भारतीय सिनेमा की ऐतिहासिक फिल्म शोले' ने इस माह अपने 37 वर्षो का सफर पूरा कर लिया है। फिल्म 15 अगस्त 1975 में रिलीज हुई थी। तब किसी ने भी यह नहीं सोचा था कि यह भारतीय फिल्मी जगत में मील का ऐसा पत्थर साबित होगी कि जिस तक कोई दूसरी कोई फिल्म पहुंच ही नहीं पाएगी। शोले की प्रसिद्धि का आलम ही तो है कि इसके सारे पात्र इतिहास के पन्नों में अमर हो गए हैं। फिल्म का ऐसा कोई पात्र नहीं, ऐसा कोई दृश्य नहीं, जिसकी नकल न की गई हो या जिसकी चर्चा न की जाती हो। आईए आपको रू-ब-रू करवाते हैं..अपनी 37वीं वषर्गांठ मना रही फिल्म ‘शोले’ की कुछ हसीन यादों से। ये लेख गुजरात के प्रसिद्ध लेखक व डॉ. शरद ठाकर ने लिखा है। शरद ठाकर, अमिताभ बच्चन पर एक किताब लिख रहे हैं। यह लेख उसी किताब का अंश है। शरद ठाकर। बॉलीवुड की महानतम फिल्मों में से एक ‘शोले’ एक महान पिता के होनहार बेटे द्वारा बनाई गई फिल्म थी। रमेश सिप्पी के पिता जी.पी. सिप्पी खुद एक धुरंधर फिल्म निर्माता थे। ‘शोले’ फिल्म बनाने से पहले रमेश सिप्पी कई सफल फिल्में बना चुके थे, जिसमें सीता और गीता मुख्य थी। सन् 1973 में रिलीज हुई इस फिल्म ने बॉक्स ऑफ