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Showing posts from April 9, 2009

ग़ज़ल मनु बेतखल्लुस, दिल्ली

बेखुदी, और इंतज़ार नहीं, छोड़ आई नज़र क़रार कहीं तेरी रहमत है, बेपनाह मगर अपनी किस्मत पे ऐतबार नहीं निभे अस्सी बरस, कि चार घड़ी रूह का जिस्म से, क़रार नहीं सख्त दो-इक, मुकाम और गुजरें, फ़िर तो मुश्किल, ये रह्गुजार नहीं काश! पहले से ये गुमां होता, यूँ खिजाँ आती है, बहार नहीं अपने टोटे-नफे के राग न गा, उनकी महफिल, तेरा बाज़ार नहीं जांनिसारी, कहो करें कैसे, जां कहीं, और जांनिसार कहीं ********************************

पाकिस्तानी हैं तो निपटा दो?

विवेक अवस्थी सीनियर एडिटर,IBN7 भारत की औद्योगिक राजधानी पर 26/11 के आतंकी हमले के बाद एक आम भारतीय फिर चाहे वो अमीर हो या गरीब, पढ़ा लिखा हो या अनपढ़, उसकी सोच में एक बड़ा बदलाव आ चुका है। इस हमले ने हमारे अंदर आतंकवाद के खिलाफ एकसाथ खड़े होने का भाव पैदा किया है। देशभक्ति की भावना हरेक में फिर से आ चुकी है चाहे वो बच्चा हो, जवान हो या फिर बूढ़ा़। वास्तव में यह देखना काफी अचंभा पैदा करने वाला है कि हम लोगों में एक लंबे समय बाद भारतीयता का बोध पैदा हो रहा है जो कि इससे पहले सिर्फ साल के दो दिन 26 जनवरी और 15 अगस्त तक ही सीमित रहता था। यही वो समय है जब एक गलत सोच धीरे-धीरे हमारे सिस्टम में शामिल होती जा रही है। 26/11 के बाद हमारी पुलिस को लगता है जैसे कि हत्याएं करने का लाइसेंस मिल गया है। यह उदाहरण उत्तर प्रदेश की एंटी टेररिस्ट स्कवॉड के निर्दयी चेहरे को उजागर करता है जोकि अबतक आतंकियों के बजाए अपराधियों के खिलाफ सालों से कार्रवाई करने में संलग्न थी। अब यह समय उनके लिए अपनी काबिलियत साबित करने का है इसलिए एनकाउंटर जरूरी हो जाता है। पाकिस्तानी आतंकावादियों का एनकाउंटर होता है और फिर शु

आ देखें जरा गूगल का आलीशान ऑफिस

गूगल सर्च इंजन से हर कोई परिचित है हम लेकर चलते हैं आपको गूगल के ऑफिस की सैर पर....इसे देख आपका भी मन करेगा काश मेरे ऑफिस में होता.........गूगल सर्च इंजन से हर कोई परिचित है हम लेकर चलते हैं आपको गूगल के ऑफिस की सैर पर....इसे देख आपका भी मन करेगा काश मेरे ऑफिस में होता......... कुछ पेट पूजा हो जाए ...खाली पेट काम भी ठीक से नहीं होता......गूगल के ऑफिस में हैं टेस्टी टेस्टी फूड के कई सारे ऑपशन्स..... काम और खाने पीने के साथ मनोरंजन के लिए भी कुछ जुगाड़ हो जाए तो फिर ऑफिस से जाने का आपका मन ही न करे....गूगल का गेमिंग जोन जहां है बिलियर्डस से लेकर वीडियो गेम्स तक सबकुछ ऑफिस में रेग्युलर रहने के लिए हैल्दी रहना बेहद जरूरी है....खास हैल्थ चैकअप और मालिश करने की सुविधा दी गई है....... आराम का टाइम है........खास आरामदायक मसाज चेअर....और उसके साथ एक्वेरियम का आनंद...एनर्जी रीगेन करने का इससे अच्छा कोई और तरीका नहीं........ नॉलेज बढ़ाने के लिए बेस्ट बुक्स का बेस्ट कलेक्शन........यहां प्रोग्रामिंग की कुछ ऐसी बुक्स हैं जो दुनिया में शायद कहीं और नहीं......... सीढियां चढ़ने या लिफ्ट में जाने क

