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Showing posts from April 7, 2010

लो क सं घ र्ष !: न माओवाद के समर्थन में, न माओवाद के विरोध में

छत्तीसगढ़ के दंतेवाडा जिले में सी . आर . पी . ऍफ़ के काफिले के 76 जवानो की मौत ने मुझे कल से दुखी कर दिया । वहीँ प्रिंट मीडिया में एक छुपी हुई छोटी खबर से यह ज्ञात हुआ की दंतेवाडा जिले के थाना तोंगपाल के सुदुरवाडा गाँव में गाँव वासियों को घेरकर 200 जवानो ने आदमियों और औरतों को बुरी तरीके से मारा पीटा जिसमें 26 महिलाओं को गंभीर चोटें आयीं और कई लोगों का जवानो ने अपहरण कर लिया बाद में पुलिस हस्तक्षेप के बाद ग्रामीणों को अधमरी हालत में छोड़ा गया । हमें दुःख इस बात का है कि हमारे आपके बीच में पेट की भूख को हल करने के लिए सशस्त्र बलों में लोग भर्ती होते हैं । उनकी असमय मृत्यु से पूरा परिवार समाज प्रभावित होता है तो मौत किसी भी नाम से हो दुखद होती है । वहीँ देश में अधिकांश आदिवासियों को उनकी धरती हवा , पानी , जंगल छीन कर तिल - तिल मरने के लिए मजबूर करना वह अचानक मौत से ज्यादा भयावह स्तिथि पैदा करता है । क

"खाने" पर सरकारी मुहर!

"खाना" अब सरकारी मुहर के साथ पूरी तरह से कानूनी बन चुका है. खूब खाओ और खूब खिलाओ कहीं कोई भूखा न रह जाए.                          कहीं आप ये तो नहीं समझ रहे हैं की अब इस देश में 'खाना' मिलने का हर व्यक्ति को अनिवार्य अधिकार बना दिया गया हो कि इस देश में कोई भूखा नहीं रहेगा - अरे नहीं कहाँ की बातें करते हैं? अजी - अब भूखे तो भूखे रहेंगे ही साथ ही साथ कुछ और लोगों का भी उसी हालत में पहुँचने की स्थिति आने वाली है. ये 'खाना' तो पहुँच वाले लोगों के लिए परोसा जा रहा है और वे भी 'वसुधैव कुटुम्बकम' के अनुयायी है. अकेले तो खाने जा नहीं रहे हैं, वे मिल बाँट कर खायेंगे - यही तो हमारी संस्कृति हमको सिखाती चली आ रही है. अगर आधी  रोटी है तो उसको आधा आधा बाँट कर खाओ जिससे कोई भूखा  न रहे.                        अभी हाल ही में खबर मिली है कि सरकार ने अपने विभागों में कार्यकुशलता को बनाये रखने के लिए और सरकारी कामों में विलम्ब न  हो इसके लिए संविदा पर नियुक्ति का प्रावधान शुरू कर दिया था. चलो यहाँ तक तो ठीक था . ये संविदा नियुक्ति भी बगैर  'खाए' और 'खिला