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Showing posts from December 9, 2009

भजन: सुन लो विनय गजानन -sanjiv 'salil'

भजन: सुन लो विनय गजानन मोरी संजीव 'सलिल' जय गणेश विघ्नेश उमासुत, ऋद्धि-सिद्धि के नाथ. हर बाधा हर शुभ करें, विनत नवाऊँ माथ.. * सुन लो विनय गजानन मोरी सुन लो विनय गजानन. करो कृपा हो देश हमारा सुरभित नंदन कानन.... * करो कृपा आया हूँ देवा, स्वीकारो शत वंदन. भावों की अंजलि अर्पित है, श्रृद्धा-निष्ठा चंदन.. जनवाणी-हिंदी जगवाणी हो, वर दो मनभावन. करो कृपा हो देश हमारा सुरभित नंदन कानन.... * नेह नर्मदा में अवगाहन, कर हम भारतवासी. सफल साधन कर पायें,वर दो हे घट-घटवासी! भारत माता का हर घर हो, शिवसुत! तीरथ पावन. करो कृपा हो देश हमारा सुरभित नंदन कानन.... * प्रकृति-पुत्र बनकर हम मानव, सबकी खुशी मनायें. पर्यावरण प्रदूषण हरकर, भू पर स्वर्ग बसायें. रहे 'सलिल' के मन में प्रभुवर श्री गणेश तव आसन. करो कृपा हो देश हमारा सुरभित नंदन कानन.... *

लो क सं घ र्ष !: संसद में अटल जी

लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट पर बहस के दौरान संसद में श्री बेनी प्रसाद वर्मा सांसद ने माननीय अटल बिहारी वाजपेई पर टिपण्णी कर दी जिससे संसदीय चर्चा रुक गई और भारतीय जनता पार्टी ने श्री बेनी प्रसाद वर्मा से माफ़ी मांगने के लिए कहा किंतु श्री वर्मा ने माफ़ी मांगने से इनकार कर दिया । सवाल इस बात का नही है कि माननीय अटल बिहारी बाजपेई जी हमारे प्रधानमंत्री रहे है हिन्दी के अच्छे वक्ता हैं । सवाल यह है कि बाबरी मस्जिद के समय उनकी भूमिका एक षड़्यंत्रकारी की थी जिसकी पुष्टि भी लिब्रहान आयोग ने की है । हमारे छात्र जीवन में श्री अटल बिहारी बाजपेई जी जब चुनाव लड़े थे और पराजित हुए थे । उस समय उनपर यह आरोप था कि वह क्रांतिकारियों के ख़िलाफ़ ब्रिटिश साम्राज्यवाद की तरफ़ से गवाही देने का कार्य किया करते थे जिसके बड़े - बड़े पोस्टर लखनऊ शहर में लगते थे और उसका कभी भी खंडन माननीय अटल बिहारी वाजपेई जी ने नही किया । उसी चुनाव में माननीय अटल जी के चाचा जी

बलामुवा काहे गया परदेश॥

बलामुवा काहे गया परदेश॥ बलामुवा काहे गया परदेश॥ बैरी कोयलिया ताना मारे॥ छोड़ के आपन देश ॥ बलामुवा काहे गया परदेश॥ पशु पक्षी भी हमें चिढावे॥ सासु ननदिया आँख दिखावे॥ इनके बोली तिताऊ लागे॥ ससुरा बदले भेष ॥ बलामुवा काहे गया परदेश॥ उठ भिनौखा बर्तन धोई॥ सपरय नाही काम॥ यह चिक चिक मा बूढी हो गइली॥ कब ई कटे कलेश ॥ बलामुवा काहे गया परदेश॥