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Showing posts from March 17, 2009

हिन्दी भाषा का वर्तमान एवं भविष्य : एक व्यावहारिक विवेचन

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हिन्दी भाषा के विषय में किस दृष्टिकोण से बात की जाए प्रथम तो यह निर्धारित करना आवश्यक है. पहला दृष्टिकोण एक सामान्य हिन्दी कवि पत्रकार, या लेखक वाला हो सकता है जिसके प्रभाव में "हिन्दी हमारी मातृभाषा है", "हिन्दी अपनाओ" , और "निज भाषा उन्नति अहै" जैसे वाक्यांश सुने और पढ़े जाते हैं. तथा हिन्दी दिवस एवं हिन्दी पखवाडा आदि मनाये जाते हैं. दूसरा दृष्टिकोण एक व्यावहारिक दृष्टिकोण है . प्रबंध का विद्यार्थी होने के कारण मेरा विचार उन सभी लेखों से अलग है जो हिन्दी भाषा के विषय में अक्सर पढ़े जाते हैं. प्रबंध स्थिति को समझने एवं उचित निर्णय लेने का सर्वश्रेठ मार्ग प्रशस्त करता है . और सर्वश्रेठ मार्ग कभी भी अव्यावहारिक नही हो सकता . पहला दृष्टिकोण कहता है कि लोग हिन्दी सीखें, उन्हें हिन्दी सिखाई जाए क्योंकि यह हमारी मातृभाषा है . परन्तु दूसरा दृष्टिकोण इसके ठीक विपरीत है . इसके अनुसार ऐसा वातावरण बने कि लोग स्वयं हिन्दी सीखने के लिए आगे आएं और उसके लिए एक व्यवहारिक कारण हो न कि कोई भावनात्मक तर्क . कोई भी व्यक्ति इस प्रकार हिन्दी सीखने के ल

मुक्तक: तोड़ कितने दिल दिए - संजीव 'सलिल'

दिल लिया दिल बिन दिए ही, दिल दिया बिन दिल लिए। देखकर यह खेल रोते दिल बिचारे लब सिए। फिजा जहरीली कलंकित चाँद पर लानत 'सलिल'- तुम्हें क्या मालूम तुमने तोड़ कितने दिल दिए। कभी दिलवर -दिलरुबा थे, आज क्या हो क्या कहें? यह बताओ तुम्हारी बेहूदगी हम क्यों सहें? भाड़ में दे झोंक तुमको, तमाशा तुम ख़ुद बने। तुम हवस के हो पुजारी, दूर तुम से हम रहें। देह बनकर तुम मिले थे, देह तक सीमित रहे। आज लगता भाव सारे, तुम्हारे बीमित रहे। रोज चर्चाओं का बोनस, मिल रहा है मुफ्त में- ठगे जन के मन गए हैं, दर्द असीमित रहे। ********************************

रतन टाटा का जनता को ''धोखा''

संजय सेन सागर मध्यम वर्ग परिवार और स्वयं के सपने को साकार करने के लिए रतन टाटा ने ड्रीम प्रोजेक्ट नैनो कार का निर्माण का कार्य पूर्ण कर लिया है। और रतन टाटा का ड्रीम प्रोजेक्ट अब रियल प्रोजेक्ट के रूप में हमारे सामने है। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिये रतन को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा जब उन्होने नैनो प्रोजेक्ट को प्रारंभ किया तो उन्हे ‘‘सिंगुर’’ से धोखा मिला लेकिन भले मानुष नरेन्द्र मोदी जी की मदद से आज नैनो तैयार है। नैनो के सफल निर्माण से रतन टाटा का सपना तो पूरा हो गया लेकिन मध्यम वर्ग परिवार का सपना अब भी खटाई में है। टाटा कंपनी ने अपनी पहली खेप में एक लाख नैनो कार का निर्माण किया है जबकि नैनो के लिए 12 करोड़ परिवार खरीदना चाहते है जिनका यह सपना पूरा होना संभव नजर नही आ रहा है। नैनो को लेकर इन परिवारो का सपना इतना बड़ा हो चुका है कि अब बस यह हकीकत में तब्दील होना चाहता है, लेकिन रतन टाटा जानते है कि इनका सपना पूरा ना होना ही रतन टाटा को फायदा पहुँचा सकता है। रतन टाटा चाहते तो आराम से 50 लाख - एक करोड़ नैनो का निर्माण कर सकते थे लेकिन इसके बाद नैनो की वो असाधारणतः समाप्त हो जा

नेपाल में भारत विरोध की भावना को भड़काया जा रहा है ...

