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Showing posts from April 16, 2009

चलो मुल्क की तस्वीर और कॉम की तकदीर बदलनी है

विगत १५ अप्रैल को मेरा लेख था " चुनावी दौर अपने पूरे शबाब पर" आखिर कब तक, और आज पहले चरण के 16vi लोकसभा के चुनाव के लिए वोट डालने के पहले चरण के पहले दिन तक यह कलम खामोश रहा मैंने इस लेख के आखिरी में लिखा था जारी ...अगले दिन अर्थात १५ अप्रैल को इस लेख की अगली किस्त आपके हाथो की सोभा बननी चाहिए थी ...सफ़र और व्यस्थाये कभी कभी मजबूरी होती है है मगर ऐसा भी नहीं तीन दिन तक न लिखा जाए .....मै राजनीति में उतरना चाहता था , नहीं उतरा रोक लिया अपने आपको, मै राजनीती पर लिखना भी नहीं चाहता था , इसलिए की वास्तविकता के दर्पण में कोई अपना चेहरा देखना नहीं चाहता और सच इतना कड़वा है की आप अपनी इमानदारी पर जमे रहे और इन राजनीतिग्यो की परशंषा में दो वाकया भी बोलना चाहे ऐसा कोई चेहरा तलाश करना आसान नहीं है फिर क्या करे ? किसको चुने ? सरकार तो बनेगी ........जाप वोट देंगे तब भी , वोट नहीं देंगे तब भी . अतः पहला फैसला तो यह क्या किया जाए वोट अवश्य दिया जाए, कोई इस योग्य न हो तब भी दिया जाए. यह देखकर की इन सबमे कौन ऐसा है जिसमे अच्छा कौन है अगर नहीं तो बुराईयाँ औरो से कम है या उनमे कौन ऐसा है जिसे ह

मेरा ब्लॉग मेरी बात ,

लिखते लिखते थक गए हाथ , गुजरा दिन गुजरी रात , कुछ लिखने की बात पर न बने हालत , तब मैंने बनाया मेरा ब्लॉग मेरी बात , जज्बात बह रहे थे पर कैसे बदले हालत सब मौन थे फिर मेरे भाई तब मैंने बनाया मेरा ब्लॉग मेरी बात , तुम लिखोगे तो क्या होगा जब अच्छे अछ्के बिक गए जब कलम भी घिस गयी और न बदले हालत तब मैंने बनाया मेरा ब्लॉग मेरी बात , आप परेशां न हो टेंसन न ले क्यकी आने वाला कल कर देगा बरबाद तब मैंने बनाया मेरा ब्लॉग मेरी बात , मैं बोलूँगा बिस घोलूँगा बदलूँगा हालत कल आज और कल अपनी ताक़त के साथ तब मैंने बनाया मेरा ब्लॉग मेरी बात , ये बिस कुछ नया कर दिखायेगा बदलेगी कल की सूरत और बदलेगा इतिहास पर कैसे बदले हालत केवल और केवल जाने मेरा ब्लॉग मेरी बात , "अम्बरीष मिश्रा" अब आपके साथ " अम्बरीष मिश्रा" अब आपके साथ सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

सबसे बड़े मतदाता-गब्बर सिंह और अनारकली का प्रेमी सलीम

शैलेश भारतवासी जी जी ने आज मुझे ऑरकुट पर कुछ मजेदार और हम ज्ञानवर्धक भी कह सकते है इस तरह की तस्वीरें हम तक भेजी,मुझे अच्छी लगी तो आप लोगों तक पहुंचा रहा हूँ आशा है आप सभी को भी पसंद आएँगी,आपको शैलेश जी का यह प्रयास कैसा लगा अपनी राय जरुर पहुंचाएं सबसे जागरूक मतदाता कौन गब्बर ना प्यार ना पैसा,बस वोट अच्छा आपके पास वोट है पहले क्यों नहीं बताया,प्लीज़ बैठिये ना तस्वीरों के नीचे दिए गए कमेंट्स संजय सेन सागर यानी मेरे है सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

अब न रहा वो सद्दाम का इराक !

