Skip to main content

Posts

Showing posts from September 6, 2025

चेतन आनंद

12 सितम्बर महादेवी वर्मा की पुण्यतिथि पर विशेष लेख- महादेवी वर्मा और छायावाद की समकालीन कवयित्रियां                                                                -डॉ. चेतन आनंद छायावाद हिंदी साहित्य का अत्यंत महत्त्वपूर्ण काव्य आंदोलन (1918-1936) माना जाता है। इसे “हिंदी काव्य का स्वर्णयुग“ भी कहा गया है। इस युग में कवियों ने भावुकता, रहस्यवाद, प्रकृति-सौंदर्य, प्रेम, करुणा और मानवीय संवेदनाओं को आत्मानुभूति के साथ प्रस्तुत किया। पुरुष कवियों में जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ प्रमुख हैं, वहीं महिला कवयित्रियों में महादेवी वर्मा इस युग की सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधि मानी जाती हैं। उन्होंने न केवल छायावाद को ऊँचाई दी, बल्कि आगे की प्रगतिवादी और नारीवादी काव्यधारा के लिए भी पथ प्रशस्त किया। उनके साथ सुभद्राकुमारी चौहान जैसी कवयित्रियाँ युग की राष्ट्रवादी चेतना की प्रतिनिधि बनकर सामने आईं। महादेवी वर्मा (190...