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Showing posts from May 18, 2009

मैं वापस आ गया.....!!!!

प्रिये पाठको और दोस्तों, मुझे यह बताते हुए बड़ी खुशी हो रही है की मैं वापस अपने ब्लॉग पर आ गया हूँ, काफ़ी कोशिश की अपने आपको अपने कंप्यूटर और अपने ब्लॉग से दूर रखने की लेकिन नाकामयाब रहा, इस बीच कोई पोस्ट तो नहीं लिखी लेकिन हाँ टिप्पणी ज़रूर करता रहा.... अब मैं वापस आ गया हूँ बहुत जल्द आपको मेरी पोस्ट पढने को मिलेगी आगे पढ़ें ....

कौन-कौन हो सकता है मनमोहन कैबिनेट में..

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अगली सरकार के स्वरूप को लेकर अपने विश्वस्त सहयोगियों से चर्चा शुरू कर दी है। यूपी में कांग्रेस को जिस तरह से उत्साहजनक परिणाम मिले हैं उसे देखते हुए राहुल गांधी के अलावा वहां से कई नए चेहरों को कैबिनेट में शामिल करने की चर्चा है। माना जा रहा है कि स्पष्ट जनादेश के चलते इस बार पहले की तुलना में साफ सुथरी छवि वाले, युवा और अनुभवी लोगों की मिली-जुली सशक्त कैबिनेट बनाने की कोशिश होगी। टीम में पीएम की पसंद के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी की इच्छा भी नजर आएगी। कौन-कौन हैं दावेदार? प्रणब मुखर्जी, एके एंटनी ,पी चिदंबरम, कमलनाथ, सुशील कुमार शिंदे जैसे वरिष्ठ नेताआंे का दोबारा मंत्री बनना तय माना जा रहा है। वहीं मीराकुमार, कपिल सिब्बल को भी दोबारा जगह मिलने की आस है। गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और सलमान खुर्शीद जैसे वरिष्ठ नेताओं को कैबिनेट में लिया जा सकता है। राज्य मंत्री जयराम रमेश के साथ ही जतिन प्रसाद, मध्य प्रदेश के कांतिलाल भूरिया और जयोतिरादित्य सिंधिया का ओहदा बढ़ाया जा सकता है। केंद्रीय मंत्री अजरुन सिंह क

देश ने नफरत की राजनीति को नकारा

सलीम अख्तर सिद्दीकी जनसंघ से बनी भारतीय जनता पार्टी 1984 के लोकसभा में चुनाव केवल दो सीटें जीतकर लगभग मर ही चुकी थी। लेकिन फरवरी 1986 में बाबरी मस्जिद पर लगा ताला खुलने पर आखिरी सांसें गिन रही भाजपा को जैसे ’संजीवनी’ मिल गयी थी। संघ परिवार ने गली-गली रामसेवकों की फौजें तैयार करके नफरत और घृणा का ऐसा माहौल तैयार किया था कि हिन्दुस्तान का धर्मनिरपेक्ष ढांचा चरमरा कर रह गया। पूरा देश साम्प्रदायिक दंगों की आग में झुलस गया था। चुनाव दर चुनाव भाजपा की सीटें बढ़ती रहीं। 1998 के चुनाव में भाजपा की सीटें 188 हो गयीं। भाजपा ने फिर से केन्द्र में सरकार बनायी, जो केवल 13 महीने ही चल सकी। लेकिन 1999 के मध्यावधि चुनाव में भाजपा की सीटें नहीं बढ़ सकीं। वह 188 पर ही टिकी रही। तमामतर कोशिशों के बाद भी पूर्ण बहुमत पाने का भाजपा का सपना पूरा नहीं हो सका। 1999 में भाजपा ने राममंदिर, धारा 370 और समान सिविल कोड जैसे मुद्दों को सत्ता की खातिर कूड़े दान में डाल कर यह दिखा दिया कि वह अब सत्ता से ज्यादा दिन दूर नहीं रह सकती। इसमें कोई शक नहीं कि भाजपा को 2 से 188 सीटों तक लाने का श्रेय आडवाणी को ही जाता है। लेकिन
........ और ग़ज़ल अधूरी रह गयी खफा हैं हमसे सहर आजकल,शब की बाते शायद पूरी रह गयी साथ चल दिए हर्फ रोशनी के, और ग़ज़ल अधूरी रह गयी खवाब बुनते बुनते माहिर हो गए,बस हकीक़त से थोडी दुरी रह गयी ख्वाबदार न हुए किस्से हकीक़त के, और ग़ज़ल अधूरी रह गयी थकन ने कहा करीब हैं मंजिल,खामोश तब नूरी रह गयी न लिख सके राज़ सफ़र के, और ग़ज़ल अधूरी रह गयी मेरी गली में वो शज़र न रहा,छाँव की वो धुरी ढह गयी मुरझा गए लफ्ज़ साये के, और ग़ज़ल अधूरी रह गयी रस्ते पार मंजिल बिखर गयी,आंखे 'प्रसून' घुरी रह गयी फासलों तक के हिसाब न मिले, और ग़ज़ल अधूरी रह गयी अमन 'प्रसून'

अपनी अमीरी पर इतना ना इतराओ लोगों......!!

अपनी अमीरी पर इतना ना इतराओ लोगों ......!! मैं भूत बोल रहा हूँ ..........!! तूम अमीर हो , यह बात कुछ विशेष अवश्य हो सकती है मगर , वह गरीब है .... इसमें उसका क्या कसूर है .....?? अभी - अभी जो जन्म ले रहा है किसी भीखमंगे के घर में जो शिशु उसने कौन सा पाप किया है ज़रा यह तो सोच कर बताओ ......!! वो लाखों - लाख शिशु , जो इसी तरह ऐसी माँओं की कोख में पल रहें हैं ...... वो - कौन सा कर्मज - फल भुगत रहे हैं .....?? अभी - अभी जो ओला - वृष्टि हुई है चारों तरफ़ और नष्ट हो गई है ना जाने कितनी फसल ना जाने कितने किसानो की ..... ये अपने किस कर्म का फल भुगत रहे हैं ....?? एक छोटी - सी लड़की को देखा अभी - अभी सर पर किसी चीज़ का गट्ठर लिए चली जा रही थी ख़ुद के वज़न से भारी ... समझ नहीं पाया मैं कि उसकी आंखों में दुनिया के लिए क्या बचा हुआ है .....!! इस तूफ़ा