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Showing posts from May 27, 2009

loksangharsha: दुनिया में अगर दर्द का मौसम नही होता

दुनिया में अगर दर्द का मौसम नही होता - चेहरों पे तबस्सुम का ये आलम नही होता । क्या चीज मुहब्बत है ये हम कैसे समझते - अश्को से अगर दामने दिल नम नही होता । इक वो है की माथे पे हमावत है शिकने- इक मैं हूँ कि किसी हाल में वह हम नही होता। -डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही '

दिल्‍ली में 31 मई 2009 रविवार को ब्‍लॉगर्स मिलन (अविनाश वाचस्‍पति) | नुक्कड़

दिल्‍ली में 31 मई 2009 रविवार को ब्‍लॉगर्स मिलन (अविनाश वाचस्‍पति) | नुक्कड़ सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

टयूबवैलों के भरोसे विश्व प्राकृतिक धरोहर - घना पक्षी विहार

राजीव शर्मा,भरतपुर जल ही जीवन है,जल है तो कल है, जैसी बातें दिनों दिन अब आम आदमी के सामने यक्ष प्रश्न बन कर सामने आ रही है । गर्मी के दिनों में इसकी किल्लत के चलते इंसान तो चक्का जाम , मटका फोड प्रदर्शन कर प्रशासन के सामने अपनी मॉग को पूरी करने के लिए मशक्कत करता दिखाई पड रहा है ।मगर जल केवल इंसानों के लिए ही जीवन नहीं है और इसके न होने से इंसानों का ही कल असुरक्षित होगा ऐसा भी नहीं है। इसका उतना ही संबंध जल के जीवों , आसमान के परिंदों के साथ जंगली जानवरों के लिए भी है ,जो किसी के पास जाकर अपनी मॉग नहीं रख सकते तो क्या इंसान इतना मतलबी हो गया है कि वो प्रकृति के इन अनुपम उपहारों की चिंता ही करना छोडता चला जा रहा है या फिर उसने, इनके लिए पानी की व्यवस्था को भी अपनी राजनीति की एक सीढी मात्र बना लिया है।इतना ही नहीं आम आदमी ने भी अपने घर के आस पास के पेडों पर हमेशा की तरह पानी के परींडे लगाना बंद कर दिया है जिनसे पक्षी अपनी प्यास बुझा लिया करते थे। राजस्थान को अन्रर्तराश्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाला केवलादेव घना पक्षी विहार अब अपने अस्तित्व के लिए संधर्ष करता नजर आ रहा है इसके प

अभिप्राय

तुम जीते हो एक - एक पल में कई - कई जिन्दगी और हम नहीं जी पाए पूरी जिन्दगी में एक पल भी इसका अभिप्राय महज यही नहीं है कि तुम्हें जीना आता है और हमें नहीं बल्कि यह समेटे हुए है स्वयं में और भी बहुत से निहितार्थ ............ । आरती "आस्था "