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Showing posts from April 29, 2009

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा

आप का वोट आप की ताक़त

पिछली बार खाकी और खादी की अनदेखी से कुछ लोग वोट से आये थे और चार दिन में मुंबई तबाह कर दिया था इसबार भी कुछ लोग वोट से आयंगे पूरे पाच साल के लिए कही येशा न हो कि हम फिर कमजोर और मजबूर हो जाये सोच समझ कर वोट दे सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

ब्लॉग्गिंग करते है,तारीफ पसंद है पर गालियाँ सुनने की हिम्मत नहीं...

ब्लॉग्गिंग का नशा कुछ अलग सा नजर आ रहा है जब तारीफ मिलती है तो दिल खुश और जरा सी बुराई निकली गयी तो दिल टूट जाता है।कुछ दिनों से इसी तरह की कशमकश देखने को मिल रही है! जहा ना केवल असामाजिक तत्व लेखकों के प्रोत्साहन को गिरा रहे है बल्कि अपशब्दों का उपयोग कर रहे है जो हिंदी भाषा और साहित्य के लिए घातक है.अभी कुछ अच्छे ब्लोग्गरों को उनकी अच्छी पोस्ट पर उनके मन के विपरीत राय मिली जो शायद उनको मंजूर नहीं फिर क्या था खून खोल उठा.इसके बाद मुंबई टाइगर पर किसी ने गैर सामाजिक टिप्पडी की जो महावीर जी को भी बिलकुल पसंद नहीं आई,अगर उस जगह मैं होता तो शायद मुझे भी अच्छा नहीं लगता! मैंने कई ब्लॉगों को बहुत अच्छी तरह परखा है इस लिए इस आधार पर मैं यह कह सकता हूँ की यह कोई समस्या वाली बात नहीं है जितना की हम सोच रहे है...एक उदाहरण''हिन्दुस्तान का दर्द'' के सी बॉक्स में किसी शख्स ने लगातार एक हफ्ते तक गालियाँ लिखी और चेतावनी भी दी की में कितनी बुरी-बुरी बातें करूंगा की तुम सी बॉक्स ही हटा दोगे और मेरे नाम से मेरे ही ब्लॉग के कई सदस्यों को गाली दी,यह सिलसिला यूँ ही चला,और वो महाशय थक गए और

ईसाईयों पर तालिबान का कहर

आर.एल.फ्रांसिस पुअर क्रिश्चियन लिबरेशन मुवमेन्ट के अध्यक्ष आर एल फ्रांसिस ईसाई मिशनरियों के बीच व्याप्त भेदभाव और कटुता के खिलाफ लगातार अपनी आवाज बुलंद किये हुए हैं. आप उन्हें francispclm@yahoo.com पर संपर्क कर सकते हैं. यह लेख विस्फोट से लिया गया है आप लोगों की इस लेख पर राय आमंत्रित है ! इस महीने की 19 तरीख को पाकिस्तान के कराची शहर में `ईसाइयों की एक बस्ती´ में तालिबान ने इस्लाम के नाम पर नंगा नाच खेला। स्थानीय ईसाइयों द्वारा प्रशासन से अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर किये गये शांतिमार्च से बौखलाये तालिबान ने पुन: 21 तरीख को तशीर टाउन में रात के समय हमला बोल दिया और वहशियाना तरीके से लोगों के सामने दो ईसाइयों को मौत के घाट उतार दिया गया और औरतों को बालों से पकड़कर घसीटा गया। धमकी दी गई कि वह `इस्लाम´ ग्रहण करें। तालिबान कराची एवं पूरे सिंध में शरीया लागू करना चाहता है। इस्लाम के नाम पर अस्तित्व में आया पाकिस्तान आज अपने ही फैलाये हुए धार्मिक कट्टरपन के भंवर में फंस गया है। वहां अल्पसंख्यक समुदाय जिस डर और खौफ के साये में जी रहे है उसकी कल्पना से भी रुह कांप जाती है। कट्टरपंथी गुप्रों क

Loksangharsha: गजल हो गई..

