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Showing posts from November 29, 2010

जिन्दगी

महकती सी जिंदगी की किताब पर.......... गुनगुनाते सुरों के इस साज़ पर ........ एक गीत गा रही है जिंदगी ! कुछ खास सुना रही है जिंदगी !                      सुबह का सूरज यहाँ पर चढ़ रहा !                      चाँद की रौशनी को मद्धम कर रहा !                       रात अपने आप को समेट कर !                      सुबह के स्वागत मै जेसे लग रहा ! किसी के मिलन की बेला आ रही ! किसी को विरह जेसे बुला रही ! एक क्षण जिंदगी जेसे हंसा रही ! एक क्षण जिंदगी जेसे रुला रही !                      रोज़ फूल कर रही श्रृंगार  है !                      रोज़ धुल उसको नहला रहा !                     रोज़ पतंगे दीप पे हैं मिट रहे !                    एक मीत पे असंख्य मीत मिट रहे ! धर रही है उम्र कामना का शरीर ! टूट रही है किसी के सांसो की लड़ी !               एक घर बसा रही है जिंदगी ! एक घर मिटा रही है जिंदगी !                  खुश है अगर जिंदगी योवन लिए हुए !                  रो रहा है बुडापा सांसो को समेटे हुए !                   एक पल जेसे  सुला रही है जिंदगी !                   एक पल जेसे