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Showing posts from March 25, 2009

ईश्वर साकार भी है और निराकार भी

विनय बिहारी सिंह ईश्वर साकार भी है और निराकार भी। अगर कोई यह कहता है कि वह निराकार भगवान में भी विश्वास करता है, तो उसका तर्क भी ठीक है। लेकिन जो साकार भगवान में विश्वास करता है, उसका तर्क भी सम्माननीय है। दोनों अपनी- अपनी जगह ठीक हैं। बस ईश्वर से प्यार होना चाहिए। क्या हमें ईश्वर से प्यार है? प्रश्न यही है। एक बार दिल से, अपनी संपूर्ण आत्मा से ईश्वर से प्यार करके देखिए आप आनंद के सागर में डूब जाएंगे। संसार में कोई एक धर्म नहीं हो सकता । रामकृष्ण परमहंस ने कहा था- जितने मत हैं, उतने पथ हैं (जतो मत, ततो पथ)। संसार में विभिन्न धर्म रहेंगे ही। लेकिन सारे धर्म मनुष्य के हित के लिए हैं। सभी धर्मों का आदर ही तो भारतीय परंपरा है। (कृपया कल वाली पोस्ट संदर्भ के लिए एक बार फिर पढ़ लें) - हममें से कितने लोग हैं जो ईश्वर से जी भर कर प्यार करते हैं? हमारे जीवन में मां का स्थान सबसे ऊंचा है। मां के प्यार का कोई विकल्प नहीं है (हालांकि मेरी मां मेरे बचपन में ही गुजर गई थीं, तबसे जगन्माता ही मुझे प्यार दे रही हैं) । क्या हम ईश्वर से मां से भी बढ़ कर प्यार कर पाते हैं। ईश्वर से प्यार करने की बात इसलि

मेरे पास कुछ आर्टिकल अंग्रेजी के हैं। मैं उनको हिन्दी में ट्रांसलेट करना चाहता हूं। ऐसा कोई सोफ्टवेयर या कन्वर्टर हो तो कृपया मेरी मदद करें।

मेरे पास कुछ आर्टिकल अंग्रेजी के हैं। मैं उनको हिन्दी में ट्रांसलेट करना चाहता हूं। ऐसा कोई सोफ्टवेयर या कन्वर्टर हो तो कृपया मेरी मदद करें। fmhosee @gmail.com सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

हमारे और तुम्हारे में बस फ़र्क़ है इतना !

Everything is God. कुछ लोगों का ईश्वर के बारे में मानना यह है कि "सबकुछ ईश्वर है|"  सबकुछ में ईश्वर है जैसे -हवा, पानी, पेड़, गाय, बैल, हम, तुम, चोर, डाकू आदि| अर्थात सबकुछ में ईश्वर है| ईश्वर सर्व व्याप्त है | लेकिन वेद, उपनिषद कहते हैं- "ब्रह्म ने ही इस पूरी सृष्टि को बनाया है|" Everything is God's. इस्लाम कहता है "सबकुछ ईश्वर का है|"  सबकुछ ईश्वर ने बनाया है| वह सर्वशक्तिमान है | मगर सबमें नहीं है | उसने सबको बनाया है| मुझको, आपको, हमारे माँ-बाप को, हमारे दादा-परदादा को और इस आकाश को, धरती को, पानी को, हवा को | सबको| वेद और कुरान में हिन्दुज़्म और इस्लाम में बहुत समानताएं हैं | और  इस एक असमानता को दूर करके हमें समानताओं को लेकर आगे बढ़ना चाहिए | अगर हम ऐसा करते हैं, इंशा अल्लाह भारत देश ज़रूर 2020 तक विश्व शक्ति ज़रूर बन जायेगा |

घटती जाती सुख सुविधायें , बढ़ती जाती है मँहगाई !!

घटती जाती सुख सुविधायें , बढ़ती जाती है मँहगाई !! --प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव घटती जाती सुख सुविधायें , बढ़ती जाती है मँहगाई औ॔" जरूरतों ने जेबों संग , है अनचाही रास रचाई मुश्किल में हर एक साँस है , हर चेहरा चिंतित उदास है वे ही क्या निर्धन निर्बल जो , वो भी धन जिनका कि दास है फैले दावानल से जैसे , झुलस रही सारी अमराई ! घटती जाती सुख सुविधायें , बढ़ती जाती है मँहगाई !! पनघट खुद प्यासा प्यासा है , क्षुदित श्रमिक ,स्वामी किसान हैं मिटी मान मर्यादा सबकी , हर घर गुमसुम परेशान है कितनों के आँगन अनब्याहे , बज न पा रही है शहनाई घटती जाती सुख सुविधायें , बढ़ती जाती है मँहगाई !! मेंहदी रच जो चली जिंदगी , टूट चुकी है उसकी आशा पिसा जा रहा आम आदमी , हर चेहरे में छाई निराशा चलते चलते शाम हो चली , मिली न पर मंजिल हरजाई घटती जाती सुख सुविधायें , बढ़ती जाती है मँहगाई !! मिट्टी तक तो मँहगी हुई है , हुआ आदमी केवल सस्ता चूस रही मंहगाई जिसको , खुलेआम दिन में चौरस्ता भटक रही शंकित घबराई , दिशाहीन बिखरी तरुणाई घटती जाती सुख सुविधायें , बढ़ती जाती है मँहगाई !! नई समस्यायें मुँह बाई , आबादी ,वितरण , उत्पादन यदि न

नवजवान मिल्लत से guzaarish

यह मेरी आज़िजाना है तहरीक दोस्तों जाओ न खुराफात के नज़दीक दोस्तों थोडी सी गैरत है तो मांगो न तुम दहेज़ लेना न जोड़े घोडे की तुम भीक दोस्तों तुम ख़ुद कम के ऐश करो , मर्द हो अगर वरना करेगी बीवी भी तजहीक दोस्तों फर्सूदा रस्मों रवाजो को छोड़ दो अपने माशरे को करो , ठीक दोस्तों उन बिन बियाही बहनों को देखो ज़रा जिनकी है ज़िन्दगी अजीरण वो तरीक दोस्तों इश्वर और उसके उसके एह्काम पर चलो यह मेरी आजिजाना है तहरीक दोस्तों