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Showing posts from May 1, 2009

चंद अशआर : रात आचार्य संजीव 'सलिल'

पाक दामन दिख रहे हैं, दिन में हम भी दोस्तों। रात का मत ज़िक्र करना, क्या पता कैसे-कहाँ? पाक दामन दिख रहे हैं दिन में वो भी दोस्तों। रात भी शर्मा के जिनसे, दिनमें दिखती है नहीं। सागरों-मीना 'सलिल' को दिन में छू पाते नहीं। रात हो, बरसात हो तो कोई क्यों इनसे बचे? रात की बात ही निराली है। उजली सूरत भी लगे काली है॥ अँधेरा जितना घना हो रात में। सुबह उतनी खूबसूरत हो 'सलिल'॥ *************************

आडवानी , मोदी , सिंघल , उमा , वरुण आदि समेत अटल जी के लिए " दोगले " शब्द का प्रयोग निंदनीय है

भाई श्याम सखा श्याम ! आपको प्रणाम ! राजनीति का मतलब समझते होंगे शायद !राजनीति मतलब सत्ता यानि शक्ति हासिल करने का उपक्रम . इतना तो समझना ही चाहिए कि मतभेद होने से मनभेद होना जरुरी नहीं होता . सलीम जी ने अपनी पोस्ट में आडवानी , साध्वी ऋतंभरा , उमा भारती , अशोक सिंघल , विनय कटियार , वरुण गाँधी , नरेंद्र मोदी समेत सबो के चहेते आदरणीय अटल बिहारी वाजपेई जी का भी जिक्र किया है . आपने उस पोस्ट पर अपनी टिप्पणी में सभी के लिए " दोगले" जैसे अपशब्द का प्रयोग किया है . उनके सम्बन्ध में कुछ कहने से पहले उनके धुर विरोधी भी सौ बार सोचते हैं ! अटल जी के बाद एक मात्र सोमनाथ दादा को ही ऐसा सम्मान प्राप्त है . भारतीय राजनीति के पितामह कहकर खुद वर्तमान प्रधानमंत्री ने जिन्हें संबोधित किया हो उनके व्यक्तित्व पर शक करना आपकी ओछी मानसिकता और वैचारिक दरिद्रता का परिचायक है . मैं सलीम जी के विचारों का सम्मान करता हूँ इसलिए कि हमारे यहाँ तालिबान का शरियत लागु नहीं है . भारत वर्ष में लोकतंत्र है और 'विरोध' लोकतंत्र के लिए प्राणवायु का काम करता है । विरोध को अगर सम्मान न मिले तो लोकतंत्र को म

-------------मिडिया भी है चुप क्यो ?-------------------

फिसले भागो ( मंच में ) में इंसान और उसके तरीको पर मैंने लेख लिखा जो की लोगो के दुयारा सराहे गए और जिसने पुरा धान से पडा उसको समझ में भी आया की किस प्रकार इंसान में बदलाब आ रहे है । दोस्तों एक बात जो आप के है आस पास उस पर मिडिया भी है चुप क्यो ? " पहले की बात है बचपन की हम या कोई और मीठा खाना पसंद करते थे और ये सब प्राणियो का गुन है मीठा से प्यार । पर आज कल बच्चे कोई भी हो किसी जाती धर्म का हो वो नमकीन मागता है और टाफी या चाकलेट की जगह मीता ही मागता है "" क्यो ? जैसे भैस पर लगाई जाने वाली सुई से गिद्ध प्रजाती समत हो गयी ( बाद में पता चला ) जैसे उर्वरक से तितलिया गेस समाप्त हो गये ( बाद में पता चला ) कही हर माह पिलाई जाने वाली दवाइयों से ये लच्चन हो रहा हो ( बाद में क्या होगा इसका प्रभाव ) साइड इफेक्ट

