Skip to main content

Posts

Showing posts from October 9, 2010

न समझोगे तो मिट जाओगे हिंदुस्तांवालो...

आशुतोष बीस साल बाद भी उस अस्सी साल के बुजुर्ग का चेहरा मैं भूल नहीं पाया। झुर्रियों से अटे उस चेहरे से भरभर टपकते आंसू और खरखराती आवाज। वो आवाज आज भी मेरे कानों में गूंजती है। 'आज राजीव गांधी होते तो अमर हो जाते'। अयोध्या में विवादित जमीन के पास शिलान्यास के करीब खड़े उस बुजुर्ग ने बड़ी मासूमियत से कहा था। मैंने बस इतना पूछा था-बाबा आपको कैसा लग रहा है। ये पूछना था कि वो फफक-फफक के रो पड़े। मैं उन दिनों जेएनयू में पढ़ रहा था। सीपीआई ने अयोध्या में रैली का आह्वान किया था। सी. राजेश्वर राव सीपीआई के जनरल सेक्रेटरी थे। मैं और सुहेल रैली में शामिल होने चल पड़े थे। रामजन्मभूमि के नाम पर संघ परिवार का उन्माद अपने उफान पर था। ट्रेन में कई बार मारपीट होते-होते बची थी। बचते-बचाते हम अयोध्या पहुंचे। स्टेशन से उतरकर पैदल ही हम बाबरी मस्जिद की तरफ बढ़े। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे थे सुहेल के चेहरे की लकीरें बदलती जा रहीं थी। अचानक एक मोड़ पर सुहेल रुका और बोला-मैं अब आगे नहीं जाऊंगा। तुम चले जाओ। डर तो मुझे भी लग रहा था। पर मैं आगे बढ़ता गया। और इन बुजुर्ग से मुलाकात हुई। बुजुर्ग की झुर्रिय