दोस्तों ..... आज सवेरे से ही मन बड़ा व्यथित है ....... आज अपनी पत्नी के संग भारत के लोक सभा चुनाव का अपना वोट देने गया था .... मगर अपने घर से दो - ढाई किलोमीटर दूर तक के रस्ते में पड़ने वाले तमाम बूथों पर एक अजीबो - गरीब सन्नाटा पसरा देखा ...... हम अपने बूथ पर पहुंचे तो मतदानकर्मियों के अलावा हम दो मतदाता ही वहाँ थे .... उससे पूर्व और बाद के कई मिनटों तक भी यही हाल था .... इससे इस सन्नाटे से ज्यादा हम दोनों ही सन्नाटे में आ गए .... हम दोनों के लिए ही यह दृश्य एकदम से अचम्भाकारी था ..... हम एकदम से चंद सेकंडों में अपना वोट दे चुके थे .... सच कहूँ तो यह सब मुझे बड़ा आद्र कर गया ..... भारत में मौजूद लोकतंत्र ... चाहे यह जैसा भी है .... मेरा इसके प्रति बड़ा आदर है .... मैं जैसा भी हूँ ..... इसमें इसका भी बड़ा हाथ है .... मगर यह इस कदर मरणासन्न हो जाए ..... लाश सा हो जाए तो मन का व्यथित हो जाना लाजिमी ही है ना .....!! ............