अजब --गजब हो गई है दूरदर्शन की दुनिया भी ! जो देखो............ अपने आप को भुनाने मै लगी हुई है ! कभी राखी का इंसाफ है तो , कभी बिग बॉस की आवाज़ बनी हुई है ! ये बाजारवाद तो परम्पराओ को , विकृत रूप देने मै लगी हुई है ! और देखो न ये तो युवावर्ग मै रोज़गार का गन्दा रूप भरने मै लगी हुई है ! और कहती है.......... वो परिवार को , बस जोड़ने मै लगी हुई है ? ये तो वास्तव मै वास्तविकता का , मजाक उड़ाने मै लगी हुई है ? हर पूंजीवाद अपनी पूंजी के प्रवाह से, हर एक मासूम को जाल मै फ़साने मै लगी हुई है ? न जाने ये कब तक अपना जाल बिछाएगी ! युवावर्ग के हृदये मै प्रहार करती जाएगी ! उनकी इस अदा मै न जाने क्या नशा है ! हर घर का बन्दा उसमे ही खो गया है ! उनकी तो आमदनी का काम आसां बन गया है ! यहाँ सबके घर का माहोल बिगड़ सा गया है !