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Showing posts from July 19, 2009

गीत आचार्य संजीव 'सलिल'

गीत छोड़ अहिंसा शस्त्र उठाओ काले बादल ने रोका है फ़िर से मार्ग मयंक का. छोड़ अहिंसा शस्त्र उठायें, सिर काटें आतंक का... राजनीति के गलियारों से आशा तनिक न शेष है. लोकनीति की ताकत सचमुच अपराजेय अशेष है. शासक और विपक्षी दल केवल सत्ता के लोभी हैं. रामराज के हैं कलंक ये, सिया विरोधी धोबी हैं. हम जनगण वानर भालू बन साथ अगर डट जाएँगे- आतंकी असुरों का भू से नाम निशान मिटायेंगे. मिल जवाब दे पाएंगे हम हर विषधर के डंक का. छोड़ अहिंसा शस्त्र उठायें, सिर काटें आतंक का... अब न करें अनुरोध कुचल दें आतंकी बटमारों को. राज खोलते पुलिस बलों का पत्रकार गद्दारों को. शासन और प्रशासन दोनों जनगण सम्मुख दोषी हैं. सीमा पार करें, न संदेसा पहुंचाएं संतोषी हैं. आंसू को शोलों में बदलें बदला लें हर चोट का. नहीं सुरक्षा का मसला हो बंधक लालच नोट का आतंकी शिविरों के रहते दाग न मिटे कलंक का. छोड़ अहिंसा शस्त्र उठायें, सिर काटें आतंक का... अनुमति दे दो सेनाओं को, एक न बैरी छोडेंगे. काश्मीर को मिला देश में कमर पाक की तोडेंगे. दानव है दाऊद न वह या संगी-साथी बच पा

ग़ज़ल --जाने कहाँ गए ?

सीधे थे सच्चे सरल थे ,जाने कहां गए । कैसे बताएं क्या कहें ,दिल में समा गए। उनके सभी करम थे, हमारे ही वास्ते , क्या क्या न दुःख सुख घात जमाने के भा गए। प्रेमिल थी हर निगाह थी हर सांस में दुआ , लो याद आए अश्रु इन आंखों में आगये । सोचा था भूल जायेंगे ,हम साथ वक्त के, हर वक्त बनके वक्त ,मेरे साथ छागये । होकर के दूर भी वो हमसे दूर कब गए, जब जब भी चाहा 'श्याम हम इस दिल में पागये॥

अयोध्या अधुरा सच कब सामने आएगा

जमशेदपुर : अयोध्या का विवादित ढ़ाचा आजादी के बाद से या कहे की पिछले पचास साल से ज्यादा समय से चर्चा का विषय बना हुआ है. कुछ लोग उसे बाबरी मस्जिद कहते है तो कुछ राम लाला का जन्म स्थान मानते है. एक बात तो साफ़ है जब विवादित बाबरी मस्जिद गिराया गया था तो उस समय लोगो ने यह जानकार गिराया की यहाँ पहले भगवान राम का जन्म स्थान हुआ करता था जो मस्जिद बनने के बाद लुप्त हो गया. क्या कारण है की हम २१ वी सदी में है और इस तरह के अपराध कर बैठते है. लोगो को सोचना तो ये चाहिए की धर्म और जाति के नाम पर लड़ने से हमारा कुछ फ़ायदा नहीं होने वाला है जितना हम लडेंगे दुसरे उतने ही फ़ायदा उठाएंगे. आज एक ढ़ाचा को गिराने के बाद लोग एक समाज खुश होता है तो दूसरा उसकी प्रतिक्रिया देता है. हम हिन्दुस्थान में रहते है. जिस देश में रहते है उसे भारत माता कहते है. अपनी की माँ के आँचल में ऐसा अपराध कर देते है जिससे हमें तो दुखी होते है लेकिन समाज हमसे ज्यादा दुखी होता है. 6 दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने के प्रतिशोध में 1993 में मुंबई बम विस्फोट हुए। आज बाबरी मस्जिद का ढ़ाचा भले ही गिरा दिया गया हो लेकिन एक बाबरी