भारत ऐसे पडोशीदेशों से घिरा है की वह चाह कर भी चैन से नही बैठ सकता है । एक पोस्ट में मैंने बांग्लादेश के हालात पर एक छोटी सी टिप्पणी किया था जिसे आप सबने काफी सराहा था । नेपाल भी कुछ कम नही है ... वह के बदले हुए हालात ने भारत को सोचने पर मजबूर कर दिया है । वहां की नई सरकार का रवैया भारत विरोध को इंगित कर रहा है । चाहे वह कोशी नदी के बाढ़ मामला हो या पशुपतिनाथ के मन्दिर में भारतीय पुजारियों से सम्बंधित मामला हो उसका रवैया एकदम निराशाजनक लगता है । प्रचंड की माओवादी सरकार अपनी नीतियों के जरिए पूरे नेपाल में ऐसा ढांचागत परिवर्तन लाने में लगी दिखती है , जिससे भारत - नेपाल के विशेष मैत्री संबंधों को तोड़कर दोनों देशों के बीच भविष्य में नहीं भरी जा सकने वाली खाई पैदा की जा सके । कुछ दिन पहले ही पशुपति नाथ मंदिर में सौ से ज्यादा माओवादियों ने घुसकर स्थानीय पुजारियों की नियुक्ति का विरोध कर रहे लोगों पर हमला बोल दिया। प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने दक्षिण भारतीय ब्राह्माणों को पूजा - अर्चना करने से

जरा सोचिये तो कौन हैं ये ?

भारत की सरजमीं पर तिरंगे का अपमान । जरा सोचिये तो ये कौन हैं ?

जय हो धर्मनिरपेक्षता

भारत आरम्भ से ही धर्म निरपेक्ष राज्य रहा है। यों SECULAR शब्द को संविधान की प्रस्तावना में घुसेड़ने का श्रेय श्रीमती इन्दिरा गान्धी का है। घुसेड़ने शब्द का प्रयोग बहुत ही प्रासंगिक है। जब सन 1947 से ही 'सर्व धर्म सम्भाव' की भावना एवं कार्यप्रणाली हमारे तन्त्र का आवश्यक अंग थी,तो इसे संविधान की प्रस्तावना में घुसेड़ना, श्रीमती गान्धी द्वारा किया गया सिर्फ एक सस्ती लोकप्रियता भुनाने का प्रयास भर था।वैसे धर्म निरपेक्षता और Secular दो अलग अलग संज्ञायें हैं। साधारणतया Secular शब्द का अर्थ होता है धर्म विहीनता या धर्म की अनुपस्थिति जबकि धर्म निरपेक्षता का अर्थ है 'सर्व धर्म सम्भाव' या आधिकारिक रुप से किसी भी विषय पर धर्म के आधार पर कोई निर्णय नहीं लेना। इस सारे संवाद में एक मूलभुत कठिनाई है। अंग्रेजी में 'धर्म' के लिये कोई शब्द है ही नही, तो 'धर्म निरपेक्षता' के लिये अंग्रेजी शब्द ढुंढना पूर्णतया बेमानी है।शायद संविधान में धर्म और RELIGION के फर्क को समझने का कोई प्रयास नहीं किया गया है। इसीलिये secular शब्द को घुसेड़ कर इन्दिरा गांधी ने मूर्खता या बाजारु Populist

