क्या कहे केसी हसीं वो शाम थी ! ना जाने किसकी याद हमारे पास थी ! सर्द हवाओ का प्यारा सा एहसास था ! मद मस्त मंद-मंद हवाओ का प्यार था ! जान कर हम ना जाने क्यु अनजान थे ! मीठे -मीठे दर्द से आज भी बेजान थे ! सर्द हवाए जेसे बदन को छु रही थी ! प्यारी-२बाते किसी की दिल मै उतर रही थी! मीठे २ दर्द का एहसास दिल के करीब था ! कहते भी कीससे हर कोई हमसे जो दूर था ! रात ने भी जेसे २ दस्तक देना शुरू किया ! नीद ने भी अपनी आग़ोश मै लेना शुरू किया ! बात जहां से शुरू हुई वही पर ख़तम हुई ! यादे भी अपने पंख समेटे हमसे विदा हुई ! अब ना जाने हमको वो अपना कब पैगाम सुनाएगी ! प्यारे प्यारे छोको से फिर से हमे जगाएगी ! You might also like: चुप्पी खुदा सपनो का संसार LinkWithin