हर किसी की जिंदगी मै एक मकसद होता है ! खुद बेवफा हो लेकिन तलाश वफ़ा की रखता है !! अगर हम दिल से ये चाहते हैं की हम अपने देश मै अमन का पैगाम लाये तो हमें सबसे पहले अपने आप को बदलना होगा सिर्फ किताबो मै पड़ कर लिख कर या मुहं से कह देने भर से हम अमन हरगिज़ नहीं ला सकते ! अब देखो न हमारा देश तो पहले से ही इतने बड़े विद्वानों , ज्ञानियों से भरा पड़ा है फिर अब तक हम पूरी तरह से अपने देश मै अमन क्यु नहीं ला पा रहे हैं ! शायद हमरा देश के प्रति दिए गये योगदान मै कमी तो इसका कारण नहीं ? क्युकी जब हम किसी अच्छे और शंतिपुरण देश की कामना करते हैं , तो उन सब मै हमारी गिनती खुदबखुद हो जाती है और उसे सुंदर बनाने और बिगड़ने का काम हमारा भी होता है फिर वो गलती कितनी भी छोटी क्यु न हो ! फिर हम ओरों से अलग केसे हो सकते हैं हम भी तो उसी अंश का हिस्सा हैं ! अब देखो न किसी की तरफ इशारा करके ये कहना की वो शख्श खराब है , वो गंदा है , उसे तमीज़ नहीं या फिर उसे किसी की फ़िक्र ही नहीं कितना आसान सा होता है ! क्या हम इतनी आसानी से अपने दोष गिनवा पाएंगे हरगिज नहीं