पश्चिमी मिडिया में लगातार छपी खोजी रपटों से मार्डेन हिस्ट्री की जघन्यतम हत्या की सच्चाई छन छन कर सुर्खियों में आई थी | जार्ज वाकर बुश, जो अब राष्ट्रपति नहीं रहे, ने विश्व बिरादरी से झूठ बोला था कि इराक के दिवंगत राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन (जिन्हें शहीद कर दिया गया था) नरसंहार के भयावह शस्त्रों के उत्पादन में जुटे थे | अमेरिका के वर्तमान रष्ट्रपति बराक़ हुसैन ओबामा ने चुनाव के समय यह कहा था कि उनके प्रतिद्वंदी जान मैक्कन की रिपब्लिकन पार्टी झूठ के पहाड़ पर खड़ी हुई है और अमेरिका की जनता ही इसका जवाब देगी | हुआ भी यही चुनाव के बाद की तस्वीर साफ़ है, अब वहां बुश की पार्टी हाशिये पर आ गयी और इसी के चलते बुश से पहले ब्रितानिया हुकुमत टोनी ब्लेयर के हाथो से निकल गयी और टोनी ब्लेयर को इराक पर गुमराह करने करने के कारण ही ब्रिटेन के प्रधानमत्री का पद छोड़ना पड़ा | उधर अमेरिका में मुस्लिम से ईसाई बने बराक हुसैन ओबामा अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने लेकिन विश्व बिरादरी को ज्यादा खुश होने की ज़रुरत नहीं है कि बराक ओबामा के अमेरिका का राष्ट्रपति बन गए हैं|  बुश का जो हाल हुआ वो तो होना ही था, इर

हिन्दुस्तान के दर्द का काफिला यूँ ही दिन दूनी और रात-चौगुनी तरक़्क़ी करे!

संजय सेन जी, 'हिन्दुस्तान का दर्द' के समम्स्त सदस्यों और प्रिय पाठकों ! हिन्दुस्तान के दर्द का काफिला यूँ ही दिन दूनी और रात-चौगुनी तरक़्क़ी करे | मैं आप सभी पाठकों और हिन्दुस्तान के दर्द (HKD) के सदस्यों को बता दूँ मैंने ब्लोगिंग की शुरुवात यहीं से की है और आज तक दर्जनों पोस्ट करी हैं, मेरा आप सभी लोगो से अनुरोध है कि मेरे समस्त लेख पढने के लिए यहाँ चटका लगायें और अपने विचार रखें, टिपण्णी और आलोचना करें| आपका सलीम खान स्वच्छ सन्देश: हिन्दोस्तान की आवाज़ लखनऊ व पीलीभीत,उत्तर प्रदेश

सासू चलीसा

दोहाः मेरे पति की मात हे सदा करव कल्याण.. तुम्हरी सेवा में न कमी रहू हरदम रखूं ध्यान// जय जय जय सासू महरानी हरदम बोलो मीठी वाणी. तुम्हरी हरदम करवय सेवा फल पकवान खिलाउब मेवा// हम पर ज्यादा करो न रोष हम तुमका देवय न दोष. तुम्हरी बेटी जैसी लागी तुम्हारी सेवा म हम जागी// रूखा-सूखा मिल के खाबय करय सिकायत कहू न जावय पति देव खुश रहे हमेशा उनके तन न रहे क्लेशा. इतना वादा कय लिया माई फिर केथऊ कय चिंता नाही// जीवन अपना चम-चम चमके फूल हमरे आंगन म गमके. जैसी करनी वैसी भरनी तुम जानत हो मेरी जननी// संस्कार कय रूप अनोखा कभौ न होय हमसे धोखा. हसी खुशी जिनगी बीत जाये सुख दुख तो हरदम आये// दोहाः रोग दोष न लगे ई तन मा.जाता रहे कलेश सासू मॉ की सेवा जो करे खुशी रहे महेश.. बोलो सासू माता की जै,,

