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Showing posts from September 29, 2009

लो क सं घ र्ष !: अवध के किसान नेता की गिरफ्तारी पर

" गाँधी जी ने तुंरत माइक संभाल लिया । आप लोग शांत रहिये । बाबा रामचंद्र की गिरफ्तारी हुई है , जो एक पवित्र घटना है । आप उन्हें छुडाने की मांग न करें , न इस मसले को लेकर जेल जाएँ । इससे उन्हें दुःख होगा । हमारा रास्ता शान्ति व अहिंसा का है , उन्हें छुडाने का बेहतर तरीका यही है कि हम शांतिपूर्वक असहयोग करें । " " कमलाकांत त्रिपाठी के ' बेदखल ' से "

मत जाना शहरवा॥

मन नही लागे जुदाई में ॥ कहा माना बलामुवा॥ पेट भर गवा बा कमाई से॥ मत जाना शहरवा॥ महला बाटे दुमहला बाटे॥ सोना बाटे चांदी बाटे॥ जान उवे अकेले रजाई में॥ कहा माना बलामुवा॥ विस्तर बाटे कपडा बाटे॥ खाना बाटे पानी बाटे॥ सोहे नही चूड़ी कलाई में॥ कहा माना बलामुवा॥ माई बाटी बाबू बाटे॥ भई बाटे बहिनी बाटी॥ मज़ा आवे तोहरे मितायी॥ कहा माना बलामुवा॥ मन नही लागे जुदाई में ॥ कहा माना बलामुवा॥ पेट भर गवा बा कमाई से॥ मत जाना शहरवा॥

पम्मी तोर कंगना..

जब-जब अकडे भरी जवानी॥ बहे बयारिया अंगना में॥ संझ्लौका से नजर गडी बा॥ पम्मी वाले कंगना पे॥ बड़ी सुगन्धित बहुत सुरीली॥ मध्यम चलती चाल॥ मन कहता की उससे पूछू॥ कैसे तुम्हारी हाल॥ अकड़बाजी से बाज़ न आती॥ ऊब गए हम नखरा से॥ संझ्लौका से नजर गडी बा॥ पम्मी वाले कंगना पे॥ मन कहता की कैसे छेड़ू॥ उसके दिल तान॥ तोहरे विरह म ब्याकुल दिहिया॥ रस तपकावा अधरा से॥ संझ्लौका से नजर गडी बा॥ पम्मी वाले कंगना पे॥ कंगना पहन के तू चलबू तो॥ हँसे लागे ज़माना॥ हमारे तोहरे प्यार कय चर्चा से॥ होय जाए कुल हल्ला॥ तोहरी चिंता माँ देहिया टूटे॥ मजा नही बा लफडा में॥ संझ्लौका से नजर गडी बा॥ पम्मी वाले कंगना पे॥

हम उस वंश के वंशज है॥

हम उस वंश के वंशज है॥ जिसके घर चिडिया ,, सोहर गाती॥ कहती बच्चो भोर हुआ है॥ इठलाती और इतराती॥ ढूध पूत सब तान लगाते॥ चिडिया रानी नाच दिखाती॥ तुनक तुनक सब ठुमुक रहे है॥ खड़ी सुमन मुस्काने लागी...