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Showing posts from December 29, 2010

अमन का पैगाम

हर किसी की जिंदगी मै एक मकसद होता है ! खुद बेवफा हो लेकिन तलाश वफ़ा की रखता है !!                                      अगर हम दिल से ये चाहते हैं की हम अपने देश मै अमन का पैगाम लाये तो हमें सबसे पहले अपने आप को बदलना होगा सिर्फ किताबो मै पड़ कर लिख कर या मुहं  से कह देने भर से हम अमन हरगिज़ नहीं ला सकते ! अब देखो न हमारा देश तो पहले से ही इतने बड़े विद्वानों , ज्ञानियों से भरा पड़ा है फिर अब तक हम पूरी तरह से अपने देश मै  अमन क्यु  नहीं ला पा रहे हैं  ! शायद हमरा देश के प्रति दिए  गये  योगदान मै कमी तो इसका कारण नहीं ? क्युकी जब हम किसी अच्छे और शंतिपुरण देश की कामना करते हैं , तो उन सब मै हमारी गिनती खुदबखुद हो जाती है और उसे सुंदर बनाने और  बिगड़ने का काम हमारा भी होता है फिर वो गलती कितनी भी छोटी क्यु  न हो ! फिर हम ओरों से अलग केसे हो सकते हैं हम भी तो उसी अंश का हिस्सा हैं  ! अब देखो न किसी की तरफ इशारा करके ये कहना की वो शख्श खराब है , वो गंदा है , उसे तमीज़ नहीं या फिर उसे किसी की फ़िक्र ही नहीं कितना आसान  सा होता है ! क्या हम इतनी आसानी से अपने दोष गिनवा पाएंगे हरगिज नहीं

कॉमरेडों का फिजूल रोदन

वेद प्रताप वैदिक अदालत को बिनायक सेन के बारे में जितनी बातें मालूम पड़ी हैं, वे सब ऊंट के मुंह में जीरे के समान हो सकती हैं। असली बातों तक वे बेचारे पुलिसवाले क्या पहुंचेंगे, जो इंडियन सोशल इंस्टीट्यूट को आईएसआई समझ लेते हैं। वे गुस्से से लबालब हों तो हैरत नहीं होनी चाहिए, क्योंकि माओवादी हिंसा में वे ही मारे जाते हैं। हमारे गालबजाऊ बुद्धिजीवी तो उन्हें मच्छर बराबर भी नहीं समझते। डॉ बिनायक सेन को लेकर देश का अंग्रेजी मीडिया और हमारे कुछ वामपंथी बुद्धिजीवी जिस तरह आपा खो रहे हैं, उसे देखकर देश के लोग दंग हैं। इतना हंगामा तो प्रज्ञा ठाकुर वगैरह को लेकर हमारे तथाकथित राष्ट्रवादी और दक्षिणपंथी तत्वों ने भी नहीं मचाया। वामपंथियों ने आरएसएस को भी मात कर दिया। आरएसएस ने जरा भी देर नहीं लगाई और ‘भगवा आतंकवाद’ की भत्र्सना कर दी। अपने आपको हिंसक गतिविधियों का घोर विरोधी घोषित कर दिया। ‘भगवा आतंकवाद’ शब्द ही मीडिया से गायब हो गया। लेकिन बिनायक सेन का झंडा उठाने वाले एक भी संगठन या व्यक्ति ने अभी तक माओवादी हिंसा के खिलाफ अपना मुंह तक नहीं खोला। क्या यह माना जाए कि माओवादियों द्वारा मारे जा रहे स