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Showing posts from December 1, 2009

लो क सं घ र्ष !: हम क्या खायें ?

मैं कोई डाक्टर नहीं कि आपको बताऊं कि आप क्या खायें? खाने के नाम पर शाकाहार या मांसाहार पर भी मैं बहस नहीं छेडूंगा, फिर भी मेरा सवाल यही होगा - हम क्या खायें? दाल महंगी, आलू महंगा, प्याज महंगी, लहसुन महंगा, तेल का दाम आसमान पर। गेहूं या चावल, आटा हो या मैदा कुछ भी तो सस्ता नहीं है। फिर वही सवाल - हम क्या खायें? यह सवाल केवल इसलिए कि हमारी आमदनी इतनी नहीं कि उस आमदनी में ठीक से खा भी सकें। अगर हम किसान हैं तो हमारे लिए डीजल महंगा, खाद महंगी, खेती के काम में आने वाले औजार महंगे, हमारी जो लागत खेती की पैदावार में आती है वह भी वापस नहीं मिल पाती, हमारी मेहनत का बदला तो बहुत दूर है। फिर नमक महंगा, साबुन महंगा, कपड़ा महंगा, रूई महंगी क्या पहने, क्या ओढ़ें, क्या बिछायें, सफाई के लिए कैसे धोयें, कैसे नहायें, सवाल हर तरफ महंगाई का। हम मजदूर हैं और खेतिहर मजदूर हैं तो कहना क्या? हमारे लिए खेतों में काम नहीं, काम है तो मजदूरी नहीं के बराबर, सरकार द्वारा काम देने का किया गया वादा, उस काम के बदले दाम की लूट अलग। एक ही सवाल - कैसे जीवित रहें? कुछ खबरें अखबार की सुर्खियां बनती रही हैं, गोबर से अनाज के द

भारत ग्लोबल वॉर्मिन्ग के लिहाज से हॉट स्पॉट है...

भारत ग्लोबल वॉर्मिन्ग के लिहाज से हॉट स्पॉट है और इस वजह से यहां बाढ़, सूखा और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाएं बढ़ सकती हैं। एशिया में भारत के अलावा पाकिस्तान, अफगानिस्तान और इंडोनेशिया उन देशों में शामिल हैं, जो अपने यहां चल रही राजनैतिक, सामरिक, आर्थिक प्रक्रियाओं के कारण ग्लोबल वॉर्मिन्ग से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। किसी भी प्राकृतिक आपदा का प्रभाव कई कारकों के आधार पर मापा जाता है। मसलन सही उपकरणों और सूचना तक पहुंच और राहत और उपाय के लिए प्रभावी राजनैतिक तंत्र। कई बार इनका प्रभावी तरीके से काम न करना आपदा से प्रभावित होने वाले हाशिए पर पड़े लोगों की जिंदगी और भी बदतर कर देता है। मौसम में बदलाव के कारण ज्यादा बड़े स्तर पर आने वाली प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए प्रभावी तंत्र बनाया जाए, नही तो तबाही और ज्यादा होगी। घनी आबादी वाले और खतरे की आशंका से जूझ रहे इलाकों में सरकारी तंत्र और स्थानीय लोगों को सुविधाएं और प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि आपदा के बाद पुनर्वास के दौरान तेजी बनी रहे और काम की निगरानी भी हो। हमारी पर्यावरण चिंताओं पर यह निराशावादी सोच इतनी हावी होती जा रही है कि अब

भोपाल : लड़कियों के कपड़े उतरवाने पर बवाल

भोपाल. राजधानी में कैट की ऑनलाइन परीक्षा के लिए बनाए गए सेंटर टेक्नोक्रेटस इंस्टीटच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (टीआईटी) में जांच के बहाने लड़कियों के कपड़े उतरवाने पर बवाल मच गया है। घबराई लड़कियों और उनके परिजनों ने इसे लेकर आपत्ति उठाई है। अश्विनी पांडेय की रिपोर्ट- राजधानी में कैट की ऑनलाइन परीक्षा के लिए बनाए गए सेंटर टेक्नोक्रेटस इंस्टीटच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी पर नकल रोकने के लिए होने वाली जांच की आड़ में लड़कियों की आपत्तिजनक चेकिंग की जा रही थी। लड़कियों और उनके परिवारजनों ने आरोप लगाया है कि चेकिंग की आड़ में जांच करने वाली शिक्षिका पहले तो ऊपर के कपड़े उतरवा रही थी, इसके बाद शरीर को कहीं भी छू रही थी। जब लड़कियांे ने आपत्ति ली तो शिक्षिका का कहना था कि हमें ऊपर से आदेश है तब हम ऐसी जांच कर रहे हैं। चे¨कग रूम में नहीं रखा सुरक्षा का ध्यान सोमवार को कैट की ऑनलाइन परीक्षा १क् बजे से शुरू होना थी। प्रतिभागियों को ८ बजे सेंटर पर पहुंचना था। ८.३क् बजे से लड़कियों की चेकिंग शुरू हुई। जिस कमरे में चेकिंग की जा रही थी, उसका दरवाजा तक बंद नहीं किया गया था। केवल परदे की थोड़ी सी आड़