महकती सी जिंदगी की किताब पर.......... गुनगुनाते सुरों के इस साज़ पर ........ एक गीत गा रही है जिंदगी ! कुछ खास सुना रही है जिंदगी ! सुबह का सूरज यहाँ पर चढ़ रहा ! चाँद की रौशनी को मद्धम कर रहा ! रात अपने आप को समेट कर ! सुबह के स्वागत मै जेसे लग रहा ! किसी के मिलन की बेला आ रही ! किसी को विरह जेसे बुला रही ! एक क्षण जिंदगी जेसे हंसा रही ! एक क्षण जिंदगी जेसे रुला रही ! रोज़ फूल कर रही श्रृंगार है ! रोज़ धुल उसको नहला रहा ! रोज़ पतंगे दीप पे हैं मिट रहे ! एक मीत पे असंख्य मीत मिट रहे ! धर रही है उम्र कामना का शरीर ! टूट रही है किसी के सांसो की लड़ी ! एक घर बसा रही है जिंदगी ! एक घर मिटा रही है जिंदगी ! खुश है अगर जिंदगी योवन लिए हुए ! रो रहा है बुडापा सांसो को समेटे हुए ! एक पल जेसे सुला रही है जिंदगी ! एक पल जेसे