भरूच। अबास रोशन पेंटर हैं और अंकलेश्वर के 150 साल पुराने गोल्डन ब्रिज को बचाने की कोशिश में जुटे हैं। इस पुल को खतरा है इस पर गुजरने वाले वाहनों से और प्रशासन के लापरवाही भरे रवैये से।
भरूच को अंकलेश्वर से जोड़ने वाला ये पुल 150 साल पुराना है। 1870 में नर्मदा नदी पर बने इस ब्रिज को सरकार ने ऐतिहासिक धरोहर तो घोषित किया लेकिन इस पुल की खस्ता हालत को प्रशासन नजरअंदाज करता रहा। भरूच और अंकलेश्वर दोनों औद्योगिक शहर हैं। हर दिन इस पुल से करीब 3000 गाड़ियां गुजरती हैं। इन भारी वाहनों के गुजरने से पुल को नुकसान होता है और ये कमजोर होता जा रहा है।
पुल को जर्जर होने से बचाने के लिए 1978 में भरूच प्रशासन ने 2000 किलो से ज्यादा वजन वाले वाहनों के इस पुल से गुजरने पर रोक लगा दी। लेकिन इस नियम की खुलेआम अनदेखी हो रही है। पुल की निगरानी के लिए दोनों तरफ पुलिस गश्त लगाती है लेकिन गैरकानूनी रूप से गुजर रहे वाहनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती।
भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाने के लिए 1976 में यहां एक weight bridge बनाया गया लेकिन आज इसकी हालत बेहद खराब हैं। अब ये कचरा पेटी बन गया है। इसे दोबारा शुरू करने के लिए सरकार कोई कदम नहीं उठा रही। प्रशासन की इस लापरवाही का कई बार विरोध किया। कई अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट में केस दर्ज करवाए और गांधीगीरी का सहारा लेकर वाहनों की आवाजाही बंद करवाने की कोशिश की लेकिन पुलिस की हफ्ता खोरी वे बंद नहीं करवा सके।
इन वाहन चालकों के खिलाफ प्रशासन क्या कार्रवाई कर रहा है ये जानने के लिए जब विभाग से पूछताछ की तो RTI के जरिए पता चला कि पुल से गुजरने वाली ज्यादातर गाड़ियां खुद पुलिसवालों की हैं। आगे पढ़ें के आगे यहाँ
भरूच को अंकलेश्वर से जोड़ने वाला ये पुल 150 साल पुराना है। 1870 में नर्मदा नदी पर बने इस ब्रिज को सरकार ने ऐतिहासिक धरोहर तो घोषित किया लेकिन इस पुल की खस्ता हालत को प्रशासन नजरअंदाज करता रहा। भरूच और अंकलेश्वर दोनों औद्योगिक शहर हैं। हर दिन इस पुल से करीब 3000 गाड़ियां गुजरती हैं। इन भारी वाहनों के गुजरने से पुल को नुकसान होता है और ये कमजोर होता जा रहा है।
पुल को जर्जर होने से बचाने के लिए 1978 में भरूच प्रशासन ने 2000 किलो से ज्यादा वजन वाले वाहनों के इस पुल से गुजरने पर रोक लगा दी। लेकिन इस नियम की खुलेआम अनदेखी हो रही है। पुल की निगरानी के लिए दोनों तरफ पुलिस गश्त लगाती है लेकिन गैरकानूनी रूप से गुजर रहे वाहनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती।
भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाने के लिए 1976 में यहां एक weight bridge बनाया गया लेकिन आज इसकी हालत बेहद खराब हैं। अब ये कचरा पेटी बन गया है। इसे दोबारा शुरू करने के लिए सरकार कोई कदम नहीं उठा रही। प्रशासन की इस लापरवाही का कई बार विरोध किया। कई अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट में केस दर्ज करवाए और गांधीगीरी का सहारा लेकर वाहनों की आवाजाही बंद करवाने की कोशिश की लेकिन पुलिस की हफ्ता खोरी वे बंद नहीं करवा सके।
इन वाहन चालकों के खिलाफ प्रशासन क्या कार्रवाई कर रहा है ये जानने के लिए जब विभाग से पूछताछ की तो RTI के जरिए पता चला कि पुल से गुजरने वाली ज्यादातर गाड़ियां खुद पुलिसवालों की हैं। आगे पढ़ें के आगे यहाँ
कोई आदमी छोटा या बड़ा नहीं होता बस होसला होना चाहिए
ReplyDeleteअच्छा लिखा है