सोचिए, क्या औरतें गैर इस्लामिक और मर्दों की गुलाम मात्र हैं? इस्लामाबाद। द कौंसिल ऑफ़ इस्लामिक आइडिओलॉजी The Council of Islamic Ideology (CII) की १९२ वीं बैठक के निर्णय अनुसार ' औरतों का अस्तित्व शरीया तथा अल्लाह की इच्छा के विपरीत है. कौंसिल के चेयरमैन मौलाना मुहम्मद खान शीरानी ने कहा कि औरतों का होना प्रकृति के नियमों का उल्लंघन है तथा औरतों से इस्लाम और शरीया की रक्षा लिए औरतों को निजी अस्तित्व न रखने के लिए बाध्य किया जाए. मुस्लिम औरतों की शादी के लिए न्यूनतम आयु निर्धारण को इस्लामविरोधी घोषित के २ दिन बाद यह घोषणा की गयी. शीरानी ने औरतों को इस्लाम विरोधी घाषित करते हुए कहा कि औरतें दो प्रकार की हराम (निषिद्ध) तथा मकरूह (नापसंद) होती हैं. कोई भी औरत जो अपनी इच्छा अनुसार कार्य करती है हराम तथा इस्लाम के विरुद्ध षड्यंत्रकर्त्री है. केवल पूरी तरह आज्ञापालक औरत खुद को मकरूह के स्तर तक उठा सकती है, यही इस्लाम की उदारता तथा मुस्लिम पुरुष की कोशिश है. कौंसिल सदस्यों ने औरतों से जुड़े कर ऐतिहासिक सन्दर्भों विचार के बाद पाया की हर औरत फ़ित्ना का इस्लाम की दुश्मन है. उन्होंने यह निर्