मुक्तिका ......... बात करें संजीव 'सलिल' * * बात न मरने की अब होगी, जीने की हम बात करें. हम जी ही लेंगे जी भरकर, अरि मरने की बात करें. जो कहने की हो वह करने की भी परंपरा डालें. बात भले बेबात करें पर मौन न हों कुछ बात करें.. नहीं सियासत हमको करनी, हमें न कोई चिंता है. फर्क न कुछ, सुनिए मत सुनिए, केवल सच्ची बात करें.. मन से मन पहुँच सके जो, बस ऐसा ही गीत रचें. कहें मुक्तिका मुक्त हृदय से, कुछ करने की बात करें.. बात निकलती हैं बातों से, बात बात तक जाती है. बात-बात में बात बनायें, बात न करके बात करें.. मात-घात की बात न हो अब, जात-पांत की बात न हो. रात मौन की बीत गयी है, तात प्रात की बात करें.. पतियाते तो डर जाते हैं, बतियाते जी जाते हैं. 'सलिल' बात से बात निकालें, मत मतलब की बात करें.. *************** Acharya Sanjiv Salil http://divyanarmada.blogspot.com