धार्मिक राष्ट्रवाद के नशे में गाफिल रहने वालों को आमजनों की क्षेत्रीय व नस्लीय आकांक्षाएं दिखलाई नहीं देतीं। विभिन्न रंगों के अति राष्ट्रवादी भी इसी दृष्दिोष से पीड़ित रहते हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के दिल्ली में सत्ता पर काबिज होने के बाद से संविधान की अनुच्छेद 370 को हटाने का मुद्दा एक बार फिर राजनीति के मंच के केन्द्र में आ गया है। इस मुद्दे को प्रधानमंत्री कार्यालय के एक राज्यमंत्री ने उठाया और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीडीपी की महबूबा मुफ्ती ने इसका कड़ा विरोध किया। भारतीय संघ के गठन के साथ ही, हिमाचल प्रदेश, उत्तर.पूर्वी राज्यों और जम्मू.कश्मीर के संघ में विलय का प्रश्न चुनौती बनकर उभरा। इन सभी चुनौतियों का अलग.अलग ढंग से मुकाबला किया गया परंतु आज भी ये किसी न किसी रूप में राष्ट्रीय चिंता का कारण बनी हुई हैं। जम्मू.कश्मीर इस संदर्भ में सबसे अधिक चर्चा में है। कश्मीर, सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण भौगोलिक क्षेत्र है और इसलिए वैश्विक शक्तियों ने भी कश्मीर समस्या को उलझाने में कोई कोर.कसर नहीं छोड़ी। भारत और पाकिस्तान के ब