मुसलमानों का एहसान माने भाजपा

सलीम अख्तर सिद्दीकी 1984 के लोकसभा में चुनाव भाजपा केवल दो सीटें जीतकर मर चुकी थी। केवल अन्तिम संस्कार शेष था। लेकिन राजीव गांधी की अपरिपक्व मंडली ने हिन्दुओं को खुश करने के लिए फरवरी 1986 में बाबरी मस्जिद पर लगे ताले को खुलवाकर बोतल में बंद जिन्न को बाहर निकाल दिया। ताला खुलने के बाद आखिरी सांसें गिन रही भाजपा को जैसे 'संजीवनी' मिल गयी। लालकृष्ण आडवाणी सहित कल्याण सिंह, साध्वी रितम्भरा, उमा भारती, अशोक सिंहल, विनय कटियार, प्रवीण तोगड़िया और न जाने कितने लोगों ने राम मंदिर को ही अपना एकमात्र मुद्दा बना लिया। गली-गली रामसेवकों की फौजें तैयार हो गयीं। नफरत,घृणा और कत्लोगारद का ऐसा माहौल तैयार किया गया कि हिन्दुस्तान का धर्मनिरपेक्ष ढांचा चरमरा कर रह गया। पूरा प्रदेश साम्प्रदायिक दंगों की आग में झुलसने लगा। नतीजा, 1989 के चुनाव में भाजपा की सीटें दो से बढ़कर 88 हो गयीं। भाजपा ने विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल की सरकार को बाहर से समर्थन दिया। राम मंदिर आंदोलन अपनी गति से चलता रहा। बेकसूर हिन्दू और मुसलमानों का खून पीता रहा। भाजपा रुपी 'ड्राक्यूला' पनपता रहा। विश्वनाथ प्रताप

Loksangharsha

प्रिय महोदय ,हिन्दोस्तान की आवाज कौन लोकसभा में सबसे ज्यादा सीटे हासिल करेगा ?, इसमे तीसरे मोर्चे को दर्शाया ही नही गया है । हो सकता है की तीसरे मोर्चे की सरकार बने ॥ सुमन loksangharsha . blogspot . com

Loksangharsha: फूल गायें तो समझो वसंत है ..

महकी हुई हवायें तो समझो वसंत है । कांटो में फूल गायें तो समझो वसंत है । कोयल की तान पर नए पातो का थिरकना - भौंरा भी गुनगुनाये तो समझो वसंत है । तिरछी हो नैन कोर तो समझो वसंत है । अधरों पे प्यासी भोर तो समझो बसंत है उलझी लटें सवाँरने का होश तक न हो - चितवन में हो चितचोर तो समझो वसंत है ॥ बहकी हुई अदाएं तो समझो वसंत है । यौवन चुभन जगाये तो समझो वसंत है । प्रियतम को रात छोटी लगे प्रिय के साथ में - जोगी भी बहक जाए तो समझो वसंत है ॥ मिटा संसार है प्यार की टोलियाँ । बोलते है सभी कुछ नई बोलियाँ । आपके प्राण में काव्य सुरसरि बसी - ये लगेगा तभी जब बजे तालियाँ ॥ डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल ' राही '

Loksangharsha: खूंटा पूँजीवाद

खूंटा पूँजीवाद के , बंधी स्वराजी नाव । कितनेव केवट बदलिगे , नाव ठांव की ठांव ॥ नाव ठांव की ठांव , तकै जनता मन मारे । खेवन हार हारिगे हिम्मत , नाव न लागि किनारे । कह बृज़ेश बर्राय , सकल दल साहस टूटा - शान्ति अस्त्र चलि रहे , दनादन तनिक न हाला खूंटा ॥ ( शान्ति अस्त्र का तात्पर्य धरना , प्रदर्शन , भूख हड़ताल ) बृज़ेश भट्ट ' बृज़ेश '

निम्बू , संतरा ,अनन्नास , अंगूर ,पालक हरी मिर्च विटामिन-c के प्रमुख स्रोत है .....

स्कर्वी रोग विटामिन-c की हीनता से होता है । इस विटामिन को एस्कोर्बिक अम्ल कहते है । मसूडों में खून आना , पेशियों तथा जोडो में दर्द के साथ दुर्बलता इसके प्रमुख लक्षण है । शारीरिक भार में कमी हो जाती है और घाव भी जल्द नही भरता है । निम्बू , संतरा ,अनन्नास , अंगूर ,पालक हरी मिर्च में विटामिन-c के प्रमुख स्रोत है । विटामिन-c की गोली के सेवन से भी स्कर्वी पर काबू पाया जा सकता है । विटामिन डी की कमी से रिकेट्स नामक रोग होता है । हमारी त्वचा में विटामिन डी का संश्लेषण सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में होता है । विटामिन डी के अभाव में कैल्सियम आयन की मूत्र के साथ अत्यधिक हानि होती है । विटामिन डी की कमी से बच्चों में रिकेट्स तथा बड़ों में ओस्तियोमालेसिया नामक बिमारी होती है । रिकेट्स को सुखा रोग भी कहते है । बच्चों की टाँगे धनुष के आकार की हो जाती है । पसलियों के आकार में परिवर्तन के कारण बच्चों का वक्ष कबुतर्नुमा हो जाता है । काड लीवर तेल , मछली , दूध , अंडे की जर्दी प्रमुख स्रोत है ।

