मैं आजमगढ़ हूँ बिलकुल अपने दूसरे भाइयों की तरह चाहे वे उत्तर प्रदेश से सम्बंधित हों या देश के किसी अन्य राज्य से। परन्तु सैकड़ों साल से मेरा अपना इतिहास है और अपनी अलग पहचान भी। विपरीत परिस्थितियों से निपटने की मुझमें अद्भुत क्षमता है। मेरी सन्तानों में गतिशीलता, स्वयं सहायता और जोखिम उठाने का अदम्य साहस है। इसीलिये कहा जाता है कि ‘‘जहाँ-जहाँ आदमी है, वहाँ-वहाँ आज़मी है । भारत का कोई राज्य या महानगर नहीं जो मेरे सपूतों से खाली हो। दुनिया का कोई देश नहीं जहाँ मेरी संताने न पहुँची हो। फिजी में तो मेरी भाषा बोली जाती है। मोरिशस में कासिम उत्तीम और त्रिनिडाड एण्ड टोबैगो में वासुदेव राष्ट्र प्रमुख तक बन चुके हैं। केन्द्र एवं राज्य सरकारों ने मुझे कल कारखानों एवं रोजगार के अन्य स्रोतों से वंचित भले ही रखा हो पर मेरी सन्तानें देश प्रदेश के अन्य भागों से ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जाकर अपनी योग्यता, साहस और परिश्रम के बल पर अपने हिस्से की रोटी निकाल ही लाती हैं। मेरे अन्य भाइयों की सन्तानों की तरह मेरे लाल रोटी, कपड़ा, मकान, बिजली, पानी और रोजगार आदि के लिये आन्दोलन नहीं करते, हिंसा पर नही उतर