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Showing posts from August 7, 2010

मै पुष्प वाटिका की बेटी हूँ..

लड़का: क्यों इतनी दूर खड़ी हो॥ ज़रा नजदीक तो आओ न॥ रूप वती सुन्दर कितनी हो ॥ अपना नाम बताओ न॥ लड़की: मै पुष्प वाटिका की बेटी हूँ॥ लता मुझे सब कहते है॥ १०० गज की दूरी पर॥ मुझसे भवरे रहते है॥ क्यों पहचान हमारी पूछ रहे हो॥ कारण कोई बताओ न॥ लड़का: कल के उस तुफानो में॥ उड़ करके यहाँ आया हूँ॥ बहुत जोर की प्यास लगी है॥ तुम्हे देख अकुलाया हूँ। सोलह सिंगार से सोभित हो तुम॥ अपना हाथ थमाओ न॥ लड़की: तुम मुझपर मोहित हो करके ॥ थोड़ी से गलती कर बैठे॥ मुझको न अपना पाओगे॥ खड़े खड़े यूं ऐसे॥ कल कल झरने कर रहे है॥ उसमे जा नहाओ न॥ लड़का:सब खुशिया मुझे मिल गयी॥ सपने सच होने वाले है॥ तुम्हे छिपा के रख लूगा॥ अभी खाली हमारी बाहे है॥ खड़ी खड़ी क्यों हंस रही॥ मेरी बाहों में आओ न॥ लड़की: वादा करो कभी न दूर रहोगे॥ सेवा करूगी मै जो तुम कहोगे॥ सपने सजाऊगी हंस हंस के तुम्हारा॥ आने वाल कल भी होगा हमारा। खड़े खड़े क्यों हंस रहे हो॥ कलियों पे हाँथ लगाओ न॥