12 June, 2010 17:00;00 आनंद पाण्डेय Font size: 135 पिछले कुछ सालों से पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और उसके आस-पास के जिलों में हिन्दू सांप्रदायिक राजनीति एक नए प्रकार के प्रयोग के दौर से गुजर रही है. जाति, धर्म, अपराध और साम्प्रदायिकता के मिश्रण की इस राजनीति के नेता हैं गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मठ के उत्तराधिकारी तथाकथित 'बाबा' योगी आदित्यनाथ. यों तो आदित्यनाथ भाजपा के टिकट पर गोरखपुर से निर्वाचित सांसद हैं लेकिन इस क्षेत्र में वे भाजपा के एजेंडे पर नहीं बल्कि अपने एजेंडे पर चलते हैं. यह एजेंडा है तो हिंदुत्व का ही लेकिन मठ के पूर्ववर्ती नेताओं के विपरीत आदित्य नाथ की राजनीतिक महत्वाकांक्षा और उनके आक्रामक स्वाभाव ने इसे नयी धार दे दी है. यह धार है हिंदुत्व की राजनीति को और अधिक जहरीली और आक्रामक बनाने वाली. गोरखपुर और उसके आस -पास के दर्जनों जिलों में छोटे-छोटे सामान्य झगड़ों और आपराधिक मसलों को सांप्रदायिक रंग देकर आदित्य नाथ ने समाज को अभूतपूर्व रूप से विभाजित और हिंसाग्रस्त किया है. आदित्यनाथ भाजपा के टिकट पर सिर्फ चुनाव लड़ते हैं और उसके सांगठनिक गतिविधियों में हस्तक्षे