम होकर करें, चुप हो उसकी याद। जिसकी सुधियों को रखा, निशि-वासर आबाद।। • बीता समय न लौटता, यही सृष्टि का सत्य। प्रभु दर्शन देते नहीं, भक्त सुमिरते नित्य।। • नए दिवस का अवतरण, अर्ध रात्रि के बाद। उषा भोर होती प्रगट, लेकर शुभ संवाद।। • सरला मति होती भ्रमित, सच लगता संसार। कहते हैं मतिमान सब, है संसार असार।। • सुख का नित सुमिरन करें, सके न दुख तब व्याप। दुख की माला फेरकर, सुख खोते हम आप।। • सुख के पल जितने मिले, वे प्रभु कृपा प्रसाद। कृष्ण कांत संतोष दें, बिसरे कभी न याद।। • सदानंद थाती मिली, रूप पर्व-त्यौहार। नव पीढ़ी को साथ ले, मना लुटाएँ प्यार।। • श्वास श्वास सिंगार कर, आस आस मनुहार हास बना पाथेय लें, उन्नत रखें लिलार।। • बसा आत्म परमात्म जो, वह सर्वथा सुशील। लीन आप में आप है, जला याद कंदील।। • अश्रु पात कर मत करें, ईश्वर का अपमान। होनी को स्वीकार कर, रखें दैव ...