बैकुण्ठ हो गया दादा जी को

बैकुण्ठ हो गया दादा जी को शम्भू नाथ मरने के बाद रोना चिल्लाना, क्रिया कर्म करना ये सब तो समझ में आता है, लेकिन ये बात समझ नहीं आयी कि हमारे दादा जी को बैकुण्ठ हो गया। जब दादा जी मर गये तो हमारे लोगों - परिजनों उनकी अर्थी को गंगा में विसर्जित करके क्रिया कर्म करने की योजना बनायी क्योंकि अधिक से अधिक पुराने किस्म के रितिरिवाज पूर्वी उत्तर प्रदेश मे पाये जाते हैं। यहाँ के लोग अधिक अंधविश्वासी ही होते हैं और अपने बुजुर्गों के बताये मार्ग पर चलते हैं। जब दादा जी की तेरहवीं थी तो नाते रिश्तेदारों का जमवाड़ा हो गया और जब सारे लोग खाना खा लिए तो औरतों ने चावल तौल करके एक बर्तन मे रखा और थोड़ी सी राख भी एक पीढ़ा पर बिछा दिया। उसके बाद लोग सोने को अपने अपने बिस्तर पर चले गये। जब रात बीत गयी तो दूसरे दिन सारी औरतों ने इकट्ठा हो करके सबसे पहले चावल तौला तो चावल थोड़ा ज्यादा, तो सब लोग कहने लगे की अब बरक्कत होगी, और अगर चावल कम होता तो कहते कि अब घाटा होगा। लेकिन चावल पहले की अपेक्षा ज्यादा था। उसके बाद राख का नम्बर आया तो राख को देख सबसे पहले औरतें ही बोली की दादा जी को बैकुण्ठ हो गया। बैकुण्ठ

...और जब अभिनेता से बन गए नेता

भारतीय राजनीति में क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर सिनेमा से जुड़े कई स्टारों ने प्रवेश किया है। चाहे वह टालीवुड से संबंध रखते हो या फिर मायानगरी के बॉलीवुड जगत से। इस बार के भी चुनाव में कई सितारों की किस्मत दांव पर है। कुछ ऐसे हैं जो अपनी पार्टी बनाकर देश पर छाना चाहते हैं वहीं कुछ ऐसे हैं जो दूसरी पार्टियों के चुनाव चिंह पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। ऐसे ही कलाकारों के राजनीति में समय-समय पर आने वाले कालखंड और उनकी सफलता का एक विश्लेषण... मुख्यमंत्री जयललिताः 24 फरवरी 1948 को कर्नाटका के मैसूर में जन्मी जयललिता ने अपना फिल्मी करियर तमिल फिल्म इंडस्ट्रीज से शुरुआत की। उन्होंने तमिल, इंग्लिश और हिंदी फिल्म अभिनेता धर्मेन्द्र के साथ अभिनेत्री का काम कर चुकी हैं। जयललिता तमिल फिल्म में पहली अभिनेत्री थी जिन्होंने स्कर्ट पहना था। 1961 से फिल्मी दुनिया में आने वाली जयललिता का आखिरी फिल्म 1980 में बनी। राजनीतिक करियर - जयललिता ने सन 1981 में राजनीतिक सियासत में कदम रखा। उन्होंने 1981 में एआईएडीएमके पार्टी में शामिल हुई और सन 1988 में राज्यसभा की सदस्य भी चुनी गई। एम.जी.रामचन्द्रन की राजनीत

ऐसे यौवन को धिक्कार

आज भारत में युवाओं का बड़ा महिमामंडन हो रहा है । ७१% नौजवानों की आबादी वाले राष्ट्र में युवाओ की राजनीतिक स्थिति पर चुनाव विश्लेषक योगेन्द्र यादव ने एक सटीक प्रश्न उठाया है कि " क्या सचमुच इस देश में ऐसा नौजवान युवा वर्ग मौजूद है जो अपने बूते राजनीति-चुनावों की दिशा तय कर सके ? जब मैं देखता हूँ कि राहुल नाम का एक लड़का जो गमले का फूल है, हजारों कांग्रेसी युवा कार्यकर्ताओं के अधिकारों को रौंदता हुआ मात्र वंशवाद के बूते प्रधानमंत्री के पद की ओर मूविंग चेयर पर बिठाकर बढाया जा रहा है । पूरी कांग्रेस में एक भी भगत सिंह नही है , जो इस वंश गुलामी का विरोध कर कार्यकर्त्ता की मर्यादा की प्रतिष्ठा करे ? " पंडित जगनिक के शब्दों में कहें तो ऐसे यौवन को धिक्कार !