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Showing posts from October 25, 2008
लावारिस नहीं है कोई लाश शव, शवयात्रा, कफन और दाह संस्कार ऐसे शब्द हैं जिनका प्रयोग कोई आपके सामने करे तो सारा माहौल भारी हो जाएगा. मगर आज हम चंडीगढ़ की जिस महिला समाजसेवी का परिचय आपसे करवाने जा रहे हैं ये शब्द और उनसे जुड़ी हुई क्रियाएं उनकी रोजमर्रा की जिंदगी हैं. अमरजीत कौर ढिल्लों चंडीगढ़ में रहती हैं और मृत देह का कफन-दफन उनके जीवन का अनिवार्य हिस्सा है. आप कभी भी उनके घर में जाईये, वहां आपको कुछ कफन के टुकड़े हमेशा धरे मिल जाएंगे. लावारिश लाशों की इस तारणहार को आप बड़ी आसानी से पीजीआई, चंडीगढ़ में ढूंढ़ सकते हैं. उनका मानना है कि ज्यादातर जरूरतमंद और गरीब लोग पीजीआई में ही आते हैं इसी वजह से वे यहां मौजूद रहती हैं, ताकि जिसे भी उनकी जरूरत हों वे समय पर उसके लिए वहां मौजूद रह सकें. वे पीजीआई में आये गरीबों की हर तरह से मदद करती हैं. जिनके पास इलाज के लिए पैसों की कमी है उसके लिए पैसों की व्यवस्था करवाना. कई लोग ऐसे भी आते हैं जो इलाज कराने में ही इतना चुक जाते हैं कि वापस लौटने का किराया तक नहीं बचता. वे घर तक पहुंच सकें, इसकी चिंता भी वे करती हैं. शायद अपने इन्हीं परोपकारी कार्य
चार पैग चढ़ाकर राम मंदिर पर फैसला मशहूर साहित्यकार खुशवंत सिंह ने अपने कालम में मनमोहन सिंह और लालकृष्ण आडवाणी पर टिप्पणी की है. उम्र के जिस पडाव पर खुशवंत सिंह हैं, वहां उनसे निष्पक्ष सोच की उम्मीद की जाती है, लेकिन जिस तरीके से उन्होंने मनमोहन सिंह की तरफदारी करते हुए लालकृष्ण आडवाणी को घेरने की कोशिश की है, उससे यही लगता है सरदारों पर जो चुटकुले बने हैं, वो सब खुशवंत सिंह के मिजाज को देखते हुए ही बनाये गए हैं. मनमोहन सिंह बेशक इमानदार हो सकते हैं. कांग्रेस वालों का बैकग्राउंड देखते हुए उन्हें निश्चय ही अपवाद कहा जा सकता है, लेकिन एक अर्थशास्त्री के रूप में उनकी उपलब्धियों को देखते हुए आज की महंगाई के लिए उन्हें बरी कैसे किया जा सकता है. लालकृष्ण आडवाणी से नाइत्तफाक रखने वाले उनसे लाख विषयों पर बैर कर सकते हैं, लेकिन इस बात से कौन इनकार कर सकता है कि आडवाणी एक सुलझे हुए नेता हैं, किसी भी विषय पर अपनी सोच रखते हैं, इतिहास का अध्ययन उनने मनमोहन सिंह से ज्यादा किया है. जो कांग्रेस पार्टी आज देशी अध्यक्ष नही जुटा सकती, जो पार्टी सोनिया गाँधी के इशारे पर नरसिम्हा राव कि उपलब्धियों को जमी
राज के हरकतों से तंग आ गया हूँ राज के हरकतों से तंग आ गया हूँ और अब मुह से भड़ास निकलने का दिल भी नहीं होता मेरा मतलब सीधा है भाइयों अब हमे भी एक बार हाथ साफ़ करने का अवसर मिलना चाहिए राज तो आये दिन हाथ साफ़ कर लेते है पर हम भी इंसान है हमारी भी कुछ भावनाए है ॥हमारा भी दिल करता है हाथ साफ़ करने का ।और राज से अच्छा विकल्प हो ही नहीं सकता !क्यों की भैया अपना तो ऐसा ही जो सोचा सो सोचा ..अब इंतज़ार है मौके का !ऐसी बात नहीं है की मैं अकेले हाथ साफ़ कर लूँगा ..मैं अपने सारे भाइयों को मौका दूंगा यार विस्वास करो मे लेकः हूँ नेता तो हूँ नहीं !!आज एक पूजा का आयोजन कर रहा हूँ जिससे भगवान् mujhe jaldi se जल्दी अवसर उपलब्धी कराये आप सभी आमंत्रित है ! संजय सेन सागर