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Showing posts from January 31, 2009

यौन शिक्षा यानि क्या (2)

     प्रकृति ने यूं तो यौन भावना प्रत्येक जीवात्मा को दी है परन्तु उसका सदुपयोग अपने सर्वतोन्मुखी विकास के लिये कैसे किया जाये - यह विद्या सिर्फ मनुष्य के ही पास है।  आइये देखें , कैसे ?        विकास की बात उस बिन्दु से शुरु होती है जहॉं हम किसी व्यक्ति के आकर्षण में - या यूं कह लें कि सम्मोहन में फंसते हैं। उस व्यक्ति की उपस्थिति में हमारे मस्तिष्क तक जो सिग्नल पहुंचते हैं वह हमें सुखद अहसास ( pleasant sensations ) देते हैं। यह सुखद अहसास बहुत कुछ ऐसा ही है जैसे भोजन को देखकर हमें सुखद अनुभूति होती है।  पर जैसे ,  हम भोजन को देखने भर से संतुष्ट नहीं हो सकते , उसी प्रकार हमें आकर्षित कर रहे व्यक्ति को देखना भर हमारे लिये पर्याप्त नहीं है , उसे पाये बिना हमारी क्षुधा शान्त नहीं होती।  हमारे सामने खीर रखी हो और उसे खाने की अनुमति न हो तो हमारी आंखों के आगे हर समय खीर ही रहेगी।  जिधर भी जायेंगे , खीर ही दिखाई देगी।   सोयेंगे तो भी खीर के ही सपने देखेंगे।  हर समय इसी जुगाड़ में लगे रहेंगे कि खीर कैसे हासिल की जाये।  कुछ - कुछ ऐसा ही हमारे साथ उस समय होता है जब कोई व्यक्ति हमें आकर्

मन को कैसे चमकाएं?

विनय बिहारी सिंह रामकृष्ण परमहंस ने कहा था- जैसे लोटे को रोज मांजना पड़ता है, चमकाना पड़ता है, उसी तरह अपने मन को भी साफ- सुथरा करना पड़ता है, वरना उस पर गंदा पड़ता जाएगा और उसका आकर्षण खत्म हो जाएगा। उनके कहने का तात्पर्य यह था कि जैसे साफ कपड़े पहन कर हम बेहतर अनुभव करते हैं। अच्छा खाना खा कर हमारा मन आनंदित हो जाता है, ठीक वैसे ही मन की अच्छी सफाई हो तो मनुष्य भीतर से प्रफुल्लित हो जाता है। उसे गहरी शांति मिलती है। जैसे मैला कपड़ा पहनना किसी को पसंद नहीं, ठीक वैसे ही मैला मन किसी को पसंद नहीं। किसी ने उनसे पूछा कि मन की सफाई कैसे हो? तो उन्होंने कहा- थोड़ी देर एकांत में चुपचाप बैठिए और मान लीजिए की इस दुनिया- जहान और झंझटों से आपको कोई मतलब नहीं है। आप तो बस ईश्वर के बेटे हैं। आप ईश्वरीय आनंद में डूबे रहिए। पांच मिनट, दस मिनट या तीन मिनट भी अगर आप इसे करते हैं तो आपको भारी राहत मिलेगी। सबसे बड़ी चीज है ईश्वर से प्रेम। घृणा का जवाब घृणा से मिलता है और प्रेम का जवाब प्रेम से मिलता है। इसीलिए तो कबीर दास ने कहा है- प्रेम न खेतो नीपजेप्रेम न हाट बिकाय प्रेम न खेत में पैदा होता है और