इला बेन भट्ट पुरुष दिवस तो नहीं मनाया जाता, फिर महिलाओं को अपने लिए दिवस क्यों चाहिए? वह जननी है, जीवन उसी के बूते तो कायम है, फिर सृजनकर्ता को क्या आवश्यकता हुई कि अपने होने का अहसास किसी दिन के जरिए कराए। जानी-मानी शख्सियतें दे रहीं हैं इस सवाल का जवाब। वाय वीमंस डे? महिला दिवस आखिर क्यों? इसलिए कि देश-दुनिया की आधी आबादी ‘अदृश्य और मूक’ जीवन जी रही है, इस सच्चई को लम्बे समय तक याद कराने के लिए महिला दिवस मनाया जाता है। विश्व में नारियों ने अपने पांव पर खड़े होकर प्रगति के सोपान तय कर गौरवपूर्ण जीवन जीने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इसके बाद भी वह अस्वस्थ और असुरक्षित है। भावी नारी जाति का जीवन इस तरह से असुरक्षित नहीं रखा जा सकता, इसीलिए इस दिन की आवश्यकता है। हम अपने घर-आंगन में ही देख लें, सुबह रास्ते में कूड़े के ढेर से कुछ बीनती हुई किशोरियां हमें अक्सर दिख जाती हैं। इस किशोरी को तो शाला या कॉलेज में होना चाहिए। जब तक ऐसी किशोरियां शिक्षित नहीं होंगी, तब तक महिला दिवस मनाना व्यर्थ है। दिन निकलते ही सरेआम हम सब हाथ-ठेला खींचती महिलाओं को देखते हैं। इनके साथ होता है भारत का भविष्य,