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Showing posts from June 12, 2010

जहरीली राजनीति का योगी

12 June, 2010 17:00;00 आनंद पाण्डेय Font size: 135 पिछले कुछ सालों से पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और उसके आस-पास के जिलों में हिन्दू सांप्रदायिक राजनीति एक नए प्रकार के प्रयोग के दौर से गुजर रही है. जाति, धर्म, अपराध और साम्प्रदायिकता के मिश्रण की इस राजनीति के नेता हैं गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मठ के उत्तराधिकारी तथाकथित 'बाबा' योगी आदित्यनाथ. यों तो आदित्यनाथ भाजपा के टिकट पर गोरखपुर से निर्वाचित सांसद हैं लेकिन इस क्षेत्र में वे भाजपा के एजेंडे पर नहीं बल्कि अपने एजेंडे पर चलते हैं. यह एजेंडा है तो हिंदुत्व का ही लेकिन मठ के पूर्ववर्ती नेताओं के विपरीत आदित्य नाथ की राजनीतिक महत्वाकांक्षा और उनके आक्रामक स्वाभाव ने इसे नयी धार दे दी है. यह धार है हिंदुत्व की राजनीति को और अधिक जहरीली और आक्रामक बनाने वाली. गोरखपुर और उसके आस -पास के दर्जनों जिलों में छोटे-छोटे सामान्य झगड़ों और आपराधिक मसलों को सांप्रदायिक रंग देकर आदित्य नाथ ने समाज को अभूतपूर्व रूप से विभाजित और हिंसाग्रस्त किया है. आदित्यनाथ भाजपा के टिकट पर सिर्फ चुनाव लड़ते हैं और उसके सांगठनिक गतिविधियों में हस्तक्षे

लो क सं घ र्ष !: हिंदी ब्लॉगिंग की दृष्टि से सार्थक रहा वर्ष-2009, भाग-2

वर्ष -2009 में जो कुछ भी हुआ उसे हिंदी चिट्ठाजगत ने किसी भी माध्यम की तुलना में बेहतर ढंग से प्रस्तुत करने की पूरी कोशिश की है। चाहे बाढ़ हो या सूखा या फिर मुम्बई के आतंकवादी हमलों के बाद की परिस्थितियाँ , चाहे नक्सलवाद हो या अन्य आपराधिक घटनाएँ , चाहे पिछला लोकसभा चुनाव हो अथवा हुए कई राज्यों के विधानसभा चुनाव या साम्प्रदायिकता , चाहे फिल्में हों या संगीत , चाहे साहित्य हो या कोई अन्य मुद्दा , तमाम ब्लॉग्स पर इनकी बेहतर प्रस्तुति हुई है। कुछ ब्लॉग ऐसे है जिनकी चर्चा कई ब्लॉग विश्लेषकों के माध्यम से विगत वर्ष 2008 में भी हुई थी और आशा की गई थी कि वर्ष 2009 में इनकी चमक बरकरार रहेगी। ब्लॉग चर्चा के अनुसार सिनेमा पर आधारित तीन ब्लॉग वर्ष 2008 में शीर्ष पर थे । एक तरफ तो प्रमोद सिंह के ब्लॉग सिलेमा सिलेमा पर सारगर्भित टिप्पणियाँ पढ़ने को मिली थीं, वहीं दिनेश श्रीनेत ने इंडियन बाइस्कोप के जरिए निहायत ही निजी कोनों से और भावपूर्ण अंदाज से सिनेमा को देखने की एक बेहतर कोशिश की थी। तीसरे ब्लॉग के रूप में महेन के

लो क सं घ र्ष !: हिंदी ब्लॉगिंग की दृष्टि से सार्थक रहा वर्ष-2009, भाग-1

आज जिस प्रकार हिंदी ब्लागर साधन और सूचना की न्यूनता के बावजूद समाज और देश के हित में एक व्यापक जन चेतना को विकसित करने में सफल हो रहे हैं वह कम संतोष की बात नही है। हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप देने में हर उस ब्लाॅगर की महत्वपूर्ण भूमिका है जो बेहतर प्रस्तुतीकरण , गंभीर चिंतन , सम सामयिक विषयों पर सूक्ष्मदृष्टि , सृजनात्मकता , समाज की कुसंगतियों पर प्रहार और साहित्यिक - सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से अपनी बात रखने में सफल हो रहे हैं। ब्लॉग लेखन और वाचन के लिए सबसे सुखद पहलू तो यह है कि हिन्दी में बेहतर ब्लॉग लेखन की शुरुआत हो चुकी है जो हम सभी के लिए शुभ संकेत का द्योतक है। वैसे वर्ष -2009 हिंदी ब्लाॅगिंग के लिए व्यापक विस्तार और वृहद प्रभामंडल विकसित करने का महत्वपूर्ण वर्ष रहा है। आइए वर्ष -2009 के महत्वपूर्ण ब्लॉग और ब्लॉगर पर एक नजर डालते हैं । हिंदी ब्लॉग विश्लेषण -2009 की शुरुआत एक ऐसे ब्लॉग से करते हैं जो हिंदी साहि