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Showing posts from January 13, 2009

हे प्रभु यह तेरापन्थ" जी अपनी हवस भरी मानसिकता सुधारें

आपकी इस बेहूदा मानसिकता का आकलन किया जाये तो आपके ये लेख किसी काम के नजर नहीं आते !! फायदा इसी मे है की आप फालतू की मेहनत न करे और कुछ फायदे वाला काम करे! आपको क्या लगता है की आप जैसे मर्द एक लेख लिख देंगे और हम लड़कियां अपनी पसंद बदल देंगे! आपको समझना चाहिए की हम लोगों की भी कुछ इच्छा है अगर आपको महिलायों की सुरक्षा की इतनी फ़िक्र है तो आपको उन मनचलों ,आवारा आशिकों की मानसिकता बदलनी होगी जो आपकी ही श्रेणी के है जिन्हें सिर्फ लड़किओं का तना सीना नजर आता है,और हमेशा गलती भी लड़किओं मे ही नजर आती है ! आपकी मानसिकता ही इस तरह की है की आप लड़किओं के कपडे देखते है और न जाने क्या क्या....आप अपनी मानसिकता हम महिलाओं की तरह क्यों नहीं बनाते..हम लड़कियां तो कभी शिकायत नहीं करते की वो मर्द नग्न अवस्था मे खडा है...हमें कुछ मतलब नहीं होता आप लोग चाहे जो करे!! तो फिर आपको किसने अधिकार दिया की आप अपनी हवसिपना भरी मानसिकता को बदलने की बजाय हमारी पोशाक पर ऊँगली उठाये..आपकी तरह के ग्वार देहाती शायद भूल गए है की हम आज के भारत की नारी है आपके नीचे दबकर न हम रह सकते है , न सो सकते है हम परिवर्तन क

स्त्री सोन्दर्य :एक हथियार के रुप मे प्रयोग

म हिलाओ के रहन सहन के स्तर मे शिक्षा के प्रसार के साथ परिवेश जनित परिवर्तन आया है, वह प्रशसनीय है। किन्तु वही उसमे कभी कभी अश्लीलता का अनुभव भी हम करते है। यह एक विडम्बना ही है। प्रचार के लिये अधिकाश महिलाओ को माध्यम बनाया जाता है। आज जब भी हम बाहर जाते है तो जगह जगह दीवारो पर, सिनेमाघरो के बाहर, मकानो की छतो तथा चार दीवारी पर,यहा तक की चोराहो और वृक्षो के मोटे तनो पर भी विज्ञापन हेतु लगे हुए गन्दे तथा महिलाओ के अगो का अधिकाधिक प्रदर्शन कराते हुये पोस्टर दिखाई देते है। जिनकी कोई भी सभ्य, सुशिक्षित मनुष्य तो निगाह उठाकर देखने का साहस नही कर सकताओर ना पसन्द ही करता है। इसको दिखने वाले अधिकाशतःकच्ची उम्र के बच्चे, किशोर तथा अशिक्षित हुआ करते है। इसका सर्वाधिक कु:प्रभाव बच्चो, किशोरो एवम अशिक्षितो पर पडता है। उनकी कोमल भावनाये बहकर, उच्छृखल होकर गलत रास्ता अपना लेती है। म हीलाओ द्वारा किसी वस्तु का प्रचार करना कतई बुरा नही है, लेकिन उनको गलत ढग से पेश करना, अधिकाधिक अगो का प्रदर्शन, कम उम्र के बच्चो एव युवाओ पर भी बुरा प्रभाव डालता है। दु:ख एवम आश्चर्य तब होता है,जब हम मात्र आठ-दस वर्ष