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Showing posts from July 25, 2009

सचमुच मुस्लिम धोखेबाज़ होते हैं (Muslims are really insidious) !!!???

मैंने दो दिन पहले एक लेख पोस्ट करी थी जिसके मज़मून का इरादा यह था कि क्या मुसलमान धोखेबाज़ होते हैं? जैसा कि आजकल मिडिया और इस्लाम के आलोचक यह प्रोपगैंडा फैला रहें हैं . वह कुछ ऐसा ही करते जा रहें हैं कि इस्लाम ही है जो दुनिया के लिए खतरा है, यह जाने बिना यह समझे बिना हालाँकि सबसे मज़ेदार बात तो यह है कि वे सब इस्लाम का विरोध इसलिए तो कतई भी नहीं करते उन्हें इस्लाम के बारे में मालूमात नहीं है बल्कि इसलिए कि पश्चिम देश (जो कि इस्लाम के दुश्मन हैं) के अन्धानुकरण के चलते विरोध करते हैं, आज देश में जैसा माहौल है और जिस तरह से अमेरिका और यूरोप आदि का अन्धानुकरण चल रहा है, ऐसा लगने लगा है कि हम भारतीय अपनी संस्कृति को भूलते ही जा रहे हैं और यह सब उन लोगों की साजिश के तहत होता जा रहा है. पूरी तरह से पश्चिमी सभ्यता को आत्मसात करने की जो होड़ लगी है, उससे निजात कैसे मिले? उसे कैसे ख़त्म किया जाये? उसे कैसे रोका जाये? मुझे लगता है कि भारत में मुस्लिम ही ऐसे हैं जो अब पश्चिम की भ्रष्ट सांस्कृतिक आक्रमण के खिलाफ बोल रहें हैं और उससे अभी तक बचे हुए हैं. वरना बाक़ी भारतीय (जो गैर-मुस्लिम हैं) अमेरि

कारगिल : बंकर बन गए स्टोर रूम

कारगिल. आज कारगिल में शांति है। दस साल पहले यहां युद्ध के समय लोगों ने अपने घरों तक में बंकर बना लिए थे। अब ये बंकर स्टोर रूम बन गए हैं। मास्टर रसूल ने युद्ध के दौरान अपने घर पर बंकर बनाया था। अब वह बंकर स्टोर के तौर पर इस्तेमाल होता है। उन्हें विश्वास है कि कारगिल में आगे भी शांति रहेगी और बंकर का उपयोग छिपने के लिए फिर कभी नहीं करना पड़ेगा। सेना की 121वीं ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर अमरजीत सिंह ने भी ऐसा ही भरोसा जताते हुए कहा कि अब कभी दूसरा कारगिल नहीं होगा। कारगिल में कई स्कूलों में भी बंकर बने हुए हैं। एमपीएस स्कूल के प्रिंसिपल मोहम्मद खासगी के अनुसार गोले बरसने के समय वे स्कूल के बच्चों को बंकर में भेज देते थे। अब परीक्षा के समय ये बंकर काम आते हैं। युद्ध के दौरान लड़ाई में केवल सेना ही नहीं लड़ी बल्कि कारगिल, लेह और आसपास के गांवों के बा¨शदों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हर गांव से 10-20 लोगों की टोली सैनिकों की मदद के लिए गई थी। मोहम्मद हसन के अनुसार, वे अपने साथियों के साथ सैनिकों को राशन पहुंचाने जाते थे। इसी तरह, सेना भी स्थानीय लोगों का काफी ख्याल रखती है। ब्

आमन्त्रण-विराट कवि समागम- लख्ननूऊ.

निमन्त्रण--विराट कवि समागम ,लखनऊ में,दि। ९ अगस्त,२००९.