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Showing posts from April 17, 2010

लो क सं घ र्ष !: किसी मज़लूम के खून की बू आती है

हर तरफ दहशत है सन्नाटा है जबाँ के नाम पर कौम को बाँटा है अपनी अना कि खातिर इसने मुद्दत से मासूमो को कमजोरो को कटा है तुम्हे तो राज हमारे सरो से मिलता है हमारे वोट हमारे जरों से मिलता है किसान कह के हकारत से देखने वाले तुम्हे अनाज तो हमारे घरों से मिलता है हमारा देश करप्शन की लौ में जलता है धर्म हर रोज नया एक-एक निकलता है, पुलिस गरीब को जेलों में डाल देती है, मुजरिमे वक्त तो हाकिम के साथ चलता है तुम्हारे अज्म में नफरत की बू आती है नज्मों नसक से दूर वहशत की बू आती है, हाकिमे वक्त तेरी तलवार की फ़ल्यों से किसी मज़लूम के खून की बू आती है तारिक कासमी उन्नाव जिला कारागार से

लो क सं घ र्ष !: ब्लॉग उत्सव 2010

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