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Showing posts from August 8, 2009

डॉ श्याम गुप्त की ग़ज़ल --

कुछ पल तो रुक के देख ले राहों के रंग न जी सके , कोई ज़िंदगी नहीं । यूंही चलते जाना दोस्त , कोई ज़िंदगी नहीं । कुछ पल तो रुक के देख ले , क्या - क्या है राह में , यूंही राह चलते जाना कोई ज़िंदगी नहीं । चलने का कुछ तो अर्थ हो , कोई मुकाम हो , चलने के लिए चलना , कोई ज़िंदगी नहीं । कुछ ख़ूबसूरत से पड़ाव , यदि राह में न हों , उस राह चलते जाना , कोई ज़िंदगी नहीं । ज़िंदा दिली से ज़िंदगी को , जीना चाहिए , तय रोते सफर करना , कोई ज़िंदगी नहीं । इस दौरे भागम - भाग में , सिज़दे में प्यार के , कुछ पल झुके तो इससे बढ़कर बंदगी नहीं । कुछ पल ठहर , हर मोड़ पे , खुशियाँ तू ढूंढ ले , उन पल से बढ़के ' श्याम , कोई ज़िंदगी नहीं ॥

नेता जी.. (पोस्टर)

गली गली चौराहे पर॥ हमको चिपकाया लोगो ने॥ घर घर के दीवारों पर ॥ हमको लटकाया लोगो ने॥ जूते चप्पल की नदी बही थी॥ हमको जलाया लोगो ने॥ जे जे कार के नारे लगते॥ माला पहनाया लोगो ने॥ नदी खेत और जंगल में॥ हमको दौडाया लोगो ने॥ हाथी घोडा और गधा के ऊपर॥ हमको बैठाया लोग ने॥ नदी तालाब ईनारो में॥ हमको फेक्वाया लोगो ने॥ गन्दी गन्दी सड़क किनारे॥ झाडू पकडाया लोगो ने॥ शूट बूट को उतार के फेका॥ धोती पहनाया लोगो ने॥ बुरे कर्म की लाल जो स्याही॥ उसको पकडाया लोगो ने॥ १२व्यन्जन की पकवान का॥ स्वाद चखाया लोगो ने॥ अब कुर्सी से खिसक गया हूँ॥ उससे उतरवाया लोगो ने॥

नही परेशानी होगी..

ladki:- प्रेम की संकर गलियनम ॥ प्रेम राज़ क्यो आए हो॥ आते आते घर वालो से॥ क्यो मेरा पता बताये हो॥ बड़ी बदनामी होगी॥ तुम्हे परेशानी होगी॥ लड़का:- छुपा के रखना दिल में अपने॥ मत बतलाना भेद॥ हंस हंस करके बातें करना॥ मत करना बिच्क्षेद॥ जल्द बहेगी प्रेम की गंगा॥ ऐसी प्रेम निशानी होगी॥ नही परेशानी होगी... लड़की:- प्रेम डगर पर चलते चलते ॥ खुल जाती है पोल॥ शर्म से आँखे झुक जाती है॥ करते लोग है क्रोध॥ इश्क छुपाये छुप नही सकता॥ बड़ी हैरानी होगी..तुम्हे परेशानी होगी॥ लड़का:- प्रेम नदी में सभी नहाते ॥ कौन बना ब्रम्हचारी॥ चढत जवानी आँखे लड़ती॥ इसमे क्या दुराचारी॥ संग चलेगे सात जनम तक॥ यही मेरी प्रेम कहानी होगी॥ नही परेशानी होगी॥