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Showing posts from March 13, 2010

लो क सं घ र्ष !: सत्यमेव जयते

एक अच्छी खबर देश के सभी राज्यों के सरकारी कार्यालयों को ‘सत्यमेव जयते’ का प्रयोग करने के निर्देश दिये गये हैं, इसीक्रम में उ0प्र0 सरकार ने इसके अनुपालन के निर्देश जारी किये। भौतिकता की बुराईयों से बचने के लिये हल निकालना ही चाहिये। पहले भी इस तरफ ध्यान दिया गया था, जब हर दफतर में गांधी जी की शांति स्थापना वाली मुद्रा की फोटो लगायी गई थी, उनके उठाये हुए हाथ की पांचो उंगुलियां सामने थीं। सभी जानते हैं कि पहले बाबू लोग (सभी नहीं) दो रूपया शर्माकर ले लेते थे, बाद में महंगाई आई तो मांग भी बढ़ी, शर्माते सकुचाते गांधी की तस्वीर का सहारा लेने लगे। सरकारें अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिये कुछ टोटके करती हैं। यूरोप में तो कुछ दूसरे ही उपाय किये जाते हैं, जब बुराई हद से आगे बढ़ जाती है तो कानून बनाकर उसे जायज करार दे देते हैं, यह देश, सभ्य देश है? अगर बुराई को समाप्त करने का दृढ़ संकल्प न हो तो विधि विधान या शासनादेशों से कुछ भी होने वाला नहीं है, इसे ‘फेस-सेविंग’ ही कहा जायेगा। आदर्श वादिता बड़ी अच्छी चीज है अगर यह अपने स्थान पर न रूक जाये, इसके आगे भी एक लम्बा सफर है। मनसा, वाधा कर्मणा तक जाते ह

वह एक कवि है..

भावनाओ के धनी। बिचारो के बादशाह । इच्छाओं के काबू में करने वाला॥ दूर तक आत्मा की नज़रो से देखने वाला। अथाह सागर में गोता लगाता हुआ॥ जहा रवि (सूर्य) न पहुच सके वहा पहुचने वाला॥ अपनी लेखनी से मन को हर्षित कर देने वाला वह कोई और नहीं वह एक कवि है॥

बड़े देदर्द हो मिया॥

लड़की: बड़े देदर्द हो मिया॥ हमें फुद्दू बनाते हो॥ खुद छत पे आते हो॥ हमें आँखे दिखाते हो॥ सही है मै भी जाना अपना॥ प्यार की डोर जो बाँधी॥ मै बनू नैया तुम्हारी॥ तुम बनो हमारे मांझी॥ नैनो की ललक यारा॥ नाहक दिखाते हो॥ सोचो जो सही सोचो॥ तुम मेरे सतयुग के साथी॥ मै करू पूजा तुम्हारी॥ फिर बनू चरणों की दासी॥ हँसे गा देखकर मौसम॥ क्यों मेरा मन दुखाते हो॥

लडकिया जब दिल तोड़ती है॥

लडकिया जब दिल तोड़ती है॥ क्या अच्छा लगता है॥ रोता है दिल बेचारा॥ नाजुक बच्चा लगता है॥ बोलो क्या अच्छा लगता है,, खो जाती है सपने सहारे॥ कांटे चुभते राहो में॥ घट जाती है उम्र बेचारी॥ फरक पड़ता है बाहों पे॥ बेवफा का सहारा हमको॥ क्या सच्चा लगता है॥ मिल जाते है जब अकेले॥ काली रात भांदो में॥ तुम भी नशीली हो जाती हो॥ पेड़ोकी उस छाहो में॥ बेदर्दी तेरा स्वाद अब ॥ क्यों खट्टा लगता है॥