अजब --गजब हो गई है दूरदर्शन की दुनिया भी ! जो देखो............ अपने आप को भुनाने मै लगी हुई है ! कभी राखी का इंसाफ है तो , कभी बिग बॉस की आवाज़ बनी हुई है ! ये बाजारवाद तो परम्पराओ को , विकृत रूप देने मै लगी हुई है ! और देखो न ये तो युवावर्ग मै रोज़गार का गन्दा रूप भरने मै लगी हुई है ! और कहती है.......... वो परिवार को , बस जोड़ने मै लगी हुई है ? ये तो वास्तव मै वास्तविकता का , मजाक उड़ाने मै लगी हुई है ? हर पूंजीवाद अपन...