Loksangharsha: ग़ज़ल

ग़ज़ल अम्बरीश 'अम्बर ' बाराबंकी जवां है प्यार व श्रृंगार व मनुहार होली में । हमें करना है सागर पार अबकी बार होली में ॥ स्वयं को कुछ नही बच्चों को बस सामान्य सा तोहफा , दिया साड़ी है साली को बड़ी रंगदार होली में । मोहब्बत की दिशा में , बड़ी दुशवारियाँ लेकिन , है पाती इश्क की नौका सही पतवार होली में। उडे गुझियाँ से सोंधी तथा जब खीर से खुशबू, छुहारा भी लगे दिखने हमें रसदार होली में। नशा चढ़ता है जब भी शीश पर होली मनाने का , तभी लगती है हर फटकार हमको प्यार होली में । बहुत आनंद आता है तभी इस रंग क्रीडा में , साथ में जब नए हम उम्र हो दो चार होली में। चलो मिलकर सजाएं इस तरह गंगो जमन संस्कृति , बने दिन से जगह पर एक था ठहरा रहा 'अम्बर' , ढूँढने चल पड़ा मैं भी अब अपना प्यार होली में॥ मो.नो-09450277970

वरूण पर रासुक

वरूण पर रासुका मुझको चेतावनी गुरू घंटालों का वक्त खत्म तुम अपने मुसलिमों को ले के पाकिस्तान जा सकते हो भारत में रह के भारतीयों (हिन्दुओं )पर आप रौब नहीं जमा सकते आखरी चेतावनी तुम लोग भी सुधर जाओ

प्रशांत जी कोई आखिरी चेतावनी

प्रशांत जी से अनुरोध है की इस तरह का ज़हर न फैलाएं अन्यथा आपकी सदयस्ता समाप्त कर दी जायेगी इसे हिन्दुस्तान का दर्द टीम की आखिरी चेतावनी समझे संजय सेन जय हिन्दुस्तान-जय यंगिस्तान आगे पढ़ें के आगे यहाँ
कुण्डली आचार्य संजीव 'सलिल' पुरखे थे हिन्दू मगर हैं मुस्लिम संतान। मजबूरी में धर्म को बदल बचाई जान। अब अवसर फिर से गहें, निज पुरखों की राह। मजबूरी अब है नहीं, मिलकर पायें वाह। कहे 'सलिल' कविराय बिंदु से हो फिर सिन्धु। फिर हिन्दू हों आप, रहे पुरखे भी हिन्दू। ***********************************

डायरेक्ट दिल-से

डायरेक्ट दिल-से मेरा दिल है तू, ज़िगर भी तू...तू ही ज़िंदगी की सुबो-शाम है तू यकीं जो कर तो कहूं ये मैं, मेरे लब पे तेरा ही नाम है ------- वो जानते हैं नहीं कि ये आशिकी भी क्या चीज है... जो दिल मिले, तो तख्त क्या, सारी दुनिया ही नाचीज़ है ----------- अब आ भी जा, न बन संगदिल... बग़ैर तिरे सूनी है दिल की महफ़िल ------------- पत्थर हैं, उनकी हिम्मत है क्या जो आशिकी की राह में रोड़ा बनें... तू देख हमारी चाहतों की आग के आगे दम उनका निकल जाएगा --------------- शब-ए-ग़म का बोझ उठाके भी यारों हम जिए जाते हैं ... जो अश्क मोहब्बत में मिले हैं, उन्हें हंसके पिए जाते हैं -------------- जो पागल हुए, तो तू कहा...बस तेरी रहगुज़र की आरज़ू होश आने का सबब नहीं, मन में है इंतज़ार की जुस्तजू ---------- दीवानगी मुझ पे यूं कहर ढाएगी ये सोचा ना था, तू मेरी राह से होके गुज़र जाएगी ये सोचा ना था