वेश्या भी औरत है, उसकी आत्मा से न खेलिए

औरत में सागर सी गहराई और हिमालय सी ऊँचाई होती है. जिस तरह से सागर की गहराई से गंदगी के साथ सीप और मोती साथ-साथ पाए जाते हैं, उसी प्रकार औरत के हर रूप में एक रूप वेश्या का भी है. यहां एक उदाहरण देना चाहूगा. अगर हम सड़क पर जा रहे हैं और हमारे हाथ में खाने का टिफिन गिर जाये तो हम उस खाने को तो उसी सड़क पर छोड़ देते हैं मगर खाली टिफिन उठा कर घर में लाकर रख देते हैं. हम इस बात को अगर एक औरत की जिन्दगी से जोड़ कर देखें. हमारे देश की औरत इसी तरह की जिन्दगी जी रही है. औरत मां है, औरत बहन है, औरत पत्नी है, औरत देवी है. औरत एक ही है मगर औरत को देखने का हमारा नजरिया अलग-अलग है. यही नजरिया और नजर औरत के साथ हमारे रिश्ते का नामकरण करती है। यह सब जानते हैं कि औरत से ही हमारी सृष्टि चलती है. हम सभी कहते रहते हैं कि हमारा देश नारी प्रधान देश है और हमारे यहां नारी को देवी माना गया है. हम औरतों की पूजा करते हैं, मंदिर में जाकर. एक औरत जो पत्थर की मूरत में है, हम उसकी पूजा तो करते हैं और उसको कपड़े भी पहनाते हैं मगर दूसरी तरफ अगर वही औरत किसी कोठे पर मिल जाये तो चंद रुपये देकर हम लोग ही उसके कपड़े उतारने

आचार्य संजीव 'सलिल' जी की तीन लघुकथाएँ

जनतंत्र 'जनतंत्र की परिभाषा बताओ' राजनीतिशास्त्र के शिक्षक ने पूछा. ' जहाँ जन का भाग्य विधाता तंत्र हो' - एक छात्र ने कहा. ' जहाँ ग़रीब जनगण के प्रतिनिधि अमीर हों.' - दूसरे ने कहा. ' जहाँ संकटग्रस्त जनगण की दशा जानने के लिए प्रतिनिधि आसमान की सैर करें.' तीसरे की राय थी. ***** रावण-दहन - 'दादाजी! दशहरे पर रावण का पुतला क्यों जलाया जता है?' - ' रावण ने सीता मैया का धोखे से अपहरण कर विश्वासघात किया था. इसलिए.' - 'आप उस दिन कह रहे थे हमारे विधायक ने जनता से विश्वासघात किया है तब उसको क्यों नहीं...' - 'चुप राह. बकवास मत कर.' *****

वरुण गांधी ने मुसलमानों के खिलाफ ज़हर उगला !

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत संसदीय क्षेत्र से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे वरुण गांधी ने बरखेडा में चुनावी सभा के दौरान मुसलमानों के खिलाफ जमकर ज़हर उगला। उन्होंने देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी नहीं बख्शा। उनके इस आक्रामक तेवर से बीजेपी भी सकते में है। चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस भी जारी किया। वरुण ने हाल ही में अपने संसदीय क्षेत्र पीलीभीत में एक रैली में कहा था, 'यह हाथ नहीं है। यह कमल का हाथ है। यह मुसलमानों का सर काट देगा, जय श्रीराम।' एक अन्य सभा में उन्होंने कहा, 'अगर कोई हिंदुओं की तरफ उंगली उठाएगा या समझेगा कि हिंदू कमजोर हैं और उनका कोई नेता नहीं हैं, अगर कोई सोचता है कि ये नेता वोटों के लिए हमारे जूते चाटेंगे तो मैं गीता की कसम खाकर कहता हूं कि मैं उस हाथ को काट डालूंगा।' वरुण ने कहा, 'जो हाथ हिंदुओं पर उठेगा, मैं उस हाथ को काट दूंगा।' वरुण गांधी ने देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी नहीं बख्शा। उन्होंने कहा, गांधीजी कहा करते थे कि कोई इस गाल पर थप्पड़ मारे तो उसके सामने दूसरा गाल कर दो ताकि वह इस गाल पर भी थप्पड़ मार सके। यह क्या है
सलिल की कलम से... अपना कौन,पराया कौन? कौन बताये इस दुनिया में, अपना कौन,पराया कौन? गर्दिश में अपने भी भूले, किसको हरदम भाया कौन? मतलब की साथी है दुनिया, पलक झपकते दूर हुई- 'सलिल' अँधेरे में देखा तो नजर न आया साया कौन? - - दिव्यनर्मदा,ब्लागस्पाट.कॉम / संजिव्सलिल.ब्लागस्पाट.com