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Showing posts from February 8, 2010

लो क सं घ र्ष !: उत्तर प्रदेश पुलिस सबसे तेज

एक चुटकुला है कि दुनिया के कई देशों के पुलिस प्रमुखों की मीटिंग हो रही थी जिसमें ये था कि कोई अपराध होने पर किसी पुलिस प्रमुख ने कहा की हम 24 घंटे के अन्दर अपराधी को पकड़ लेते हैं किसी पुलिस प्रमुख ने कहा कि हम 48 घंटे में अपराधी को पकड़ लेते हैं तो उस मीटिंग में भारत की तरफ से उत्तर प्रदेश पुलिस प्रमुख ने कहा कि हमारे वहां पुलिस घटना के हफ़्तों पहले अपराधी को गिरफ्तार कर लेती है । हमारी पुलिसिंग सबसे तेज है । प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने मुख्यमंत्रियों के सम्मलेन में नक्सलवाद , आतंकवाद साम्प्रदायिकता और क्षेत्रियता को देश के सामने मुख्य चुनौती बताई कि उत्तर प्रदेश पुलिस शनिवार को दस्तक मैगज़ीन की संपादक श्रीमती सीमा आजाद उनके पति विश्व विजय व अन्य महिला मानवाधिकार कार्यकर्ती आशा को माओवादी बता कर गिरफ्तार कर लिया उनके ऊपर आरोप है कि यह लोग प्रतिबंधित संगठन माओवादी के सदस्य हैं । श्रीमती सीमा आजाद पर आरोप

दलित था, डराया गया, छोड़ दी मीडिया की नौकरी

यह सच्‍ची घटना है, लेकिन इनमें पात्र के नाम और उससे जुड़ी घटनाओं को हमने ब्‍लर कर दिया है। ऐसा करना हमने बाबा भारती और उनके घोड़े वाली कहानी से सीखा है। ♦ कृष्‍णकांत उसने पत्रकारिता छोड़ दी, क्योंकि अपनी जाति के कारण उसे बार-बार जलील होना गवारा नहीं था। वह भी लोकतंत्र के पहरुओं द्वारा, जो कहते हैं कि यह लोकतंत्र का महल हमारे ही दम से खड़ा है। हम न होते तो यह महल ढह जाता। उसने मुझसे कहा – हिंदू-मुस्लिम कठमुल्लों को गाली देना मीडिया में फैशन है। ठीक उसी तरह जैसे सलमान खान की नयी रिलीज हो रही फिल्म की खबर देना। यह महज ढोंग है। मीडिया भी उतना ही सांप्रदायिक है जितना कि बजरंग दल या कोई जेहादी कठमुल्लों का संगठन। मैं किसी कथित निचली जाति में पैदा हुआ तो मेरा क्या दोष? आप कथित ब्राहमण के घर पैदा हुए तो आपकी उपलब्धि क्या है? यह कोई गल्प नहीं है। यह पूरब के ऑक्सफोर्ड से पत्रकारिता की पढ़ाई करके निकले एक छात्र की आपबीती है, जो इत्तफाक से ब्रहमा के मुख से नहीं पैदा नहीं हुआ है। पीआरओशिप में बदल चुकी पत्रकारिता की पढ़ाई भी उसे इस थोपे हुए ब्राहमण-शूद्रवाद से लड़ने का साहस नहीं दे सकी।