लखनऊ. 60 साल बाद आज राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद की विवादित जमीन के मालिकाना हक पर पहली बार किसी अदालत का फैसला आया। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के तीन जजों की पीठ ने 2-1 के बहुमत से जो फैसला सुनाया, उसके मुताबिक अयोध्या में रामलला को जहां स्थापित किया गया है, वह वहीं विराजमान रहेंगे। यानी यह जमीन हिंदू महासभा (श्री रामलला विराजमान का प्रतिनिधित्व करने वाला संगठन) को दी जाएगी। संगठन को कुल विवादित जमीन का एक-तिहाई हिस्सा मिलेगा। इतनी ही जमीन बाकी दो पक्षों - निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड - को दिए जाने का आदेश दिया गया। अदालत ने यह भी कहा कि अयोध्या में जहां अभी राम लला विराजमान हैं, वहां पहले भी मंदिर था। मंदिर के अवशेष पर मस्जिद बनी थी। लखनऊ बेंच के कोर्ट रूम नंबर 21 में जस्टिस डीवीशर्मा, एसयू खान और सुधीर अग्रवाल की बेंच ने बहुमत से यह फैसला सुनाया। बंद कमरे में, जहां पक्षकारों के वकीलों के अलावा कोई मौजूद नहीं था, पीठ ने फैसला पढ़ा। बाद में मीडिया को इसकी प्रति बांटी गई। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा है कि वह फैसले का पूरी तरह अध्ययन करने के बाद सुप्रीम कोर्ट जाने पर व