वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हिन्दी भाषा के विषय में किस दृष्टिकोण से बात की जाए प्रथम तो यह निर्धारित करना आवश्यक है. पहला दृष्टिकोण एक सामान्य हिन्दी कवि पत्रकार, या लेखक वाला हो सकता है जिसके प्रभाव में "हिन्दी हमारी मातृभाषा है", "हिन्दी अपनाओ" , और "निज भाषा उन्नति अहै" जैसे वाक्यांश सुने और पढ़े जाते हैं. तथा हिन्दी दिवस एवं हिन्दी पखवाडा आदि मनाये जाते हैं. दूसरा दृष्टिकोण एक व्यावहारिक दृष्टिकोण है . प्रबंध का विद्यार्थी होने के कारण मेरा विचार उन सभी लेखों से अलग है जो हिन्दी भाषा के विषय में अक्सर पढ़े जाते हैं. प्रबंध स्थिति को समझने एवं उचित निर्णय लेने का सर्वश्रेठ मार्ग प्रशस्त करता है . और सर्वश्रेठ मार्ग कभी भी अव्यावहारिक नही हो सकता . पहला दृष्टिकोण कहता है कि लोग हिन्दी सीखें, उन्हें हिन्दी सिखाई जाए क्योंकि यह हमारी मातृभाषा है . परन्तु दूसरा दृष्टिकोण इसके ठीक विपरीत है . इसके अनुसार ऐसा वातावरण बने कि लोग स्वयं हिन्दी सीखने के लिए आगे आएं और उसके लिए एक व्यवहारिक कारण हो न कि कोई भावनात्मक तर्क . कोई भी व्यक्ति इस प्रकार हिन्दी सीखने के ल