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Showing posts from October 3, 2009

ek patrkar ki maot se upje kuchh swal

एक पत्रकार की मोत से उपजे कुछ सवाल जनसत्ता के १३ अगस्त वाले अंक में गोरखपुर से एक खबर छपी थी !मामला था वही के एक पत्रकार कृष्ण कुमार की इलाज के अभाव में मो़त का -'' जनसत्ता के अनुसार कृष्ण कुमार कुल ४६ वर्ष के थे !गत २० सालो से वह प्रिंट मीडिया से जुड़े थे !गीता प्रेस गोरखपुर से अपना पत्रिकारिता जीवन प्रारम्भ करने वाले कृष्ण कुमार रास्ट्रीय सहारा सहित कई अखबारों से जुड़े थे !वे दैनिक आज में रिपोर्टर थे !वह गुर्दे की वीमारी से ग्रस्त थे आऊर उनका एक गुर्दा प्रत्यारोपित किया गया था !वह भी यह टीबी संभव हो पाया जब तीन लाख रुपए गोरखपुर प्रेस क्लब व तीन लाख रुपए तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने दिया था !उसके बाद इस खर्चीले इलाज में उनके जीवन भर की कमाई व पुस्तैनी ज़मीं भी स्वाहा हो गयी !फिर भी उनका स्वास्थ्य नहीं सुधरा डाक्टरों के मुताबिक उनके इलाज के लिए हर माह ५ हज़ार रुपए की जरूरत थी !जिसका इंतजाम न हो पाने के कारण उनके परिवार वाले जब उन्हें लखनऊ से घर वापस ला रहे थे की रास्ते में उनकी दर्द नाक मो़त हो गयी ! यह संक्षिप्त विवरण कई सन्देश देता है '' की समाचारपत्र उधोग म

लो क सं घ र्ष !: "ब्लागप्रहरी"ब्लागर्स को नया तोहफ़ा, एक विशेष एग्रीगेटर की शुरूआत

http://blogprahari.com ब्लाग जगत मे जब प्रहार ज्यादा होने लगे और सृजन की प्रक्रिया धीमी हो जाने लगे, तब यह भान हो जाना चाहीये कि वक्त एक बड़े बदलाव का है। वर्तमान समय में ब्लागींग का गीरता स्तर, इसके शुभागमन के समय अनुमानित लक्ष्यों से बहुत दूर धकेलने वाला है। इस दिशा में एक सार्थक पहल हुई है, और उस प्रयास को संज्ञा " ब्लागप्रहरी" देना सर्वथा प्रेरणात्मक है। ब्लागप्रहरी का उद्देश्य ब्लाग जगत के दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे विसंगतियों से अलग एक आदर्शस्वरूप ब्लाग मंच मुहैया कराना है।स्वरूप से एक एग्रीगेटर होने के बावज़ूद इसकी कार्य-प्रणाली विस्तृत और नियंत्रित होगी। (हमे ब्लागप्रहरी को एक एग्रीगेटर के रूप में नहीं बल्की विचार-विमर्श और ब्लागींग के एक सार्थक प्लेटफार्म के रूप में स्थापित करना चाहते हैं।आपसे निवेदन है कि आप इसका मुल्यांकन किसी एग्रिगेटर से तुलना कर के न करें!) जैसा कि नाम मात्र से स्पष्ट है, इसका एकमात्र लक्ष्य ब्लाग जगत में एक आदर्श ब्लागींग के मापदंड की स्थापना करना और ब्लागींग जैसे सशक्त, अभिव्यक्ति के हथियार को धारदार बनाये रखना है। क्या है योजना! (1) ब्लागप्रहरी ए