है लहर जानती तल की गहराइयाँ । आदमी का वजन उस की परछाईयाँ । आंसुओ की किताबो में पढ़ लीजिये - जिंदगी की कसक और रुसवाईयाँ ॥ छोड़ अमृत गरल की किसे प्यास है कल से अनजान लोभ का दास है। आदमी राम- रहमान कोई भी हो - चार काँधा, कफ़न आखिरी आस है॥ प्रीत परवान चढ़ जाय तो गीत है । यदि आँखों से वह जाय तो गीत है । मन में बरमाल की कामनाएं लिए - फूल अर्थी पे चढ़ जाए तो गीत है॥ मेरे नैनो की बदरी सजल हो गई । मन के आकाश में सुधि विकल हो गई । देख कर खोदना उंगलियों से जमीं - झुक के पलके उठी तो गजल हो गई ॥ डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'

रोशनी .....

एक मोमबती ले निकली हूँ । घुप अँधेरी रात है । मेरे लिए नही यह कोई नई बात है । सारे जग में कर दूंगी उजाला । हिम्मत है तो रोक कर दिखाओं । .................. रोशनी

जरूरी नहीं कि प्रार्थना रटी रटाई हो

विनय बिहारी सिंह जरूरी नहीं कि प्रार्थना रटे- रटाए शब्दों में हो। आप मुंह से एक शब्द न बोलें और दिल से ईश्वर से लगातार प्रार्थना करते रहें तो वह ज्यादा प्रभावशाली होगी। अनेक लोगों ने कहा है- प्रार्थना शब्दों से परे है। बस आपके दिल से सच्ची पुकार निकलनी चाहिए। वह सीधे भगवान तक पहुंचती है। भगवान दिल की पुकार सुनते हैं। टालस्टाय की एक बहुत सुंदर कहानी है। एक द्वीप पर तीन संत रहते थे। वे एक ही प्रार्थना जानते थे- हे प्रभु हम तीन हैं और तुम भी तीन हो। हम पर कृपा करो। बस यही उनकी सुबह शाम की प्रार्थना थी। एक विशप ने सुना तो उनके मन में आया कि क्यों न इन संतो को अच्छी सी प्रार्थना सिखा दी जाए। वे उस द्वीप में गए और संतों को एक पुरानी प्रार्थना सिखा दी। फिर वे नाव से लौटने लगे। जब विशप बीच नदी में पहुंचे थे तभी उन्होंने देखा- उनकी ओर प्रकाश का एक गोला आ रहा है। यह गोला जब नजदीक आया तो उन्होंने देखा- ये तो वही तीनों संत थे जिन्हें उन्होंने प्रार्थना सिखाई थी। वे पानी पर दौड़ रहे थे। विशप तो चकित हो गए। निश्चय ही इन संतों के पास दिव्य शक्ति थी। पास आकर ये संत बोले- फादर, हम वह प्रार्थना भूल गए ज

भगवन को अवतार लेना है ...."हेल्प प्लीज़"-2

नारद जी भगवन के आज्ञा अनुसार ....पृथ्वी लोक से सारी जानकारी लेकर पहुंचते है ॥ विष्णु -- देवर्षि! क्या ख़बर लायें हैं आप ? क्या समय उपयुक्त है ...सुना है विश्व में पातळ लोक का काफी वर्चस्व है ...क्या सचमुच ....? "नारायण नारायण ! प्रभु आप तो सर्वज्ञ हैं.... भला अमेरिका में अवतरित होने से जगत का क्या कल्याण होगा .....सोचिये प्रभो.... वहां औसतन विवाह बंधन २ महीने में टूट जातें हैं .... गर ऐसा हुआ तो आपकी लीला का क्या होगा ...पिताभक्ति और मत्रभक्ति का कौन सा अध्याय रच पाएंगे आप !वैसे भी वहां के जीवन मूल्य अर्थ प्रधान हैं ॥ फ़िर तो आपको विश्व भर में अपनी पहचान बनने के लिए कोई बड़ी इंडस्ट्री लगानी होगी । मार्केट बड़ा भूलभुलैया वाली डगर है ..... हाँ अगर किसी बड़े उधोगपति के यहाँ अवतार हो तो बात बन जायेगी । "तो देवर्षि यूरोप महाद्वीप में किसी देश में ... मुझे जल्द से जल्द , ये निश्चय कर लेना है ......कलियुग में ६ अवतार का टारगेट मिला है .... आप समझ सकते हैं न... आजकल पड़ पर बने रहने के लिए कितना जोड़-तोड़ करना पड़ता है ..... प्रभो ! क्षमा चाहता हूँ...... परन्तु यूरोप का सर्वाधिक लोकप्रिय द