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Showing posts from July 24, 2011

कस्बों की लड़कियां छा गईं ग्लैमर वर्ल्ड में

छोटे और बड़े परदे पर कई ताजा चेहरे ऐसे हैं, जो महानगरों से नहीं बल्कि छोटे शहरों, कस्बों और गांवों से आए हैं। कुछ परिवार की मर्जी के खिलाफ तो कुछ घर वालों की मदद से। ब्यूटी शो, फिल्म, फैशन और टीवी में कम उम्र में दौलत और शोहरत हासिल कर रही ये युवतियां उदाहरण हैं कि समाज में परंपरावादी सोच किस तेजी से बदल रही है। हालांकि शुरुआत बहुत आसान नहीं है। दिल्ली की आंचल खुराना को एमटीवी के रोडीज का ऑडिशन देने के लिए अपने मां-पिता से झूठ बोलना पड़ा। समझा जा सकता है कि ऐसे में छोटे शहरों की लड़कियों को ग्लैमर की दुनिया में आने से पहले अपने परिजनों व आसपास के लोगों से किस तरह जूझना पड़ता होगा।गुजरात के एक गांव से मुंबई आईं निकिता रावल को लीजिए। अपने बूते नौकरी और पढ़ाई करते हुए वीनस के म्युजिक एलबम में दिखाई देते ही उन्हें फिल्म ‘गरम मसाला’ में मौका मिला।  घरवाले भारी नाराज थे। लेकिन बेटी की जिद ने मां को बदल दिया। निकिता कहती है, ‘दूर बैठकर लोग भले ही बॉलीवुड के माहौल को कितना ही भला-बुरा क्यों न कहें, लेकिन हकीकत यह है कि एक कामयाबी लोगों की राय बदल देती है।’ अब मां अपने चार बच्चोंं के साथ सफ

गीत: प्रेम कविता... संजीव 'सलिल'

गीत: प्रेम कविता... संजीव 'सलिल' * * प्रेम कविता कब कलम से कभी कोई लिख सका है? * प्रेम कविता को लिखा जाता नहीं है. प्रेम होता है किया जाता नहीं है.. जन्मते ही सुत जननि से प्रेम करता- कहो क्या यह प्रेम का नाता नहीं है?. कृष्ण ने जो यशोदा के साथ पाला प्रेम की पोथी का उद्गाता वही है. सिर्फ दैहिक मिलन को जो प्रेम कहते प्रेममय गोपाल भी क्या दिख सका है? प्रेम कविता कब कलम से कभी कोई लिख सका है? * प्रेम से हो क्षेम?, आवश्यक नहीं है. प्रेम में हो त्याग, अंतिम सच यही है.. भगत ने, आजाद ने जो प्रेम पाला. ज़िंदगी कुर्बान की, देकर उजाला. कहो मीरां की करोगे याद क्या तुम प्रेम में हो मस्त पीती गरल-प्याला. और वह राधा सुमिरती श्याम को जो प्रेम क्या उसका कभी कुछ चुक सका है? प्रेम कविता कब कलम से कभी कोई लिख सका है? * अपर्णा के प्रेम को तुम जान पाये? सिया के प्रिय-क्षेम को अनुमान पाये? नर्मदा ने प्रेम-वश मेकल तजा था- प्रेम कैकेयी का कुछ पहचान पाये?. पद्मिनी ने प्रेम-हित जौहर वरा था. शत्रुओं ने भी वहाँ थे सिर झुकाए. प्रेम टूटी कलम का मोहताज क्यों हो? प्रेम

राज्यों को और अधिक शक्तियां एवं संसाधन सौंपने से राष्ट्र की उन्नति तीव्र गति से होगी

राज्यों को और अधिक शक्तियां एवं संसाधन  सौंपने से राष्ट्र की उन्नति तीव्र गति से होगी  केंद्र तथा राज्यों में शक्तियों का वितरण एक ऐसी विशेषता है जो संघात्मक संविधानों में प्रमुख है .प्रो.के.सी.व्हव्हियर के अनुसार -,''संघात्मक सिद्धांत से तात्पर्य है ,संघ व् राज्यों में शक्तियों का वितरण ऐसी रीति से किया जाये कि दोनों अपने अपने क्षेत्र में स्वतंत्र हों ,किन्तु एक दूसरे के सहयोगी भी हों.''इसका तात्पर्य यह है कि राज्यों को कुछ सीमा तक स्वायत्ता होनी चाहिए .अमेरिकन संविधान संघात्मक संविधानों का जन्म दाता है उसमे केंद्र की शक्तियां परिभाषित की गयी है ,राज्यों की नहीं  .अमेरिकन संविधान में अवशिष्ट शक्तियां राज्यों में निहित की गयी हैं .परिणाम स्वरुप राज्य अधिक शक्तिशाली थे ;किन्तु कालांतर में आवश्यकता पड़ने पर केंद्र की शक्तियां बढती गयी और राज्यों की स्वायत्ता का ह्रास होता गया वर्तमान में स्थिति यह है कि  राज्यों की स्वायत्ता नाम मात्र की रह गयी है.       भारतीय संविधान में केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों के वितरण की जो योजना अपनाई गयी है उसमे प्रारंभ से ही केंद्र को सशक्