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Showing posts from May 8, 2009

Loksangharsha: बुज का पत्थर पिघलने लगे

हम जो नजरो में सजने लगे । बेवजह लोग जलने लगे ॥ पुश्त के जख्म रिसने लगे । दोस्ती हम समझने लगे ॥ ये प्रजातंत्र क्या तंत्र है - खोटे सिक्के भी चलने लगे ॥ सच इतना संवारो नही - आइना भी मचलने लगे ॥ आह में वो कशिश लाइए - बुज का पत्थर पिघलने लगे ॥ जबसे वो प्यार करने लगे - हम मोहब्बत से डरने लगे ॥ डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'

Loksangharsha: फैजान मुसन्ना के कार्टून्स

Loksangharsha: अकुलाहट

अपने मन की अकुलाहट को कैसे लयबद्ध करूं पीड़ा से उपजी कविता को कैसे व्यक्त करूं , सीने में कब्र खुदी हो तो कैसे मैं सब्र करूं दिल में उठते अरमानो को कैसे दफ़न करूं , अन्तर में खोये शब्दों की कैसे मैं खोज करूं आँखों में उमड़ा पीड़ा को कैसे राह करूं , मन में उठती ज्वालाओं का कैसे सत्कार करूं धू - धू जलते अरमानो का कैसे श्रृंगार करूं , अपने मन की अकुलाहट को कैसे लयबद्ध करूं पीड़ा से उपजी कविता को कैसे व्यक्त करूं , -अनूप गोयल
सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

दो जून की रोटी नहीं फिर भी बना आईएएस

यह कहानी है यह जिद की, यह दास्तां है जुनून की, यह कोशिश है सपने देखने और उन्हें पूरा करने की। झुग्गी बस्ती में र हकर गरीबी में बचपन और फिर बड़े होकर परिवार की जिम्मेदारी निभाने के बीच एक कुली का बेटा आखिर अब एक आईएएस अफसर बन गया है। सपनों को हकीकत में बदलने का जज्बा लिए नासिक के मखमलाबाद रोड इलाके का संजय अखाडे आज अपनी मेहनत और लगन के बलबूते किस्मत बदलने में सफल हो सका। तंग गलियों से आईएएस तक का सफर उसके लिए कांटो भरा रहा है। संजय के पिता कुली थे, जबकि मां बीड़ी कारखाने में मजदूर है। छोटे से सरकारी स्कूल से पढ़ाई कर संजय ने घर की सीमित आय में सहयोग देने के लिए दैनिक मजदूरी और फैक्ट्री में भी काम किया। इस दौरान उसकी यूपीएससी की तैयारी भी साथ-साथ चलती रही। संजय ने बताया कि यूपीएससी की तैयारी के दौरान वह पुणो में एक आईएएस अधिकारी अविनाश धर्माधिकारी से मिला और उन्हें अपनी इच्छा एवं मजबूरी बताई। संजय के मुताबिक, श्री धर्माधिकारी ने उसकी काफी मदद की और फीस देने में सक्षम नहीं होने पर भी उसे कोचिंग में प्रवेश दिलाया। आखिर यूपीएसएसी के चौथे प्रयास में उसे सफलता मिल ही गई। इस दौरान उसके छोटे भ

Loksangharsha: सुप्रसिद्ध चिन्तक मुद्राराक्षस से प्रखर आलोचक महंत विनय दास से एक बातचीत 2

महंत विनयदास : इस वक़्त आजमगढ़ को आतंकवाद की नर्सरी कहा जा रहा है प्रकारांतर से अब मुस्लिम समाज को और इसके पूर्व सिखों को आतंवादी कहकर प्रताडित किया जाता रहा है । क्या आपको नही लगता है की हमारी सरकार की सोच अंग्रेजो की दस्ता से आज भी मुक्त नही हो पाई है क्योंकि वे भी पहले तमाम जातियों और इलाको को अपने स्वार्थवश अपराधी घोषित किया करते थे और आज हमारी सरकार और मीडिया मिलकर इसी दुष्प्रचार को हवा दे रहे है । इस पर आप कुछ कहें । मुद्राराक्षस : सच ये है की सत्ता स्वयं किसी भी तरह के आतंकवाद की जननी होती है । आज यह बात छुपी नही है की पंजाब का आतंकवाद ख़ुद तत्कालिन सरकार की देन या उस समय तक जिसे पंजाब के आतंकवाद का सबसे बड़ा करता धरता मन गया , वह भिन्दर्वाला स्वयं कांग्रेस की देन था । दुनिया में अगर मुसलमानों को फिलिस्तीन से बेदखल करके इसराइल या यहूदी राज न बनाया गया होता तो मुसलमान युवा , हथियार न उठाते । सब जानते है की अमेरिका ने मध