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Showing posts from November 23, 2010

दूरदर्शन की दुनिया

अजब --गजब हो गई है                   दूरदर्शन की दुनिया भी ! जो देखो............ अपने आप को                           भुनाने मै लगी हुई है ! कभी राखी का इंसाफ है तो ,            कभी बिग बॉस की आवाज़ बनी हुई है ! ये बाजारवाद तो परम्पराओ को ,                     विकृत रूप देने मै लगी हुई है ! और देखो न ये तो  युवावर्ग मै              रोज़गार का गन्दा रूप भरने  मै लगी हुई है ! और कहती है.......... वो परिवार को ,                               बस  जोड़ने मै लगी हुई है ? ये तो  वास्तव मै वास्तविकता का ,                           मजाक उड़ाने मै लगी हुई है ? हर पूंजीवाद अपनी पूंजी के प्रवाह से,              हर एक मासूम को जाल मै फ़साने मै लगी हुई  है ? न जाने ये कब तक अपना जाल बिछाएगी !                         युवावर्ग के हृदये मै प्रहार करती जाएगी ! उनकी इस अदा मै न जाने क्या नशा है !                             हर घर का बन्दा उसमे ही खो गया है ! उनकी तो आमदनी का काम आसां बन गया है !                    यहाँ सबके घर का माहोल बिगड़ सा गया है !

वरिष्ठ साहित्यकार श्री ओम पुरोहित 'कागद' जी रो राजस्थान रै सांसदा नै कागद

घणां मानीता अनै आदरजोग सांसद सा , जय राजस्थानी-जय राजस्थान ! आप उण रजस्थान रा घणां हेताळू अनै म्होबी सांसद हो जिण री मायाड़ भाषा राजस्थानी है ! आप ओ भी जाणो हो कै राजस्थान रो नांव ई राजस्थानी भाषा रै ताण थरपीज्यो हो ! आज आज़ादी रै ६३ सालां बाद भी १३ करोड़ राजस्थानी आपरी मायड़ भाशा राजस्थानी री राजमानाता सारू बिलखै ! आपां दुनियां री लूंठी भाषा रा मालक होंवता थकां ईं ग्राम पंचायत सूं लेय’र संसद तांई में आपरी मायड़ भाषा राजस्थानी में नी बोल सकां ! आज़ादी सूं लेय’र हाल तांईं अबोला हां ! आपणी जुबान माथै ताळो है ! संसद में बोलण री दरकार है कै " सगळी भाषावां नै मानता-म्हानै टाळो क्यूं-म्हारी जुबान पर ताळो क्यूं ?"आप सूं आस है कै आप संसद रै शीतकालीन सत्र में आ बात जोरदार ढंग सूं उठास्यो अनै राजस्थानी भाषा नै संविधान री आठवीं अनुसूची में भेळण री मांग मनवास्यो ! आपणी मायड भाषा राजस्थानी नै संविधान री आठवीं अनुसूची में भेळण सारू राजस्थान में चाल रैयै आंदोलन सूं आप आच्छी तरियां परिचित ह

मत कहो अनाथ

क्यु  कहते हैं कुच्छ लोग खुद को अनाथ क्या उनके माँ बाबा के .......... संस्कार उनके साथ नहीं ? अनाथ तो शायद वो होते हैं  जिनके माँ - बाप तो हैं पर............. उनके दिल मै उनके लिए  कोई स्थान नहीं उनके पास सब कुच्छ है पर उसकी कदर नहीं अनाथो की तरह रहते हैं और दर्द उनको देते हैं केसी चाह है ये इन्सान की ? जिसके पास माँ बाप नहीं ........... वो उन्हें पाना चाहता है और जिसके पास दोनों हैं वो उसकी कीमत ही नहीं जानता  ? काश वो इस दर्द को कभी समझ पाता .............. और माँ पाप का एहसान चुका पाता वक़्त ही तो है गुजरने मै कितना समय लेगा ? फिर उस दर्द की भरपाई कोंन करेगा ?