जब चलती मेरी गुडिया रानी..

जब चलती मेरी गुडिया रानी बजाते घुंघरू पाँव में आ जा लाली मेरी बाहों में॥ हर पल तुझको खुश रखूगी हर खुशिया पह्नाऊगी॥ जो तू मागे हीरे मोती अगर मिले तो लाऊगी॥ मेरी लाली खुशिया बिखराए॥ आ जा धुप से छाव में........................ रहा न हमको पुत्र मोह तू ही मेरी तमन्ना है,, इस जहा में नाम करोगी हर पग तुझे सभलना है,, सारा प्यार निछावर कर दू बस मेरी आशाओं में॥ ....................................... लोग कहे गे एक दिन हस के मेरा सपना सच्चा है,, रोशन होगा नाम हमारा॥ तू ही मेरा बच्चा है,, तुझसे प्यार करे जन सारा,। खुशिया आए राहो में...

हे जयेष्ट राज ठंडे पड़ जाओ।

हे जयेष्ट राज ठंडे पड़ जाओ। अपनी घमस से न तड़पाओ॥ हुआ आगमन जैसे ही तेरा। नदी तालाब सब लिए बसेरा॥ पानी की किल्लत मच जाती। रगड़ झगड़ चाकू चल जाती॥ सूख रही कंचन से बगिया। रास न आए रसिक की बतिया॥ तन से गिरे नीर की लारी। बिन पानी क्या सीचे माली॥ जीव जंतु सब ब्याकुल सब ठाढे। पानी दे दो ऊँट भी मांगे॥ नई सुहागिन कोठारी में सोये। तेरी तड़प से मन में रोये॥ ज्येष्ठ राज़ अब शर्म तो कीजे। खड़ी बहू है कर्म तो कीजे॥ नई नवेली ब्याह के आई खुशिया का संसार है लायी॥ इस आँगन की शोभा अद्भुत त्याग के आई है वह सब कुछ बारह ब्यंजन बना के लायी जो नई नवेली दुल्हन आई॥ साजन के बिया प्यार से खाओ.... हे जयेष्ट राज ठंडे पड़ जाओ। अपनी घमस से न तड़पाओ॥

दोस्तों.....यह सब कितना अच्छा है ना....!!

इंटरनेट पर समस्याओं पर बात करना कितना अच्छा है है ना .......!! चाय की चुस्कियों के संग गरीबों पर गपियाना कितना अच्छा है ना .....!! कहीं बाढ़ आ जाए , आग लग जाए , भूकंप हो या कहीं मारे जाएँ कई लोग की - बोर्ड पर अंगुलियाँ चलाकर उनपर चिंता जताना कितना अच्छा है ना !! घर से बाहर रहूँ तो पुत्री के छेड़े जाने पर हिंदू - मुस्लिम का दंगा मचवा दूँ .... और किसी ब्लॉग पर एकता की बातें बतियाना कितना अच्छा है ना ....!! हर कोई अपनी - अपनी तरह से सिर्फ़ अपने ही स्वार्थों के लिए जी रहा है और किसी और को उसकी इसी बात के लिए लतियाना कितना अच्छा है ना !! अपनी बेटी के लिए तो हम चाहते हैं कि उसे कोई नज़र उठाकर भी ना देखे दूसरो की बेटियों पर चौबीसों घंटे अपनी गन्दी राल टपकाना कितना अच्छा है ना !! ये एशो - आराम .... ये मज़े - मज़े का जीवन , ना सर्दी की फिक्र , ना बरसात का गम .... ए . सी . की ठंडी - ठंडी हवा में गाँव की धुप पर चिंता जताना कितना अच्छा है ना ..