लूटो माल खजाना फ़ोकट में मिल रहा है॥ कोई गिलवा शिका नहीं है जो तुमसे कह रहा है... बागो की वह कली हूँ गमके मेरा इरादा॥ उगता हुआ ये उपवन तुम भी हुए अमादा॥\ आओ समीप आओ मौसम भी कह रहा है... नाजुक बड़ी हूँ कोमल पलकें बिछाए बैठी॥ कैसे हुआ है दिल मेरा लागी है प्रीति कैसी ॥ बोलो जुबान से तो चमका देखो खजाना ... सज धज कर मै कड़ी हूँ ख्वाबो का गजरा लेके॥ मुझको पता है यार मेरे पूछो गे मुझको छू के॥ बजता सितार दिल का तुमसे ही कह रहा है... तुम भी बड़े चतुर हो सपनों में हमें सताते॥ कंगना मेरा बजाते सोते हमें जगाते॥ सपनों का मेरे बाग़ अब आँखों से दिख रहा है...